Friday, March 29, 2024

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हाल बनारस के बुनकरों का: “न फ्रिक में हैं, न जिक्र में हैं, हम केवल वोट में हैं”

वाराणसी। बनारस में बजरडीहा बुनकर बाहुल्य इलाका है। बुनकरों की बर्बादी, लाचारी, बेबसी और असमय मौत का चलता-फिरता दस्तावेज है ये इलाका। यहां की कच्ची-पक्की गंदगी से भरी गलियों में दड़बेनुमा घरों में हुनरमंद बुनकरों की बिनकारी का दम...

ग्राउंड रिपोर्ट: संघी ‘ताना-बाना’ में सिसक रही बनारसी बुनकरों की ज़िंदगी

(बनारस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है। यहां की बनारसी साड़ियां विश्व विख्यात हैं। बनारसी साड़ियों के कुटीर उद्योग से लाखों लोगों का परिवार चलता है। आज यही उद्योग बर्बादी की कगार पर है। बुनकर समुदाय आंदोलन की...

कोरोना के संकट काल में बुनकरों की सस्ती बिजली खत्म करना अपराध: दारापुरी

लखनऊ। प्रदेश सरकार से 2006 से बुनकरों को मिल रही सस्ती बिजली को खत्म करने का फैसला विधि विरूद्ध और मनमर्जी पूर्ण है। यह सरकार की ‘वन डिस्टिक-वन प्रोजेक्ट’ जैसी घोषणाओं की सच्चाई को भी सामने लाती है। इस...

लोकमोर्चा ने कृषि कानूनों को बताया फासीवादी हमला, बनारस के बुनकर भी उतरे किसानों के समर्थन में

बदायूं। लोकमोर्चा ने मोदी सरकार के कृषि विरोधी कानूनों को देश के किसानों पर फासीवादी हमला बताया है। संगठन ने कहा है कि कृषि कानूनों को संसद में असंवैधानिक तरीके से पारित कराने के लिए संवैधानिक लोकतंत्र का गला...

बुनकरों की मुर्री बंद हड़ताल को आइपीएफ ने दिया समर्थन

लखनऊ। वाराणसी समेत पूरे पूर्वांचल में बुनकरों द्वारा आज मंगलवार से शुरू की गई मुर्री बंद हड़ताल को ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट और वर्कर्स फ्रंट ने समर्थन दिया है। आइपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व आईजी एसआर दारापुरी और...

बनारस के बुनकरों ने स्मृति ईरानी को लिखा पत्र, कहा- हाथों से छिना काम, गुजर-बसर के लिए दिया जाए राहत पैकेज

ऐपवा के आह्वान पर सोमवार को बनारस की बुनकर महिलाओं ने परिवार के साथ घर और मोहल्ले से अपनी वाजिब मांगो के साथ आवाज बुलंद की। ऐपवा ने केंद्रीय बाल विकास मंत्री और कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी को उनकी...

देश के 32 लाख हथकरघा कामगारों के सामने भुखमरी के हालात

वो मई का महीना था, जब दिल्ली के सीलमपुर से आशा नाम की एक महिला ने मेरे मोबाइल नंबर पर फोन कर कहा था, “राशन दिलवा दीजिए नहीं तो हम भूखे मर जाएंगे। मेरे बच्चे तीन दिन से भूखे...

वोट तो चाहिए, लेकिन मजदूर नहीं

वाराणसी जिले में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों की संख्या लाखों में है। इसमें घरेलू कामगार, निर्माण मजदूर, रिक्शा चालक, पटरी दुकानदार, हैंडलूम और पॉवरलूम के मजदूर, कारपेंटर, चमड़ा का काम करने वाले श्रमिक इत्यादि शामिल हैं।...

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भगत सिंह और उनके साथियों की शहादत से कौन डरता है?

भगत सिंह और उनके साथियों की शहादत से कौन डरता है? इस वर्ष मार्च तक आते-आते भारत में राजनीतिक सामाजिक...