Thursday, March 28, 2024

मोदी बहुत घमंड में थे, पूछा-500 किसान मेरे लिए मरे हैं: सत्यपाल मलिक

“मैं जब किसानों के मामले में प्रधानमंत्री जी से मिला तो मेरी पांच मिनट में ही उनसे लड़ाई हो गई। वो बहुत घमंड में थे। जब मैंने उनसे कहा, हमारे 500 लोग मर गए, तो उन्होंने कहा, मेरे लिए मरे हैं? मैंने कहा आपके लिए ही तो मरे थे, जो आप राजा बने हुए हो, उनसे मेरा झगड़ा हो गया।” – प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी के चरित्र का चित्रण करने वाली उपरोक्त बातें मेघालय के राज्यपाल सत्य पाल मलिक ने कही है। 

हरियाणा के दादरी में एक सामाजिक समारोह को संबोधित करते हुए सत्यपाल मलिक ने कल रविवार को कहा कि “जब किसानों के विरोध प्रदर्शन पर चर्चा करने के लिए उनकी मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई तो वह “अहंकार” में थे। उन्होंने कहा कि पीएम के साथ उनकी बहस हो गई थी। फिर पीएम ने कहा अब आप अमित शाह से मिल लो। जिसके बाद मैं अमित शाह से मिला।

कार्यक्रम के उपरांत दादरी में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए मलिक से कृषि कानूनों को समाप्त करने को लेकर सरकार के फैसले पर राय मांगी गई तो उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री ने जो कहा उसके अलावा और क्या कह सकते थे। हमें (किसानों को) फैसला लेना चाहिए। हमें कुछ ऐसा करने के बजाय एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी पाने के लिए उनकी मदद लेनी चाहिए”।

गौरतलब है कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक इससे पहले भी कृषि कानूनों को लेकर बिना अपने पद की परवाह करते हुए केंद्र सरकार पर कई बार मुखर बयान दे चुके हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जब भी वह किसानों के मुद्दे पर बोलते हैं, तो उन्हें कुछ हफ़्ते के लिए आशंका होती है कि उन्हें दिल्ली से फोन आ सकता है।

उन्होंने कल एक बार फिर दोहराया कि “भविष्य में भी अगर किसानों के ख़िलाफ़ कोई सरकार कदम उठाती है तो वह पूरी ईमानदारी से इसका विरोध करेंगे और अगर पद छोड़ने की बात आई, तब भी वह पीछे नहीं हटेंगे। मलिक ने कहा, ‘‘मेरे लिए किसी भी पद से पहले किसानों का हित सर्वोपरि है।’’ उन्होंने कहा कि किसानों के अधिकारों पर आंच नहीं आने दी जाएगी।

किसानों की लंबित मांगों पर राज्यपाल मलिक ने कहा, “हमें एमएसपी पर क़ानूनी गारंटी पाने के लिए उनकी मदद चाहिए न कि कुछ ऐसा करें जिससे सब ख़राब हो जाए।” 

उन्होंने आगे कहा कि “कुछ मुद्दे अभी भी लंबित पड़े हुए हैं। उदाहरण के तौर पर अभी भी मामले (किसानों के ख़िलाफ़) हैं। सरकार को ईमानदारी दिखाते हुए उन्हें वापस लेना चाहिए। उसी तरह से एमएसपी पर क़ानूनी गारंटी मिलनी चाहिए। “

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के रद्द होने को किसानों की ऐतिहासिक जीत करार देते हुए रविवार को कहा कि केंद्र सरकार को प्रदर्शनकारी किसानों के ख़िलाफ़ दर्ज़ मुक़दमों को वापस लेने के संबंध में ईमानदारी से काम करना होगा। उन्होंने साथ ही कहा कि सरकार को फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी रूप देना होगा।

उन्होंने कहा कि जब सरकार किसानों से संबंधित कानून बनाती है तो पहले किसानों की राय ली जानी चाहिए और अगर कोई कानून बनाना है तो किसानों के फायदे के लिए बनाया जाए।

राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि वह खुद भी इन कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ थे। हरियाणा के चरखी दादरी में फोगाट खाप द्वारा उन्हें सम्मानित किए जाने के कार्यक्रम से इतर मलिक ने संवाददाताओं से कहा कि किसान आंदोलन केवल स्थगित हुआ है और अगर अन्याय हुआ तो यह दोबारा शुरू हो जाएगा। मलिक ने कहा कि अन्नदाताओं (किसानों) ने अपने अधिकारों की लड़ाई जीती है।

(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)

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