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ओडिशा में बीजेडी-बीजेपी के पुनर्मिलन के पीछे की वजह क्या है?
‘एक अकेला सब पर भारी’ का दावा करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी दलों के द्वारा गठबंधन बना लेने के बाद ही अपने इस दावे को दरकिनार कर मरणासन्न पड़ चुके एनडीए के धड़ों की सुध ली थी। विपक्ष के 26 दलों के मुकाबले एनडीए में 38 दलों को शामिल कर ज्यादा बड़ा कुनबा…
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बहुसंख्यकवादी राष्ट्रवादः वैज्ञानिक समझ का नकार
हिन्दू राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी के पिछले एक दशक से चले आ रहे शासन के दौरान हमारे देश में शिक्षा के क्षेत्र में ऐसे परिवर्तन किए गए हैं जो आस्था पर अधिक आधारित हैं और तर्क पर कम। ये परिवर्तन ऐसे हैं जो अतीत का महिमामंडन करते हैं और वैज्ञानिक सोच का नकार। तथ्य यह…
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अभिजीत गंगोपाध्याय: न्यायपालिका में भी दीमक लगने लगी
पहले से ही दल-बदल चुनावी लोकतंत्र को पूरी तरह से नष्ट करने पर आमादा है। इसी बीच न्याय के क्षेत्र में एक ऐसी घटना हुई है जिसने उसकी विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। कलकत्ता हाईकोर्ट के एक जज ने एक ऐसा कार्य किया है जो पूरी तरह अक्षम्य है। जज के पद पर रहते…
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2024 लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की अहमियत और परिवर्तन की संभावना
2024 लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की गुत्थी को सुलझाए बगैर इस महासमर को जीतना किसी के लिए भी संभव नहीं है। 80 लोकसभा सीटों के लिहाज से उत्तर प्रदेश यदि इंडिया गठबंधन अपनी पैठ बनाने में सफल नहीं रहता है, तो उसके लिए दिल्ली अभी भी बहुत दूर रहने वाली है। फिलहाल यूपी में…
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उत्तर प्रदेश से मौजूदा सांसदों का टिकट काटने से क्यों डर रहा भाजपा नेतृत्व ?
कुल 33 मौजूदा सांसदों का टिकट काटा गया है। दिल्ली में घोषित 5 सीटों में से सिर्फ एक (मनोज तिवारी) को ही एक बार फिर से मौका दिया गया है। उधर उत्तर प्रदेश की 51 सीटों में सिर्फ 4 मौजूदा सांसदों को ही सांसद के तौर पर अपनी किस्मत आजमाने से मरहूम रखा गया है।…
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कर्फ़्यू की रात: ‘हर आतंकवादी मुसलमान ही क्यों होता है?’ सवाल का जवाब देती किताब
अक्सर ही हमें यह सुनने को मिलता है कि ‘हर मुसलमान आंतकवादी नहीं होता, मगर हर आतंकवादी मुसलमान होता है।’ सबसे पहले तो यह बात कि क्या यह सच है, और अगर सच है तो इसमें कितनी सच्चाई है। हर आतंकवादी मुसलमान होता है, या अपने हकों के लिए लड़ने वाले हर मुसलमान को आतंकवादी…
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संवैधानिक लोकतंत्र का मुखौटा और मोदी का लोकतांत्रिक फासीवाद
फासीवाद हमेशा से लोकतंत्र का एक अनिवार्य घटक रहा है, क्योंकि लोकतंत्र का उपनिवेशवाद से गहरा संबंध है। चूंकि भारतीय लोकतंत्र उपनिवेशवाद से भारत को मिला एक “उपहार” है, इस कारण उपनिवेशवाद की अंतर्निहित हिंसा भी हमें विरासत में मिली है। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 की सांप्रदायिक हिंसा में 3000 निर्दोष सिखों…
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नफरती बातों के बीच कैसे बढ़े सौहार्द
भारत पर पिछले 10 सालों से हिन्दू राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज कर रही है। भाजपा आरएसएस परिवार की सदस्य है और आरएसएस का लक्ष्य है हिन्दू राष्ट्र का निर्माण। आरएसएस से जुड़ी सैंकड़ों संस्थाएं हैं। उसके लाखों, बल्कि शायद, करोड़ों स्वयंसेवक हैं। इसके अलावा कई हजार वरिष्ठ कार्यकर्ता हैं जिन्हें प्रचारक कहा जाता…
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नरेंद्र मोदी सरकार के दस साल के सफरनामे की बेबाक पड़ताल करती एक किताब
साल 2014 की मई के बाद भारतीय सत्ता और राजनीति का चरित्र सिरे से बदलने लगा। अंधी सांप्रदायिकता, जाति का कोढ़, आवारा पूंजी का मूलतः देश विरोधी खेल और फासीवाद के खुले एजेंडे खुलकर बजबजाने लगे। नतीजतन आज 2024 तक व्यापक भारतीय समाज विघटन की कगार पर ही नहीं आया बल्कि बाकायदा विघटन का शिकार…
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हल्द्वानी हिंसा: हिन्दुत्ववादी सरकार और संगठनों के नफरती अभियान का परिणाम
खूबसूरत पहाड़ियों का राज्य उत्तराखंड आज नफरत और भय में सुलग रहा है। धार्मिक सद्भावना की अपनी सदियों पुरानी परंपरा उलटकर, राज्य तेजी से बहुलतावादी भारत को केवल हिंदुओं की जमीन में बदलने के लिए हिन्दुत्ववादियों के युद्धस्थल में उभर रहा है। 8 फरवरी को हल्द्वानी के शहर प्रशासक, बड़ी संख्या में पुलिस बल और करीब…