ग्राउंड रिपोर्ट: चंदौली के आधा दर्जन गांवों में डायरिया का कहर; मरीजों से पटे अस्पताल, तीन की मौत

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चंदौली। बदलते मौसम, दूषित पेयजल और स्वास्थ्य महकमे की आधी-अधूरी तैयारियों के चलते डायरिया ने चंदौली जनपद में हाहाकार मचाया हुआ है। जनपद के सुदूर नौगढ़, सकलडीहा, मुगलसराय-पड़ाव व चकिया विकास खंड के आधा दर्जन से अधिक गांव एक के बाद एक डायरिया की चपेट में आ रहे हैं।

सोमवार, मंगलवार और बुधवार को डायरिया से पीड़ित बच्चों, लड़कियों, महिलाओं और बुजुर्गों की तादात इतनी बढ़ गई कि नौगढ़ सीएचसी, चहनिया, सकलडीहा व पड़ाव क्षेत्र से मरीज जिला अस्पतालों के लिए रेफर किए जा रहे हैं। जनपद में अब तक डायरिया की चपेट में आने से बरियारपुर निवासी तीस वर्षीय सजीवन, गहिला के पैंसठ वर्षीय छोटेलाल, पड़ाव-चौरहट गांव के चार वर्षीय मासूम लीबा ने दम तोड़ दिया है।

जनपद के सरकारी अस्पताल में 200 से अधिक मरीजों का इलाज चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग ग्रामीणों को ओआरएस घोल और कुछ दवाइयां देकर कोरम की पूर्ति में जुटा हुआ है। डायरिया प्रभावित गांवों से हर दिन पानी के नमूने जांच के लिए भेजे जा रहे हैं, लेकिन रिपोर्ट कब आएगी? किसी को पता नहीं है। इधर, ग्राउंड में डायरिया कंट्रोल होने के बजाए एक के बाद एक गांव में पांव पसार रहा है। हजारों ग्रामीणों में दहशत का माहौल है।

जिला अस्पताल चंदौली के गेट पर जलभराव से परेशान मरीज व तीमारदार।

मौत और दहशत

पड़ाव के चौरहट निवासी इकबाल की पुत्री रविवार की रात अपने परिजनों के साथ रात्रि का भोजन किया और सोने चली गई। थोड़ी ही देर बाद उसे उल्टी के साथ दस्त की शिकायत हुई। कुछ देर बाद हालत बिगड़ने लगी तो परिजन उसे अस्पताल ले जाने की तैयारी कर ही रहे थे कि मासूम की सांसें थम गई। अस्पताल पहुंचने पर चिकित्सकों ने उसे देखते ही मृत घोषित कर दिया। जब तक स्वजन अस्पताल से घर लौटते, इसी परिवार के पांच वर्षीय उमर, बीस वर्षीय चांदनी और चालीस वर्षीय शबनम को भी उल्टी-दस्त शुरू हो गए।

अमृतकाल में दुश्वारियों के दाग

देखते ही देखते इन लोगों के पड़ोसी सकीना, शाहजहां, यूनुस, नाजिया, खुशबू खाना, चांद बाबू, फिरोज, प्रवीण, नरगिस, जमाल, सानिया, कल्लू, सैफ, फरजाना, मदीना, सारिका, मुस्ताक, फरजाना बीबी व रेहाना समेत 24 लोग डायरिया की चपेट में आ गए। चिकित्सकों का कहना है कि ये लोग दूषित भोजन और दूषित पेयजल के सेवन से डायरिया के शिकार हुए हैं।

ऐसे में बड़ा सवाल यह कि यह कैसा आजादी का अमृत महोत्सव काल है, जिसमें नागरिकों को साफ़ पेयजल, स्वच्छ वातावरण और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा है। जबकि सूबे को डबल इंजन की सरकार खींच रही है।

वार्डों में भर्ती मरीज।

मरीजों से पटा जिला अस्पताल

‘जनचौक’ की टीम बुधवार को चंदौली जिला अस्पताल के भर्ती वार्ड में पहुंची। शाम को चार बज रहे हैं। अस्पताल के एक कोने में बने भर्ती वार्ड में भयंकर उमस और सन्नाटा है। दो-चार लोहे-स्टील के बेंच महिला-पुरुष वार्ड के बाहर पड़े हैं, जिन पर कुछ तीमारदार हैरान-परेशान नजर आए। महिला और पुरुष वार्ड मरीजों से अटा पड़ा है।

एक वार्ड में बेड भर जाने के बाद भी आने-जाने वाले स्पेस में अलग से बेड डालकर मरीजों को भर्ती किया गया। वार्ड के बेड पर मरीज लेटे हुए हैं। किसी के तीमारदार नर्स का इंतज़ार कर रहे हैं तो किसी को डॉक्टर का इंतज़ार है। जबकि आसपास कोई नर्स नजर नहीं आई। अलबत्ता एक नर्स केबिन में बगैर नर्स की ड्रेस में एक महिला फोन पर बात करते हुए मिली।

गंदगी के बीच जीने को मजबूर बाशिंदे

चहनिया विकास खंड के सेवड़ी-मड़ई गांव की मनोरमा कुमारी कक्षा चार की मेहनती और पढ़ने में अव्वल छात्रा है। वह गत शुक्रवार तक अपने स्कूल पढ़ने के लिए जाती रही। अचानक शनिवार की दोपहर में उल्टी-दस्त होने पर वह कुछ ही घंटों में बेसुध हो गई। उसे इलाज के जिले चंदौली जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मनोरमा के पिता राजकुमार अनुसूचित जाति से हैं।

डायरिया से पीड़ित मनोरमा

वह ‘जनचौक’ को बताते हैं कि ‘मेरे मोहल्ले में बिजली, रास्ता, हैंडपंप और साफ-सफाई का अभाव है। हम लोग और आसपास की बस्ती के बाशिंदे आज भी हैंडपंप नहीं होने से कुएं का पानी पीते हैं। नहाने-धोने के पानी की निकास की कोई व्यवस्था नहीं है। मोहल्ले के रास्ते में गर्मी, सर्दी और बारिश में पानी जमा होकर सड़ता रहता है।”

‘स्वास्थ्य महकमे की लापरवाही’

राजकुमार आगे कहते हैं कि “आशा कार्यकर्ता, स्वास्थ्य महकमे का कोई कर्मचारी और सफाई कर्मी कभी भी साफ सफाई व दवाई का छिड़काव करने नहीं पहुंचते हैं। हम लोग अपने हाल पर जी रहे हैं। शनिवार की शाम को अचानक बेटी की तबियत बिगड़ गई। लगातार उल्टी-दस्त से बेटी तो बेसुध हो गई। यह देख मैं भी सहम गया। आनन-फानन में स्थानीय क्लिनिक पर ले गया। वहां से सीधे हम लोगों को जिला अस्पताल भेज दिया गया है। यहां शनिवार से एडमिट हैं”।

वो कहते हैं कि “तबियत में बहुत सुधार नहीं है। सिर्फ उलटी-दस्त बंद है। बिटिया को कमजोरी और कंपकपी बनी हुई है। मेरे ही पड़ोस का एक किशोर डायरिया की चपेट में आने से यहां भर्ती था, लेकिन उसकी तबियत में सुधार नहीं होने से उसे लोग दूसरे अस्पताल में ले गए हैं। स्वास्थ्य महकमा यदि समय रहते इस संक्रामक बीमारी के प्रति गांवों में जागरूकता और बचाव के तरीकों के बारे में बताया होता तो आज यह स्थिति नहीं होती।”

डायरिया की मरीज मनोरमा के पिता राजकुमार।

मगरही गांव में मचा है हाहाकार

नौगढ़ के मगरही में बड़े पैमाने पर डायरिया के पैर पसारने से ग्रामीणों में दहशत है। हाल ही में हीरा यादव, सुहानी, अखिलेश, दयानंद, विजयलाल, सुरेंद्र, चंद्रावती की हालत गंभीर होने पर जिला अस्पताल भेजा गया है। लालव्रत (50), सुरेंद्र (35), विजय लाल (60), चंद्रावती (34), सुहानी 15 माह, सुमति (13),अमन (10) लक्ष्मीना (32), सूर्यभान (25), रामसेवक (75), सुनील (13), आयुष (4), सुभाष (17), पूजा (26), नेहा (16), महावीर (40), हीरा (55),प्रीतम 8), रमेश (42), सुंदरी (24), सूरज (10), अखिलेश 20), जसवंती (22), लोरिक (6), लव कुश (21), दयानंद (30), कविता (22), सुनैना (10), सुनील (18), गोलू (15), शिवम (04), सरिता (06) समेत सौ से अधिक नागरिक डायरिया से ग्रसित हैं।

स्वास्थ्य विभाग ने गांव की नालियों व कुएं में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव कराया है। जिंक की गोलियां और ओआरएस के पैकेट बांटे गए हैं।

‘हम गरीब हैं निजी अस्पताल नहीं जा सकते’

नौबतपुर-खजुरा निवासी 21 साल की पूनम जिला अस्पताल में भर्ती हैं, इन्हें भी डायरिया की शिकायत है। वह अपने बेड पर उदास और शांत बैठी हैं। सकलडीहा निवासी पूनम के पिता राजाराम, अपनी बेटी के बेड के पास टेबल पर बैठे हैं। वह कहते हैं कि “बेटी को डायरिया कि शिकायत होने पर बुधवार की दोपहर में चंदौली जिला अस्पताल में भर्ती कराया है। पानी, ग्लूकोस और अन्य दवा चढ़ाई जा रही थी, जिसे खत्म हुए दो घंटे हो गए हैं। मैंने तीन बार नर्स की केबिन का चक्कर लगा लिया है, लेकिन अब तक एक बार भी नर्स देखने नहीं आई है”।

मरीज पूनम और पास में बैठे राजाराम।

राजाराम कहते हैं कि “पूनम की तबियत तो खराब है ही, उसके साथ डेढ़-दो साल का एक छोटा बच्चा है। उसकी भी फिक्र है। यहां के स्टाफ की लापरवाही से कहीं ऐसा न हो कि उसकी भी तबियत बिगड़ जाए। डॉक्टर ने दोपहर में जांच लिखी थी, जिसकी रिपोर्ट अभी नहीं मिली है। यहां जांच, इलाज और स्टाफ की सेवा बहुत धीमी है। जिस पर किसी का कोई ध्यान नहीं है। हम लोग गरीब आदमी हैं। निजी अस्पताल में जा नहीं सकते हैं। लिहाजा, सुबह होने का इंतज़ार कर रहे हैं कि जांच रिपोर्ट मिले और डॉक्टर आये तो उनसे गुजारिश कर अच्छी दवा लिखने को कहूंगा।”

क्या कहते हैं जिम्मेदार अधिकारी?

सीएमओ डॉ वाई के राय ने बताया कि “बारिश के सीजन में धूप-उमस और ठंडक के बीच डायरिया व दूसरी संक्रामक बीमारियों के प्रसार की आशंका रहती है। डायरिया के मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग की टीम सक्रिय है। सूचना मिलते ही चिकित्सकों को गांवों में भेजा जा रहा है। दवाओं की कमी नहीं है। लोगों को बीमारी की सूचना तुरंत देनी चाहिए। प्रभावित गांवों की साफ-सफाई, गलियों में ब्लीचिंग पाउडर के छिड़काव के साथ ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है।”

(उत्तर प्रदेश के चंदौली से पवन कुमार मौर्य की ग्राउंड रिपोर्ट।)

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