Wednesday, April 24, 2024

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स्मृति दिवस पर विशेष: ‘बेड़ु पाको’ के बहाने पहाड़ी लोक के चितेरे मोहन उप्रेती की याद

''बेड़ु पाको बारामासा.. ओ नरैण काफल पाको चैता.. मेरी छैला.. रूण-भूणा दीन आया.. ओ नरैण मैं पुजै दे मैत.. मेरी छैला..'' दिसम्बर 1955 की दिल्ली की किसी सर्द दोपहर, तीन मूर्ति भवन के सभागार में बर्फ़ के फ़ॉहों जैसी मखमली आवाज़ों...

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