‘खेल रत्न’ से क्यों जुदा हुआ ‘भारत रत्न’?

मेजर ध्यानचंद अपनी मौत के 42 साल बाद भी खेलों की प्रेरणा बनने को जिन्दा हैं तो यही उनकी अहमियत…