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ज़रूरी ख़बर

अलविदा अरुण भाईः तुम्हीं सो गए दास्तां कहते-कहते

सुबह से फ़ेसबुक पर शोक की एक नदी बह रही है, जिसके हर क़तरे पर एक नाम है- अरुण पांडेय। यह नदी कई-कई शहरों से [more…]

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संस्कृति-समाज

आखिरी वक्त में भी हाथ उठाकर बंधी रही चितरंजन भाई की मुट्ठी!

चितरंजन भाई अपने गांव लौट गए थे। कुछ महीने पहले। ग्राम सुल्तानपुर, तहसील बांसडीह, जिला बलिया, घाघरा का कछार और दियारे के एक कोने में [more…]

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ज़रूरी ख़बर

ओह, विदा चितरंजन भाई!

जीवन की इतनी ही सीमा होती है। चितरंजन भाई भी आज छोड़ गए। वे एक भव्य इलाहाबादी विभूति थे। हमारे लिए एक ज्वलंत वैचारिक ज्वाल! [more…]