दरभंगा में बर्बरता की इंतहा! गर्भवती महिला और उसके भाई की जिंदा जला कर हत्या

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अगर 09 फरवरी 2022 को समय रहते जिला प्रशासन और पुलिस ने हमारे परिवार की गुहार सुनी होती तो, आज मेरे परिवार के लोग जिंदा होते। यह कहना है दरभंगा के जीएम रोड में घटित जघन्य तिहरे हत्याकाण्ड के पीड़ित परिवार की चश्मदीद और तीन भाई बहनों में जिंदा बची छोटी बहन निक्की झा का।

10 फरवरी का यह खौफनाक मंजर बिहार के दरभंगा स्थित जीएम रोड पर घटित हुआ था, जिसकी गिनती पॉश इलाकों में होती है। जहां दिवंगत श्रीनाथ झा का पूरा परिवार रहता था। झा  मधुबनी जिले के सरिसव पाही गांव के रहने वाले बताये जा रहे हैं, जो अपने पूरे परिवार के साथ उक्त स्थान पर पिछले 40 साल से रह रहे थे। झा के परिवार में उनकी पत्नी, दो बेटी पिंकी झा, निक्की झा और एक बेटा संजय झा साथ-साथ जिंदगी बसर कर रहे थे। लेकिन भू-माफिया को यह सब नागवार लगा। पहले 9 फरवरी को भू-माफिया शिव कुमार झा जो मधुबनी के लदनियां का रहने वाला है, करीब 20-25 की संख्या में पीड़ित परिवार के यहां बुलडोजर के साथ धमकी देने आया और पीड़ित परिवार को जगह खाली करने की धमकी दी।

इस बीच पीड़ित परिवार ने थाने की पुलिस के साथ ही एसपी से भी सुरक्षा की गुहार लगाई, लेकिन दरभंगा के एसपी पीड़ित परिवार नहीं मिले, थक-हार कर पीड़ित परिवार अपने घर वापस आ गया। भू-माफिया पूरे लाव लश्कर के साथ एक बार फिर 10 फरवरी को जगह खाली कराने की नीयत से पीड़ित परिवार के यहां आ धमका, और बिना कुछ कहे घर पर बुलडोजर चलाने लगा। विरोध करने पर मारपीट के साथ-साथ पेट्रोल बम का इस्तेमाल किया और फिर आग लगा दिया। जिसमें परिवार के तीन सदस्य बुरी तरह जल गए।

तत्काल गंभीर रूप से घायल पिंकी झा जिसके गर्भ में 8 महीने का बच्चे पल रहा था, और उसके भाई संजय झा को पटना के पीएमसीएच अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां दोनों का इलाज बर्न वार्ड में चल रहा था, इधर इलाज के दौरान पिंकी झा के गर्भ में पल रहे 8 महीने के बच्चे की गर्भ में ही मौत हो गई और फिर 15 फरवरी यानी मंगलवार को पिंकी झा और उसके भाई संजय झा की भी मौत हो गई। दरभंगा में इसकी खबर लगते ही लोग आक्रोशित हो गए, और जिला प्रशासन के साथ-साथ स्थानीय विधायक और सांसद के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

मकान जिसको ध्वस्त किया गया

आखिर इस मामले की शुरुआत कहां से हुई

यह साल 2017 था जब पहली बार इस जगह को लेकर विवाद हुआ। दरअसल यह जमीन दरभंगा राज परिवार की थी, जिसे पीड़ित परिवार को दिया गया था। लेकिन राज परिवार के सदस्य कपिलेश्रर सिंह ने इस जमीन को भू-माफिया शिव कुमार झा के हाथों 2017 में बेच दिए, जिसके बाद से पीड़ित परिवार और भू-माफिया शिवकुमार झा के बीच जमीन को लेकर विवाद शुरु हुआ। मामला लोअर कोर्ट से लेकर हाई कोर्ट तक पहुंचा। फिलहाल मामला हाईकोर्ट के अधीन है, साथ ही दरभंगा के पुलिस कमिश्नर मामले में स्टे ऑर्डर भी जारी कर चुके हैं। इसके बावजूद भू-माफिया शिव कुमार झा की ओर से कोर्ट और पुलिस कमिश्नर के ऑर्डर को नहीं मानते हुए मकान पर न सिर्फ बुलडोजर चलाया गया, बल्कि दो लोगों के साथ-साथ गर्भ में पल रहे बच्चे को जिंदा जला दिया।

मामला राजपरिवार से जुड़ा हुआ है

विवादित जमीन दरअसल दरभंगा राज परिवार की है। दरभंगा के राजा रामेश्वर सिंह के तीन संतान थी, पहली लक्ष्मी दाई, दूसरे महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह, और तीसरी राजा बहादुर सिंह। राजा बहादुर सिंह के तीन संतानों में से सबसे छोटे शुभेश्वर सिंह की दो संतानों में राजेश्वर सिंह और कपिलेश्वर सिंह हैं। विवाद यहीं से उत्पन्न होता है। शुभेश्वर सिंह ने यह जमीन अपने साढू श्री नाथ झा, जो पेशे से इंडियन नेशन में पत्रकार थे, उन्हें दे दी थी। उस समय चूँकि जुबानी खतियान यानी ओरल एग्रीमेंट ज्यादा मायने रखता था, हालांकि बाद में पेपर भी तैयार कर लिया गया। लेकिन राजा शुभेश्वर सिंह के बेटे कपिलेश्वर सिंह ने बिना किसी को संज्ञान में लेते हुए यह जमीन भू-माफिया शिव कुमार झा के हाथों बेच दी और विवाद यहीं से उत्पन्न हुआ।

जब मामला हाई कोर्ट के अधीन है और जमीन पर स्टे लगा हुआ है, तो फिर तिहरे हत्याकांड को क्यों दिया गया अंजाम

जमीन से जुड़ा यह पूरा मामला हाई कोर्ट के अधीन है, इसके बावजूद आरोपी की ओर से इस तरह की घटना को अंजाम दिया गया, वो भी दरभंगा के बीचों-बीच। दरअसल, कपिलेश्वर सिंह और राजेश्वर सिंह दोनों हत्याकांड में मारे गए संजय झा और पिंकी झा के मौसेरे भाई हैं, जिन्होंने यह जमीन शिवकुमार झा के हाथों बेच दिया, और शिव कुमार झा इस जमीन पर मॉल के साथ-साथ अपार्टमेंट बनाना चाहता था। इसी क्रम में वो जमीन किसी भी तरह से हथियाना चाहता था।

मौके पर पहुंचे प्रशासन के लोग

भू-माफिया शिव कुमार झा पर बड़े-बड़े नेताओं का है आशीर्वाद ?

बताया जा रहा है कि मुख्य आरोपी शिवकुमार झा का क्रिमिनल बैकग्राउंड रहा है, फिलहाल वह जमीन खरीद बिक्री का काम करता है, उसके पास काफी पैसे हैं, लिहाजा बड़े-बड़े नेताओं का भी उसके ऊपर वरदहस्त माना जा रहा है। वहीं पीड़ित परिवार का कहना है कि घटना के दिन आरोपी और उसके मौसेरे भाई कपिलेश्वर सिंह दरभंगा में ही उपस्थित थे, जो घटना के अगले दिन विदेश चले गए, वहीं पीड़ित परिवार की माने तो इस विवाद को रोका जा सकता था, अगर जिला प्रशासन और पुलिस समय रहते संज्ञान लेते ।

क्या रहा जनप्रतिनिधियों का रवैया ?

दरभंगा के इस तिहरे हत्याकांड में स्थानीय जनप्रतिनिधियों का भी रवैया संदिग्ध माना जा रहा है, मुख्य आरोपी शिव कुमार झा को जहां बिहार सरकार में एक रसूखदार मंत्री का बरदहस्त प्राप्त है, या यूं कहें कि वो मंत्री जी का करीबी माना जा रहा है, वहीं स्थानीय विधायक और सांसदों का भी रुख पूरे कांड को लेकर स्पष्ट नहीं रहा। घटना के पांच दिन बाद स्थानीय सांसद गोपालजी ठाकुर पहले तो फेसबुक के माध्यम से पीड़ित परिवार को सांत्वना दिए, और फिर पीड़ित परिवार के घर पहुंच कर मामले में सीबीआई जांच की मांग की। वहीं मामले को लेकर स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश है, लिहाजा माले, जाप, हम के साथ-साथ अन्य दलों ने दरभंगा में कई जगहों पर आगजनी की, और विरोध प्रदर्शन करते हुए सरकार से पूरे मामले में स्पीडी ट्रायल कर जल्द से जल्द पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की मांग की ।

मामले में कई आरोपियों की हुई है गिरफ्तारी

दरभंगा तिहरे हत्याकांड में सीसीटीवी के आधार पर पुलिस ने कुल 40 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया, जबकि 13 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया, जिसमें से 8 लोगों की गिरफ्तारी हुई है, जबकि मुख्य आरोपी शिव कुमार झा फरार बताया जा रहा है। वहीं, पुलिस का कहना है कि मुख्य अभियुक्त शिव कुमार झा के कॉल ट्रेस से उसका लोकेशन नेपाल बॉर्डर के आस-पास का बताया जा रहा है। हालांकि मामले में संबंधित थाना के थानाध्यक्ष को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है, जो नाकाफी है,बड़ी मछलियां तो अभी बाहर हैं,जिन्हें पकड़ना बेहद जरूरी है।

दरभंगा में इस तरह की कोई पहली घटना नहीं

दरभंगा जो मिथिला की हृदयस्थली माना जाता है,इस शहर का इतिहास काफी पुराना रहा है, यहां के लोग बड़े ही सौम्य और सरल स्वभाव के माने जाते रहे हैं, बावजूद ऐसा क्या हो गया कि पिछले कई वर्षों से दरभंगा क्राइम कैपिटल बन गया है। दरअसल इस तिहरे हत्याकांड से पहले भी 2017 में शहर के लहेरियासराय स्थित टावर चौक पर मनोज चौधरी को दिनदहाड़े बीच चौराहे पर जिंदा जला दिया गया था,और आज फिर से ऐसी घटना की पुनरावृत्ति हुई है, जो जिला प्रशासन और पुलिस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। इस जघन्य अपराध के बाद सवालों के घेरे में शासन- प्रशासन को लेकर स्थानीय नेताओं की भी भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। सवाल है कि अगर समय रहते जिला पुलिस कप्तान मौके पर पुलिस को मुस्तैद कर देते तो, इस तरह की घटना को अंजाम नहीं दिया जा सकता था।

आखिर बिहार सरकार का वो कौन मंत्री है, जिसके करीबी मुख्य आरोपी शिव कुमार झा हैं, और उसे अभी तक क्यों नहीं गिरफ्तार किया गया? साथ ही सबसे बड़ी विफलता उस सुशासन बाबू की सरकार का माना जाना चाहिए ,जिस सुशासन बाबू ने बिहार में लालू के तथाकथित जगंलराज  का खात्मा कर जनता में विश्वास पैदा किया और जनता ने इन्हें सत्ता सौंपा, सत्ता में आसीन होने के बाद बिहार के मिथिलांचल जैसी भूमि पर जिस घटना को पहले कभी अंजाम नहीं दिया गया था, उस मिथिलांचल की पावन भूमि को रक्तरंजित किया जा रहा है,और इसके जिम्मेदार शासन, प्रशासन से लेकर सभी सफेदपोश नेता हैं।

इसी बीच भाकपा (माले) की राज्य स्तरीय टीम ने 15 फरवरी को दरभंगा पहुंचकर पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। पीड़ित परिवार से मिलने के बाद भाकपा-माले के मिथिलांचल प्रभारी धीरेंद्र झा ने कहा “एक सप्ताह के भीतर शिव कुमार झा की गिरफ्तारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक व थाना प्रभारी को कांड का सह अभियुक्त बनाना होगा, अन्यथा इसके खिलाफ एक व्यापक आंदोलन संगठित किया जाएगा।” आज इसके खिलाफ दरभंगा बंद का भी आह्वान किया गया है, जिसे जनता का व्यापक समर्थन हासिल है। परिवार की सुरक्षा, आर्थिक सहायता व दोनों बची लड़कियों को सरकारी नौकरी की गारंटी करे।

भाकपा-माले विधायक और किसान महासभा के राज्य नेता महानंद सिंह ने कहा कि “पीड़ितों के बयान के आधार पर मुख्यमंत्री व डीजीपी को संज्ञान लेना चाहिए और तत्काल प्रभारी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को बर्खास्त कर अभियुक्त बनाया जाना चाहिए।” उन्होंने कहा “इस घटना ने साबित किया है कि राज्य में माफिया राज चल रहा है। गर्भस्थ शिशु सहित 3 को जलाकर मौत की नींद सुला देने की घटना ने राज्य को शर्मसार किया है। अगर सरकार की ओर से पीड़ित परिवार को संरक्षण नहीं मिलता है और शिवकुमार झा सहित सभी अपराधियों पर शिकंजा नहीं कसा जाता है, तो इस मसले को विधानसभा में मजबूती से उठाया जाएगा।”

(दरभंगा पत्रकार ब्रजेन्द्र नाथ झा की रिपोर्ट।)

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