औरंगजेब की लानत-मलानत के बाद अब बेचारे मुहम्मद-बिन-तुगलक की बारी

प्रेमचंद ने कहा था-“सांप्रदायिकता हमेशा संस्कृति की खाल ओढ़कर सामने आती है।” इसके साथ ही आज का सच यह भी…