Tuesday, April 23, 2024

बग़ैर किसी नोटिस और वारंट के दिल्ली पुलिस ने नौजवान भारत सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष योगेश स्वामी को उठाया

नई दिल्ली। ज़रूरतमन्दों को भोजन-राशन पहुंचाने के काम में एक पखवाड़े से जुटे नौजवान भारत सभा यानी नौभास के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष योगेश स्वामी को दिल्ली पुलिस ने उठा लिया है। उनके साथियों ने बताया है कि दिन में क़रीब पौने दो बजे 8-9 पुलिस कर्मी जिनमें 2-3 सादी वर्दी में थे, दिल्ली स्थित नौभास के केन्द्रीय कार्यालय करावल नगर पहुंचे। पहले उन लोगों ने योगेश के बारे में पूछताछ शुरू की और फिर आनन-फानन में उन्हें गाड़ी में डालकर चलते बने।

पुलिसकर्मियों ने न अपने आई कार्ड दिखाये, न उठाने संबंधी कोई नोटिस दिखाया और न ही वारंट जैसा कोई दस्तावेज़ उनके पास था। पूछे जाने पर कहने लगे कि सम्बन्धित कागज व्हाट्सएप्प पर भेज दिया जायेगा। नौभास के नेताओं ने इसे पुलिस प्रशासन द्वारा अंजाम दिया गया सीधा-सीधा अपरहण करार दिया है।

उनका कहना है कि उन्हें डर इस बात का है कि योगेश के साथ कोई अनहोनी न हो जाए। फ़िलहाल तक न तो संगठन को कोई नोटिस मिली है और न ही उन्हें उस जगह का ही पता चला है जहाँ उन्हें ले जाया गया है। संगठन के नेताओं ने देश के जागरूक नागरिकों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और छात्र-युवाओं से अपील कर उनकी तलाश करने की गुज़ारिश की है। साथ ही पुलिस प्रशासन पर योगेश को रिहा करने के लिए दबाव बनाने की ज़रूरत पर भी बल दिया है।

संगठन के नेताओं का कहना है कि लॉक डाउन के इस पूरे दौर में तमाम जगहों से सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं, आम युवाओं की तानाशाही पूर्ण तरीके से धरपकड़ की जा रही है। पुलिस-प्रशासन को अपनी मनमानी करने की खुली छूट मिली हुई है। उनका सीधा आरोप है कि यह सब सीधे गृहमन्त्रालय और अमित शाह के इशारे पर हो रहा है। विभाजन कारी सीएए और ग़ैरजनवादी एनआरसी के ख़िलाफ़ उठ खड़ा हुआ जनान्दोलन लाख प्रयास करने के बावजूद भी सरकार के गले की फाँस बना हुआ था। इस आन्दोलन को ख़त्म करने में जब अफवाहों, धार्मिक नफ़रत और दंगों से भी काम नहीं बना तो कोरोना महामारी को ही अवसर के तौर पर लिया जा रहा है।

एनआरसी-सीएए विरोधी धरनों को फ़िलहाल स्थगित भी कर दिया गया था लेकिन प्रशासन चाहता है कि भविष्य में लोग फ़िर से सड़कों पर न उतर पड़ें इसलिए तमाम नेतृत्वकारी लोगों को उठाया जा रहा है। सरकार विरोध में उठने वाली हर शान्तिपूर्ण और लोकतान्त्रिक आवाज़ को भी कुचलने पर आमादा है। कोरोना के चलते अब सरकार को जनान्दोलन का भी भय नहीं रह गया है। महामारी के इस संकट के समय भी पुलिस-प्रशासन जनता और निर्दोष कार्यकर्ताओं को सताने के काम में मुस्तैदी से जुटा हुआ है। संगठन के नेताओं ने चेतावनी देते हुए कहा है कि सरकार और पुलिस की यह हिटलरशाही कत्तई बर्दाश्त नहीं की जायेगी।

जनचौक ने करावल नगर थाने में फ़ोन कर मामले की जानकारी लेनी चाही लेकिन वहाँ फ़ोन नहीं उठा। इसके साथ ही डीसीपी स्पेशल ब्रांच के नंबर भी फ़ोन किया गया लेकिन वहाँ से भी कोई जवाब नहीं मिला।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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