नई दिल्ली। किताबों की दुनिया हर दो-तीन साल में थोड़ी सी परिवर्तित जाती है लेकिन उस फ़र्क को बहुत साफ-साफ नहीं पहचाना जा सकता। यह एक धीमे बदलाव वाली संस्कृति है। हर साल के मुकाबले इस साल मैंने किताबें...
इंकलाब प्रेम की आखिरी मंज़िल है। प्रतिरोध के पत्थर पर ही मुहब्बत के फूल खिलते रहे हैं। 'प्यार में शाहीन बाग' एक ऐसी ही कहानी है, जो खुद में सब कुछ समेटे है। अल्पसंख्यकों के हक़ के सवाल, ध्रुवीकरण...