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श्रमिक एक्सप्रेस घोटाला : गुजरात में ट्रेनों का किराया बन गया सत्ता से जुड़े नेताओं-कार्यकर्ताओं के लिए नया उगाही उद्योग
सूरत/अहमदाबाद। राजेश महतो बिहार के बक्सर जिले के रहने वाले हैं। गांधी नगर IIT की कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करते हैं। इनके साथ 48 मजदूरों की टीम है। ये सभी लोग लॉक डाउन के बाद बक्सर जाना चाहते थे। इन लोगों ने बताया कि “जब केंद्र सरकार ने श्रमिक एक्सप्रेस से मजदूरों को उनके गांव…
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कैफी की पुण्यतिथि पर विशेष: बहार आये तो मेरा सलाम कह देना…
क़ैफी आज़मी, तरक्कीपसंद तहरीक के अगुआ और उर्दू अदब के अज़ीम शायर थे। तरक्कीपसंद तहरीक को आगे बढ़ाने और उर्दू अदब को आबाद करने में उनका बड़ा योगदान है। वे इंसान-इंसान के बीच समानता और भाईचारे के बड़े हामी थे। उन्होंने अपने अदब के जरिए इंसान के हक, हुकूक और इंसाफ की लंबी लड़ाई लड़ी।…
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बलराज साहनी की पुण्यतिथि पर विशेष: बामकसद और खूबसूरती से जी गई, बेहतरीन जिंदगी
बलराज साहनी एक जनप्रतिबद्ध कलाकार, हिन्दी-पंजाबी के महत्वपूर्ण लेखक और संस्कृतिकर्मी थे। जिन्होंने अपने कामों से भारतीय लेखन, कला और सिनेमा को एक साथ समृद्ध किया। उनके जैसे कलाकार बिरले ही पैदा होते हैं। अविभाजित भारत के रावलपिंडी में 1 मई, 1913 को एक रूढ़िवादी परिवार में जन्मे बलराज साहनी की शुरूआती तालीम गुरुकुल में…
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कहां तक पहुंचेगा भीम आर्मी के आजाद समाज पार्टी में परिवर्तन का नीला सलाम?
“क्योंकि दिल्ली का माहौल ख़राब है। हमारे लोगों के साथ ट्रैजेडी हुई है। हमारा ज़मीर ज़िन्दा है। हम अपने बहुजन समाज के लोगों से प्यार करते हैं। इसलिए बड़ी रैली ना करके एक प्रेस काॅन्फ्रेंस में पार्टी की घोषणा करेंगे।” दिल्ली में मुसलमानों के एकतरफ़ा कत्लेआम से दुखी भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आज़ाद ने…
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माहेश्वरी का मत: चीजों को समझने में क्यों नाकाम हो रहे हैं विपक्षी राजनीतिक दल?
आरएसएस और मोदी के इतिहास से परिचित कोई साधारण आदमी भी दिल्ली के दंगों और आगे इनकी और पुनरावृत्तियों का बहुत सहजता से पूर्वानुमान कर सकता है। फिर भी कथित रूप से दूरगामी लक्ष्यों को सामने रखने वाले राजनीतिक दलों की कार्यनीति में इस बोध की कमी क्यों दिखाई पड़ती है ? यह एक विस्मय…
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आत्मचिंतन का अवसर है यह गणतंत्र दिवस
जब भारतीय गणतंत्र अपने गौरवशाली सात दशक पूरे कर रहा है तब एक ऐसी विचारधारा का उभार अपने चरम पर है जो इन सात दशकों को असफलता और गलतियों के कालखंड के रूप में मूल्यांकित करती है और यह मानती है कि हमारे गणतंत्र की आधार शिला- हमारा संविधान- ही प्रकारांतर से हमारी कथित समस्याओं…
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संविधान दिवस पर विशेष: सामने आ गया डॉ. आंबेडकर का बताया खतरा
आज देश का संविधान 70 साल का हो गया। वैसे तो किसी मनुष्य के जीवन में यह उम्र बेहद नाजुक होती है और भविष्य के लिहाज से भी इसे बेहद खतरनाक पड़ाव का दर्जा दिया जाता है। लेकिन राष्ट्रों के जीवन में यह बचपन की श्रेणी में आएगा। क्योंकि उनकी उम्र बहुत लंबी होती है।…