Tag: unemployment
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‘जनता खिलौनों से खेले, देश से खेलने के लिए मैं हूं न!’
इस बार के ‘मन की बात’ में प्रधानसेवक ने बहुत महत्वपूर्ण मुद्दे पर देश का ध्यान आकर्षित किया है। बात इतनी महत्वपूर्ण है कि लगा यह ‘मन की बात’ नहीं ‘आत्मा की बात’ है। पता नहीं क्यों लोगों को लगता है की आत्मा की बातें वही होती हैं जो जनता के दुख-दर्द की बात हों।…
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भारत में बेरोजगारी के दैत्य का आकार
1990 के दशक की शुरुआत से लेकर 2012 तक भारतीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में उच्च वृद्धि वाली अवधि के दौरान मुझे चिली (1973) में दक्षिणपंथियों के कब्जे के बाद से सीआईए की मेहरबानी से दक्षिणी अमेरिका में सत्ता में काबिज होने वाले कई सैन्य तानाशाहों में से एक के बारे में मैक्सिको में सुनी…
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‘राष्ट्रीय बेरोज़गार दिवस’ मुबारक हो नरेंद्र मोदी जी!
आज 17 सितंबर को देश की युवा आबादी ‘राष्ट्रीय बेरोज़गार दिवस’ के तौर पर मना रही है। पांच साल में करोड़ों युवाओं की नौकरियां छीनने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज जन्मदिन है। देश के युवा पिछले कई दिनों से ताली थाली बजाकर सरकार को जगा रहे हैं और मशाल रैली दिखाकर सरकार की अंधेरगर्दी…
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प्रियंका गांधी ने शुरू किया युवाओं के साथ वीडियो संवाद, व्यथा सुनाते रो पड़े कई अभ्यर्थी
नई दिल्ली। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव प्रभारी उत्तर प्रदेश प्रियंका गांधी ने 2016 के 12460 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग पर बातचीत की। ये बातचीत प्रियंका गांधी द्वारा हाल ही में शुरू किए गए युवाओं के साथ रोजगार पर संवाद का हिस्सा है। प्रियंका गांधी ने कहा कि “मेरा मानना है…
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‘बेरोजगार दिवस’ पर रवीश कुमार का नौजवानों के नाम खुला खत
मेरे प्यारे बेरोज़गार मित्रों, छोटा पत्र लिख रहा हूँ। मैं आपके आंदोलन से प्रभावित नहीं हूँ। आप में जनता होने का बौद्धिक संघर्ष शुरू नहीं हुआ है। आपकी राजनीतिक समझ चार ख़ानों तक ही सीमित है। इसलिए आप लोगों से कोई उम्मीद नहीं रखता। जो युवा मीडिया और मीम से भीड़ में बदले जा सकते…
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बेरोजगारी के खिलाफ युवाओं के समर्थन में मशालों के साथ खड़ा हो गया पूरा देश
जनता ने अब सत्ता की भाषा में सवाल पूछना शुरु कर दिया है। पांच सितंबर को शाम पांच बजे पांच मिनट तक बेरोज़गारी की थाली पीटने के देशव्यापी अभियान के बाद अब 9 सितंबर को रात्रि 9 बजे 9 मिनट तक अँधेरे के खिलाफ़ मशाल जलाकर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम से पहले #9बजे9मिनट…
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विकास नहीं, यह मौत का है रास्ता
वह समाज खूबसूरत होता है जो अपनी कमियों को हंसते हुए स्वीकार करे और उसे ठीक करने के लिए कमर कस ले। यह हरेक इंसान के लिए भी जरूरी है। हर आदमी शीशे में अपना चेहरा देखते हुए थोड़ा नुक्स निकालता है और उसे ठीक करने के तरीके ढूंढने निकल जाता है। लेकिन इतना तो…