Thursday, April 25, 2024

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प्रधानमंत्री मोदी की देन: हर क्षेत्र में सिर्फ तबाही ही तबाही

अपने जीवन के 72वें साल में प्रवेश कर रहे नरेंद्र मोदी ने सात साल पहले प्रधानमंत्री बनने के ढाई महीने बाद जब स्वाधीनता दिवस पर लाल किले से पहली बार देश को संबोधित किया था तो उनके भाषण को...

रांगेय राघव की पुण्यतिथि: शोषण की घुटन सदैव नहीं रहेगी

रांगेय राघव हिंदी के सर्वोच्च रचनाकारों में से एक हैं। वे विलक्षण रचनाकार थे, जिनके लिए लिखना ही जीवन था। उन्होंने कम उम्र में विपुल लेखन किया। रांगेय राघव को महज उनचालीस साल उम्र मिली और उन्होंने इतने ही...

अफगानिस्तान की कहानी नेहरू की जुबानी

सन् 1919 को अफगानिस्तान औपचारिक तौर पर ब्रिटिश शासन के चंगुल से मुक्त हुआ था। 19 अगस्त अफगानिस्तान अपनी स्वाधीनता दिवस मनाता है। इस संदर्भ में अपनी किताब विश्व इतिहास की झलक में जवाहर लाल नेहरू लिखते हैं कि...

अंतिम किस्त: भारत को नए विभाजन की ओर धकेल रहे हैं मोदी

आरएसएस ने अपने को आज़ादी की लड़ाई से सिर्फ अलग ही नहीं रखा, बल्कि आजादी के लिए बलिदान करने वाले लोगों की तिरस्कारपूर्वक खिल्ली भी उड़ाई। संघ की निगाह में ऐसे लोग बहुत ऊंचा स्थान नहीं रखते। संघ का...

रंजन मुण्डा के लिए अर्थहीन है आज़ादी

गुलाम भारत में जो पैदा हुआ हो और आजाद भारत में जब उसके जीवन में कोई व्यवस्थागत बदलाव न दिख रहा हो, तो उसके लिए आजादी अर्थहीन हो जाती है। बस इसी अर्थहीन आजादी की पीड़ा से पीड़ित हैं...

दूसरी किस्त: हेडगेवार-गोलवलकर ने स्वाधीनता संग्राम के प्रति अपनी नफरत को कभी नहीं छुपाया!

जिस तरह भारत-विभाजन की ऐतिहासिक विभीषिका इतिहास में अमिट है और जिसे कोई भुला या झुठला नहीं सकता, उसी तरह इस हकीकत को भी कोई नहीं नकार या नजरअंदाज कर सकता है कि मौजूदा सत्ताधीशों के वैचारिक पुरखों का...

शब्दों की रौशनी से मिली आज़ादी कहां गई?

लाल किले के प्राचीर से हर साल देश के प्रधानमंत्री 15 अगस्त को इस बात का बखान करते हैं कि अब हम आज़ाद देश हैं और विकास के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं लेकिन हर साल...

स्वतंत्र भारतः अधूरे सपनों का ख्वाबगाह

औपनिवेशिक शासन से भारत की मुक्ति के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने स्वाधीनता आंदोलन के नेताओं के सपनों और आकांक्षाओं का अत्यंत सारगर्भित वर्णन अपने प्रसिद्ध भाषण 'ए ट्रिस्ट विथ डेस्टिनी' में किया था। उन्होंने कहा...

पेगासस गेट: घटती आजादी, सिमटता लोकतंत्र

पेगासस जासूसी मामला अप्रत्याशित नहीं है। सरकारों का (और विशेष रूप से हमारी वर्तमान सरकार का) यह स्वभाव रहा है कि वे अपनी रक्षा को देश की सुरक्षा के पर्यायवाची के रूप में प्रस्तुत करती हैं। स्वयं पर आए...

जवाहर लाल नेहरू और उनका इतिहास बोध

जवाहर लाल नेहरू न केवल आज़ादी के लिए किये गए संघर्ष के शीर्षस्थ नेताओं में से एक रहे हैं, बल्कि वे देश के प्रथम प्रधान मंत्री भी रहे हैं। राजनीति में उनका एक अलग व्यक्तित्व रहा है। आधुनिक भारत...

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प्रधानमंत्री की भाषा: सोच और मानसिकता का स्तर

धरती पर भाषा और लिपियां सभ्यता के प्राचीन आविष्कारों में से एक है। भाषा का विकास दरअसल सभ्यता का...