फ़िराक़ गोरखपुरी हालांकि अपनी ग़ज़लों और मानीख़ेज़ शे’र के लिए जाने जाते हैं, मगर उन्होंने नज़्में भी लिखी। और यह नज़्में, ग़ज़लों की तरह खू़ब मक़बूल हुईं। ‘आधी रात’, ‘परछाइयां’ और ‘रक्से शबाब’ वे नज़्में हैं, जिन्हें जिगर मुरादाबादी,...
‘‘एक उम्दा मोती, खु़श लहजे के आसमान के चौहदवीं के चांद और इल्म की महफ़िल के सद्र। ज़हानत के क़ाफ़िले के सरदार। दुनिया के ताजदार। समझदार, पारखी निगाह, ज़मीं पर उतरे फ़रिश्ते, शायरे-बुजु़र्ग और आला। अपने फ़िराक़ को मैं...