Tag: democracy
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महामारी और गोपनीयता की आड़ में लोकतंत्र को पंगु बनाने की साजिश
कोरोना महामारी की वैश्विक चुनौती के संदर्भ में हमारे समय के विद्वान-दार्शनिक और इतिहासकार युवाल नोहा हरारी का एक लेख करीब पांच महीने पहले ब्रिटेन के अखबार फाइनेंशियल टाइम्स में छपा था। अपने उस चिंतनपरक लेख में उन्होंने बताया था कि कोरोना वायरस फैलने के कितने दूरगामी राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक असर दुनिया भर में…
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फेसबुक की सलीब पर टंगा लोकतंत्र
वाॅल स्ट्रीट जर्नल ने एक बार फिर फेसबुक की वह रिपोर्ट दिया है। जो भारत की राजनीतिक पार्टियां भाजपा और कांग्रेस द्वारा दिये गये विज्ञापन के खर्च को बताता है। फरवरी, 2019 से अब तक भाजपा ‘सामाजिक मुद्दों, चुनाव और राजनीति’ के मद में अकेले 4.61 करोड़ रूपये फेसबुक पर विज्ञापन के मद में खर्च…
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न्यायपालिका में आयी सड़न का आखिर क्या है निदान?
लोकतंत्र को खतरा, सवाल उठाने से नहीं सवालों पर चुप्पी और मूल मुद्दों को नजरअंदाज करने से है। सुप्रीम कोर्ट ने ही कभी कहा था, “लोकतंत्र को बड़ा खतरा, लोक विमर्श को हतोत्साहित करने से है। जो विचार और सिद्धांत समाज के लिये हानिकारक हैं उनसे वैचारिक बहस से ही लड़ा जाना चाहिए।”प्रशांत भूषण के…
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प्रशांत मामले में जस्टिस कृष्ण अय्यर का हवाला मानो किसी सत्याग्रही को सजा देने के लिए गांधी को उद्धृत करना है
प्रशांत भूषण ने एक ट्वीट में सर्वोच्च न्यायालय के हालिया चार चीफ़ जस्टिस नामित किए थे कि उनके कार्यकाल में लोकतंत्र का हनन हुआ है। विडम्बना ही कहेंगे कि सर्वोच्च न्यायालय की तीन जजों की पीठ ने भूषण को अवमानना का दोषी ठहराने की अपनी शक्तियों के समर्थन में जिस पूर्व जज के कथन को…
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कवि अटल बिहारी वाजपेयी की कविताओं में नहीं दिखते स्त्री, दलित, वंचित और श्रमिक
‘हिंदू तन-मन, हिंदू जीवन, रग रग हिंदू मेरा परिचय’ ये पंक्तियां भाजपा के सबसे उदार समझे जाने वाले चेहरे अटल बिहारी वाजपेयी की हैं। महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में नाम आने और गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे से संघ के संबंध के खुलासे के बाद से यह संगठन भारतीय जनमानस में खलनायक बन…
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आज़ादी एक अधूरा शब्द नहीं है?
पिछली सदी के आखिरी पहर में अद्वितीय लेखक-पत्रकार राजकिशोर की एक किताब आई थी। उसमें छीजती हुई आज़ादी की चिंता के साथ लिखे उत्कृष्ट और विचारोत्तेजक निबंधों में पहला निबंध ही यही था: ‘आजादी एक अधूरा शब्द है’। इस निबंध में राजकिशोर लिखते हैं, “आज़ादी का एक और अर्थ है असहमति। जो चीजें आदमी की…
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‘जेपी बनते नजर आ रहे हैं प्रशांत भूषण’
कोर्ट के जाने माने वकील और सोशल एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की अवमानना मामले में दोषी करार दिया है। कोर्ट 20 अगस्त को प्रशांत भूषण की सज़ा पर सुनवाई करेगा। फैसला आने के कुछ घंटों बाद प्रशांत भूषण फेसबुक लाइव पर आए। आल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन यानी आईसा के फेसबुक पेज…
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सोचिये लेकिन, आप सोचते ही कहां हो!
अगर दुनिया सेसमाप्त हो जाता धर्मसब तरह का धर्ममेरा भी, आपका भीतो कैसी होती दुनिया न होती तलवार की धारतेज़ और लंबीन बनती बंदूकेनहीं बेवक्त मरते यमनमें बच्चेरोहंगिया आज अपनेसमुद्र में पकड़ रहे होतेमछलियांईरान आज भी अपनेसमोसे के लिये यादकिया जातासऊदी में लोकतंत्र होताभारत में लोगयूं नफ़रतों की दीवारपर चढ़े न होतेपाकिस्तान न बनतातो फिर…