Tag: freedom
-
विज्ञान के विकास के लिए स्वतंत्रता सबसे बड़ी शर्त, संदर्भ सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर
भारत की इस धरती पर कई ऐसे महान वैज्ञानिक पैदा हुए हैं, जिन्होंने अपनी खोज और रिसर्च से दुनिया के विकास को नई दिशा दी है। विडंबना यह है कि यह काम वे भारत में रहते हुए नहीं कर सके। उन्हें पश्चिमी देशों में रहने की सुविधा मिली तभी उनकी खोज फलीभूत हुई। भारत में…
-
माफीनामों के वीर हैं सावरकर
सावरकर सन् 1911 से लेकर सन् 1923 तक अंग्रेज़ों से माफी मांगते रहे, उन्होंने छः माफीनामे लिखे और सन् 1923 के बाद वह लगातार ही इस देश की जनता को बांटने की बात करते रहे। नफरत और हिंसा की राजनीति करते रहे। सन् 1923 में उन्होंने एक लेख लिखा, हिंदुत्व, जिसमें उन्होंने अवधारित किया कि…
-
शख्सियत: गांधी के विचार, विनोबा का सानिध्य और जयप्रकाश का साथ पाए अमरनाथ भाई की दास्तान
सार- -अमरनाथ भाई कहते हैं कि गांधी के विचार, विनोबा का सानिध्य और जयप्रकाश नारायण के साथ रह कर उनका जीवन धन्य हुआ।-वर्तमान परिस्थितियों से अमरनाथ भाई खिन्न हैं, वह कहते हैं आज़ादी तक तो भारतीय जनता ने संघर्ष किया पर पहले लोकसभा चुनाव के बाद -भारतीय जनता निश्चिंत हो गई कि अब सब काम…
-
जन्मदिन पर विशेष: जवाहर के साथ था जेपी का घनिष्ठ रिश्ता
जवाहरलाल नेहरू (1889 -1964) और जयप्रकाश नारायण (1902 -1979) हमारे स्वतंत्रता आंदोलन की दो ऐसी विभूतियाँ हैं , जिनमें समानता के अनेक तत्व हैं, हालांकि विभेद के भी अनेक बिंदु हैं। दोनों ने विदेशों में शिक्षा पायी और दोनों मार्क्सवाद – समाजवाद से प्रभावित हुए। दोनों स्वप्नदर्शी मिजाज के थे । दोनों के लिए भारत…
-
आइडिया ऑफ इंडिया की रीढ़ थे मौलाना अबुल कलाम आज़ाद
मौलाना आज़ाद के विचार और उनका लेखन सबसे कठिन होता है धार्मिक कट्टरता और धर्मान्धता से उबल रहे समाज में, सेक्युलर सोच या सर्वधर्म समभाव के, सार्वभौम और सनातन मूल्यों को बचाये रखना, उन पर टिके रहना और उनके पक्ष में मुखरता से अपनी बात रखना। समाज जैसे जैसे धर्मान्धता के पंक में धंसता जाता…
-
भाषा की गुलामी खत्म किये बिना वास्तविक आज़ादी संभव नहीं
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के लिए आज़ादी का सवाल केवल अंग्रेजों से देश को मुक्त कराना भर नहीं था बल्कि उनके लिए आज़ादी व्यक्ति और समाज की मुक्ति का भी प्रश्न था। यह मुक्ति अपनी भाषा में ही संभव थी इसलिए वे अंग्रेजी से देशवासियों को मुक्त कराना चाहते थे। भाषा उनके लिए राष्ट्र की अभिव्यक्ति…
-
…हां भगत सिंह ये तुमसे सीखने का वक्त ही तो है
पाखण्ड का हमारे जीवन में कोई स्थान नहीं है। हमने अपने देश की परिस्थिति और इतिहास का गहरा अध्ययन किया है। यहां की जन आंकाक्षाओं को हम खूब समझते हैं।’ -भगतसिंह भगतसिंह को अपने समय ने गढ़ा था। मुल्क में उस वक्त के हालात और उनके मन के अन्दर चल रही मातृभूमि की पीड़ा उन्हें…