Tag: politics
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मोदी के मायावी गुब्बारे की हवा निकालने के लिए सच्चाई की एक छोटी सुई ही काफी
कांग्रेस का संकट आखिर है क्या? क्या पिछले दो लोकसभा चुनावों और लगभग इसी कालखंड में हुए अनेक विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के लिए पार्टी के एक बड़े वर्ग द्वारा उत्तरदायी समझे जाने वाले सेकुलरिज्म और उदारवाद जैसे सिद्धांतों से छुटकारा पाने की तरकीब तलाशना ही कांग्रेस का संकट है? खुले ख्यालों वाले…
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नहीं रहा भारतीय राजनीति के एक युग का साक्षी
देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में अपनी आखिरी सांस ली। अब से कुछ देर पहले कोरोना संक्रमित पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन हो गया वो 84 साल के थे। बता दें कि वे पिछले एक महीने से दिल्ली के आर्मी अस्पताल में भर्ती थे। जहां…
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बहुत लंबी है टीवी के पतन की प्रक्रिया
इससे पहले कि टीवी समाचार के आसमान पर छाए बादल फटते मैं निकल आया था। या निकलने को विवश हुआ था। लेकिन जाता कहां? ये मेरी ख़ुशफ़हमी थी। अपने इर्दगिर्द ऐसी फुसफुसाहटें, और ऐसी शिकारी आंखें रेंगने लगी थीं जो खुद को भविष्य में आखेट के लिए तैयार कर रही थीं। उनमें मुहावरे की बिल्ली…
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राजस्थान का सियासी संकट: ‘माइनस’ की ‘प्लस’ में तब्दीली
राजस्थान का सियासी गणित बदल गया। 32 दिन तो खपे लेकिन ‘बाकी’ की कवायद करते-करते अचानक ‘जोड़’ हो गया। अब कांग्रेस में ‘जोड़’ (गठजोड़) होने के बाद कुछ भी ‘बाकी’ नहीं रहा। हिसाब ‘चुकता’ करने के चक्कर में बेचारा हिसाब खुद ही ‘बराबर’ हो गया। अब ना ऊधो का लेना, ना माधो का देना। ‘हाथ’…
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जो अशोक किया, न अलेक्जेंडर उसे मोशा द ग्रेट ने कर दिखाया!
मैं मोशा का महा भयंकर समर्थक बन गया हूँ। कुछ लोगों की नज़र में वे भले ही कापुरुष हों लेकिन मेरे हिसाब से वे महापुरुष हैं। भारत के पहले आम चुनाव के बाद पहले प्रथम सेवक ने देश को एकजुट करने की कितनी कोशिश की थी लेकिन कोशिश सफल होने से पहले ही वे चल…
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यूपीः मरते लोग और जलते सवाल नहीं, विपक्ष को दिख रही हैं मूर्तियां
विडंबना ही है कि कभी भारतीय राजनीति में ‘मंडल’ के बरअक्स ‘कमंडल’ था, अब राम मंदिर के जवाब में परशुराम मंदिर खड़ा हो गया है! मामला राजनीतिक है। विवेक तिवारी से लेकर गैंगस्टर विवेक दुबे और हनुमान पांडेय का फेक एनकाउंटर करने वाली यूपी पुलिस और उससे ऐसा करवाने वाली योगी सरकार और भाजपा से…
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पुस्तक समीक्षा: समकालीन राजनीति की स्याह हकीकत का दस्तावेज है ‘जिओ पॉलिटिक्स’
लॉकडाउन के दौरान खोजी पत्रकार नवनीत चतुर्वेदी ने फेसबुक पर ‘जिओ पॉलिटिक्स’ शीर्षक से एक लंबी सीरीज में जो कुछ लिखा था, वह अब व्यवस्थित रूप से एक किताब की शक्ल में आ गया है। दस्तावेजी और परिस्थितिजन्य सबूतों के साथ समकालीन राजनीति की स्याह हकीकत से रूबरू कराती यह पुस्तक रहस्य और रोमांच से…