Wednesday, March 22, 2023

Hindi Magazine

आलोचना पत्रिका के बहानेः बाजार और जंगल के नियम में कोई फर्क नहीं होता!

पांच दिन पहले ‘आलोचना’ पत्रिका का 62वां (अक्तूबर-दिसंबर 2019) अंक मिला। कोई विशेषांक नहीं, एक सामान्य अंक। आज के काल में जब पत्रिकाओं के विशेषांकों का अर्थ होता है कोरा पिष्टपेषण, एक अधकचरी संपादित किताब, तब किसी भी साहित्यिक...

पंकज बिष्ट के योगदान का मूल्यांकन

पंकज बिष्ट पर यह विशेषांक क्यों?... इस सवाल का जवाब देने से पहले संक्षेप में 'बया’ के पंद्रहवें वर्ष में प्रवेश तक के सफ़र में विशेषांक निकालने को लेकर जो हमारी संपादकीय सोच रही है, उसके बाबत बताना ज़रूरी...

Latest News

अब इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मुस्लिम छात्र योगी प्रशासन के निशाने पर

भारत की 80% हिंदू आबादी जब होली मना रही थी और अपनों के साथ आनंद में डूबी हुई थी।...