‘इधर दुधारू गाय अड़ी थी, उधर सरकसी बक्कर था’- यह हिंदी कवि नागार्जुन की एक काव्य-पंक्ति है। जयप्रकाशजी के सम्पूर्ण…
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‘इधर दुधारू गाय अड़ी थी, उधर सरकसी बक्कर था’- यह हिंदी कवि नागार्जुन की एक काव्य-पंक्ति है। जयप्रकाशजी के सम्पूर्ण…