Saturday, April 20, 2024

democracy found

बचा-खुचा लंगड़ा लोकतंत्र भी हो गया दफ्न!

आह, अंततः लोकतंत्र बेचारा चल बसा। लगभग सत्तर साल पहले पैदा हुआ था, बल्कि पैदा भी क्या हुआ था। जैसे-तैसे, खींच-खांच कर बाहर निकाला गया था। अविकसित, अपूर्ण, रुग्ण। उम्मीद थी कि एक बार जैसे-तैसे बाहर आ जाएगा और...

Latest News

तब की घोषित इमरजेंसी से भयानक है आज का अघोषित आपातकाल?

18 वीं लोकसभा के लिए चुनावों का पहला चरण हो चुका है; 62 प्रतिशत  से अधिक मतदान के साथ...