Tag: movement
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किसानों की नजरें 15 जनवरी पर
अब बस कुछ ही दिन बचे हैं, किसान व उनके समर्थक 15 जनवरी के इंतजार में हैं। उस दिन, ऐतिहासिक किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहा संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली में मिलेगा। वहां वह पिछले नवंबर में कृषि संबंधी तीन काले कानून वापस लिए जाने पर सरकार द्वारा किये वायदों का जायजा लेगा व तदानुसार…
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मोदी बहुत घमंड में थे, पूछा-500 किसान मेरे लिए मरे हैं: सत्यपाल मलिक
“मैं जब किसानों के मामले में प्रधानमंत्री जी से मिला तो मेरी पांच मिनट में ही उनसे लड़ाई हो गई। वो बहुत घमंड में थे। जब मैंने उनसे कहा, हमारे 500 लोग मर गए, तो उन्होंने कहा, मेरे लिए मरे हैं? मैंने कहा आपके लिए ही तो मरे थे, जो आप राजा बने हुए हो,…
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सीएए विरोधी आंदोलन का जिंदा दस्तावेज है भाषा सिंह की नई किताब ‘शाहीन बाग: लोकतंत्र की नई करवट’
नई दिल्ली। दिल्ली स्थित प्रेस क्लब में बृहस्पतिवार को वरिष्ठ पत्रकार और लेखिका भाषा सिंह की नई किताब ‘शाहीन बाग: लोकतंत्र की नई करवट’ का विमोचन हुआ। इस मौके पर मशहूर शायर और वैज्ञानिक गौहर रजा ने शेर के साथ अपनी बात शुरुआत करते हुए कहा कि ‘जब सब ये कहें खामोश रहो, जब सब…
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कारपोरेट शक्ति पर लोक शक्ति की विजय का वर्ष
देश के किसानों के लिए यह वर्ष ऐतिहासिक आंदोलन की सफलता का वर्ष रहा। वर्ष की शुरुआत बॉर्डरों पर किसान आंदोलन पर सरकारों के बेबुनियाद आरोपों और फ़र्ज़ी मुकदमों से हुई। बॉर्डरों पर किसानों को हमले भी झेलने पड़े। सर्दी, गर्मी, बरसात, बेमौसम आंधी तूफान का सामना भी करना पड़ा। किसान आंदोलन ने 715 किसानों…
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किसान आंदोलन: जश्न के बीच आशंकाओं के गहराते बादल
बहुत प्रयास करने के बाद भी किसान आंदोलन की सफलता के जश्न में शामिल न हो पाया। सिर्फ इतना ही नहीं जश्न मना रहे किसान नेताओं और बुद्धिजीवियों को कौतूहल, आश्चर्य एवं करुणा मिश्रित दृष्टि से देखता भी रहा। अपने हृदय में झांका तो वहाँ क्षोभ एवं संशय की उपस्थिति देख खुद पर क्रोध आया।…
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जयंती पर विशेष: देश को मोदी जैसा किसान विरोधी नहीं, चरण सिंह जैसा किसानों का हमदर्द प्रधानमंत्री चाहिए!
पिछले दिनों इस देश के अन्नदाताओं को दिल्ली के वर्तमान क्रूर, असहिष्णु , बदमिजाज, अमानवीय, फॉसिस्ट, तानाशाही प्रवृत्ति के निजाम के जबरन रोकने की वजह से दिल्ली में प्रवेश नहीं मिल सका। और उन्हें अपनी न्यायोचित माँगों के लिए 378 दिन तक दिल्ली की सीमाओं पर ही आंदोलन करने के लिए बाध्य होना पड़ा। जो…
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किसान आंदोलन: जश्न के बीच से झांकती चुनौतियां
यहां सड़क पर कीले उगीं हैं। कंटीले तारों ने अपने ही देश के नागरिकों को जानवरों की तरह घेर रखा है। आपका स्वागत फौज़ी बूटों की कर्कश ध्वनियों से होता है। यह कश्मीर नहीं किसानों के आंदोलन-स्थल की तस्वीर है। वही जगह जो भारतीय राजसत्ता के केंद्र रायसीना हिल्स से महज कुछ किलोमीटर की दूरी…