Thursday, April 25, 2024

कृषि कानूनः ‘किसानों को कंपनीराज के गिरमिटिया मजदूर बनाने की तैयारी’

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर ऑल इंडिया वर्कर्स कॉउंसिल और किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा ने विचार गोष्ठी का आयोजन किया। शहीद स्मारक शोध संस्थान में हुई गोष्ठी में सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, वकीलों, बुद्धिजीवियों, प्रोफेसरों, छात्रों और कर्मचारियों ने व्यापक भागीदारी की।

महात्मा गांधी ने जिन मूल्यों, सिद्धांतों के सहारे साउथ अफ्रीका से लेकर हिंदुस्तान तक आंदोलनों के माध्यम से किसानों, मजदूरों, गरीबों, पीड़ितों, महिलाओं अछूतों, गिरमिटियों एवं तमाम ऐसे लोग जिनका प्रत्यक्ष एवं परोक्ष शोषण हो रहा था और गुलामी के जूए में पिस रहे थे,  उनके लिए तमाम यातनाएं सह कर भी काम किया और अंततः फासीवादी ताकतों द्वारा हत्या भी कर दी गई। आज उन्हीं फासीवादी ताकतों की सरकार उन सभी मूल्यों को ध्वस्त करते हुए ब्रिटिश हुकूमत से भी ज्यादा बर्बरतापूर्ण व्यवहार कर रही है। देश की संसद को बंधक बनाकर किसान, मजदूर विरोधी कानून उन परिस्थितियों में पास किया जब पूरा देश कोरोना महामारी से त्रस्त एवं कराह रहा है। गोष्ठी में उपस्थित सभी लोगों ने इस सरकार की भर्त्सना करते हुए किसान, मजदूर विरोधी कानून को एक स्वर से खारिज करते हुए इसे वापस लेने के लिए प्रस्ताव पास किया।

गोष्ठी में उपस्थित ओपी सिन्हा ने प्रस्ताव को रखते हुए कानूनों के बारे में विस्तृत चर्चा की और यह स्पष्ट किया कि यह कानून लागू हो जाने पर किसानों की अपनी जमीनों से बेदखली तथा किसानों द्वारा उत्पादित माल की पूंजीपतियों द्वारा लूट तथा कानून में प्रदत्त अकूत भंडारण का अधिकार तथा उत्पादन को आवश्यक वस्तु कानून से बाहर किए जाने से जमाखोरी और मुनाफाखोरी असीमित बढ़ती चली जाएगी तथा देश में सूखा पड़ने या अकाल पड़ने पर किसानों, मजदूरों को भूखों मरना पड़ेगा। यह कानून आम जन को तबाही में लाने वाला कानून है और इसे किसी भी कीमत पर लागू नहीं होना चाहिए।

इस कानून पर अपनी बात रखते हुए अजय शर्मा ने कहा कि यह कानून पूरी तरह से पूंजीपतियों के हित में अमेज़न, वालमार्ट, अंबानी, अडानी जैसे लोगों को अकूत मुनाफा कमवाने के लिए बनाया गया है। जाने माने साहित्यकार एवं अर्थशास्त्री भगवान स्वरूप कटियार ने कहा कि यह कानून किसानों की जमीन छीनने तथा किसानों द्वारा उत्पादित माल की लूट एवं मजदूरों के श्रम की लूट का कानून है। लंबे समय के प्रयास से इन जन विरोधी ताकतों को सफलता मिल गई है।

वरिष्ठ अधिवक्ता एएस बहार ने दुनिया की पूंजीवादी ताकतों के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि ये गठबंधन बनाकर अब भारत में फिर से औपनिवेशिक काल की तरह लूट का राज कायम करना चाहते हैं। कानून के बारे में मोदी द्वारा जनता के हित में बताया जाना जनता के साथ धोखा है। सामाजिक कार्यकर्ता विपिन त्रिपाठी ने यह बात स्पष्ट की है कि यह देश पेंच में फंसा दिया गया है सरकार की कथनी और करनी में भारी अंतर ने जनता को भ्रम की स्थिति में ला दिया है। जनता के ही खिलाफ कानून बनाकर जनता के हित में बताया जाना देश के साथ धोखा है।

सामाजिक कार्यकर्ता संजय राय ने यह साफ कहा कि जमीन का अधिग्रहण कॉरपोरेट फार्मिंग या संविदा खेती, ये सारी कार्यवाही कंपनियों का काला धन सफेद करने का सबसे बड़ा उपाय या साधन है। पहले भी एससीजेड के नाम पर लाखों हेक्टेयर जमीन लेकर कॉरपोरेट घरानों ने बड़ा इन्वेस्टमेंट दिखा करके काले धन को सफेद धन में बदल दिया, जबकि जमीन पर प्रोजेक्ट का कहीं अता पता नहीं है। अब यह अकूत भंडारण का कानून और संविदा खेती तथा कृषि उत्पादन का आवश्यक वस्तु कानून से बाहर करना कंपनियों की लूट को छूट देने के लिए बनाया गया है, जिसे खारिज किया जाना चाहिए।

किसान नेता शिवाजी राय ने कहा कि 2013 में भूमि अधिग्रहण कानून 1994 के संशोधन के बाद कंपनियों की जमीन पाने की मुश्किलें बढ़ गईं, जिसके कारण पूर्ववर्ती सरकार से नाराज़ कंपनियां मोदी जी को आगे कर भारी निवेश के उपरांत प्रधानमंत्री बनवाने में सफल हो गईं, जिसके बदले में जमीन अधिग्रहण का कानून बदले जाने और श्रम कानूनों में मजदूरों के हितों की अनदेखी करते हुए 1948 के उन सभी कानूनों को खत्म करने तथा खेती संबंधी अन्य कानून के बदलाव का जिम्मा मोदी जी ने उठाया था, जिसमें लगातार प्रयास के बाद उन कानूनों को पास कराने में अब सफलता मिली।

यहां तक कि यह देश का ऐसा कानून है जो मामलों को प्रशासनिक स्तर पर निपटाने का अधिकार देता है और न्यायालय जाने का अधिकार छीन लेता है। इसलिए यह पूरी तरह से हिंदुस्तान में काले कानून के रूप में देखा जाना चाहिए और इसे खत्म करने के लिए किसान, मजदूर, नवजवान सबको एकजुट होकर पूरे देश में व्यापक जन आंदोलन चलाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह कानून किसानों एवं मजदूरों को उत्पादन एवं मेहनत की लूट की खुली छूट देता है इसे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

अरविंद पचौरी ने साफ तौर पर कहा कि 2013 के कानून संशोधन के बाद पूंजीपतियों की लामबंदी ने मोदी जी को लाकर कानून बनवाने में सफलता पाई है। यह सरकार किसान, मजदूर विरोधी है। इसके खिलाफ संगठित होकर लड़ने की जरूरत है। एडवोकेट वीरेंद्र त्रिपाठी ने इस कानून पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह एक ऐसा कानून है कि किसी भी विवाद की स्थिति में किसानों को न्यायालय जाने की अनुमति नहीं देता। यह किसानों के मौलिक अधिकारों का हनन है। इसे काले कानून के रूप में जाना जाना चाहिए और इसे खत्म होना चाहिए। एडवोकेट अभिषेक दिक्षित ने कानून को किसान, मजदूर विरोधी बताते हुए कहा कि अपने उत्पादन का दाम सरकार के हस्तक्षेप के बाद भी किसान नहीं पाता है। संविदा खेती किसानों को मजदूर बनाने की कार्रवाई है।

पत्रकार रजत ने कहा कि किसानों की हालत पहले से ही अच्छी नहीं है। ये कानून बन जाने के बाद किसानों की दिक्कत और बढ़ जाएगी और कंपनियों की लूट का रास्ता साफ हो जाएगा। अनस ने मजदूरों के पक्ष को रखते हुए कहा कि श्रम कानूनों के साथ पहले से ही इतना तोड़-मरोड़ किया गया है कि मजदूर काम करते-करते शारीरिक और मानसिक बीमार हो जा रहा है। नया कानून जो हायर एंड फायर का है, मतलब 300 मजदूरों वाली कंपनी से मजदूरों को कभी भी बाहर किया जा सकता है, जिसमें सरकार को सूचना देने की जरूरत भी नहीं है। यह कानून मजदूरों को गिरमिटिया की अवस्था में ले जाता है।

कॉ. राम कृष्ण ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि अब सरकार चालाकी से खेती को जीएसटी के दायरे में लाना चाहती है, तथा कंपनियों को अकूत मुनाफा कमाने के लिए यह कृषि कानून में बदलाव किया गया है। यह संभव नहीं है कि समयावधि पूरी होने पर किसान, कंपनियों से अपनी जमीन वापस ले पाए। इसमें कंपनियों और सरकार की साझी सांठगांठ है। इस कानून के जरिए सरकार और कंपनियां दोनों को किसानों से लूटने का मौका मिलेगा। यह कानून सुनिश्चित करता है कि परोक्ष या प्रत्यक्ष किसानों से  जीएसटी वसूल की जाएगी। मजबूर होकर किसान जमीन छोड़कर मजदूर हो जाएगा, जिसके लिए लंबे अरसे से इसकी भूमिका तैयार की जा रही थी। सभा का संचालन छात्र नेता ज्योति राय ने किया।

शोध संस्थान के सचिव जयप्रकाश जी ने गांधी जयंती के अवसर पर गांधी जी के विचारों-सिद्धांतों को बड़ी मजबूती से रखते हुए कहा कि जिस तरह से चंपारण में तीन कठिया आंदोलन तथा सांप्रदायिक दंगे में नोवाखली में गांधी ने काम किया, आज जरूरत है हम सबको किसानों, मजदूरों के खिलाफ बने कानून के खिलाफ लड़ने तथा समाज में अशांति पैदा करने वालों के खिलाफ जोरदार आवाज़ उठाने के लिए तत्पर हो। साथ ही संस्थान में आयोजित कार्यक्रम के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। छात्र एवं सामाजिक कार्यकर्ता शाहनवाज, नदीम, शोध छात्र दुर्गेश चौधरी और रुद्र प्रताप सिंह, वरिष्ठ पत्रकार राजीव रंजन झा के साथ साथ अन्य लोगों ने भी कार्यक्रम में शिरकत की।

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles