Friday, April 19, 2024

Kedarnath Agrawal

कृषक चेतना के अनूठे कवि : केदारनाथ अग्रवाल

बकौल खुद - 'मेरा विश्वास है कि कथ्य और शिल्प अलग नहीं है। दोनों की सांघातिक इकाई एक है। उसे तोड़ा नहीं जा सकता। कालिदास और वाल्मीकि को पढ़ते हुए भी मुझे यह बात महसूस हुई है। इन कवियों...

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‘ये बाबू संविधान बचाईं कि चिराग बाबू के जिताईं समझ में नाही आवत बा’

यह बात बिहार की करीब 60-65 वर्ष की पासी समाज की एक महिला ने कही। जब हम लोग संविधान...