मध्यप्रदेश: बरौदिया नौनगिर दलित हत्याकांड में क्या-क्या हुआ, पीड़ित पक्ष को कब मिलेगा न्याय!

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सागर। मध्यप्रदेश में दलितों के खिलाफ अत्याचार चरम पर है। बीते महीने सागर जिले में दलित राजेन्द्र की हत्या और अंजना की संदिग्ध परिस्थितियों मौत ने सभी को झकझोर दिया। वर्ष 2023 के नितिन हत्याकांड में राजेन्द्र और अंजना प्रमुख गवाह थे। जिनकी जान जा चुकी है।   

राजेन्द्र की हत्या और अंजना की संदिग्ध मौत की यह घटनाएं सागर में खुरई विधानसभा के ग्राम बरौदिया नौनगिर की है।  इस घटना को लेकर पीड़ित पक्ष और सामाजिक संगठनों ने सीबीआई जांच की मांग की थी। मगर, लगभग महीना गुजर जाने के बाद भी जांच का कोई अता-पता नहीं है। पीड़ित परिवार न्याय का इंतजार कर रहा है। मगर, पता नहीं पीड़ित परिवार के साथ कब न्याय होगा?

हत्या और संदिग्ध मौत की घटनाएं कब, कैसे हुई 

मृतक राजेन्द्र की एफआईआर के मुताबिक हत्या की वारदात 25/05/2024 की है। इस तारीख को आरोपियों ने राजेन्द्र के साथ मार-पीट की जिसमें वह घायल हो गया। फिर, घायल राजेन्द्र को खुरई अस्पताल ले जाया गया। बाद में खुरई से सागर रेफर कर दिया गया। राजेन्द्र को दोनों कानों, मुंह, सिर, हाथों के कोंचों और पैर के पंजों में चोट आयी थी। इसके साथ खून भी वह रहा था। राजेन्द्र को कुल्हाड़ी और डंडों से मारा-पीटा गया था। इस मार-पीट में राजेन्द्र का मोबाईल फोन भी टूट गया था। मार-पीट की घटना पुरानी रिपोर्ट को लेकर हुई थी। वहीं, एएसपी लोकेश सिन्हा ने मीडिया को बताया कि 24 वर्षीय राजेंद्र अहिरवार की खुरई में दो समूहों के बीच झड़प हुई थी। इसी में वह घायल हुए थे, बाद में उनकी मौत हो गई। 

 पीड़ित परिवार से बात करते हुए

मृतक राजेन्द्र के पिता रामसेवक ने राजेन्द्र की हत्या के संबंध में जो एफआईआर (दिनांक 26/05/2024) को दर्ज करवायी है वह धारा 154 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत मामला दर्ज किया गया। मामले में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम ,1989 लगाया गया है। एफआईआर में आशिक़ कुरैशी, बबलू बेना, इसराइल बेना, फहीम खान, टंटू कुरैशी सहित पांच आरोपियों का नाम दर्ज है। 

दूसरी घटना अंजना की मौत की थी। पुलिस के मुताबिक गांव से करीब 20 किमी दूर खुरई में आचार्य विद्यानगर तिराहा के पास अंजना (20) ने शव वाहन का गेट खोला और छलांग लगा दी। घटना में अंजना गंभीर घायल हुई। शव वाहन के आगे चल रही पुलिस ने अंजना को अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। अंजना की संदिग्ध मौत कई सवाल खड़े करती है। अंजना की संदिग्ध मौत पर लोगों को यकीन नहीं है, क्योंकि अंजना एक बहादुर लड़की थी। जो 2019 में अपने साथ हुई छेड़छाड़ को लेकर न्याय की लड़ाई लड़ रही थी। अंजना की यह लड़ाई तब और गंभीर हो गयी जब भाई नितिन की हत्या हुई। नितिन की हत्या में अंजना प्रमुख गवाह भी थी। खुद को और नितिन को न्याय दिलाने के लिए न्याय की लड़ाई लड़ते-लड़ते अंजना को 5 साल‌ होने को थे। ऐसे में अंजना की संदिग्ध मौत एक रहस्य बन गयी है। 

हत्याकांड और मौत की घटनाएं कैसे शुरू हुई

बरौदिया नौनागिर गांव में दलित हत्याकांड की शुरुआत एक छेड़खानी के केस होती है। यह केस वर्ष 2019 में मृतक नितिन की मृतक बहिन अंजना‌ का था‌। जिसकी रिपोर्ट थाना खुरई में की गयी थी। रिपोर्ट दर्ज किये जाने के बाद पीड़ित पक्ष पर‌ आरोपी पक्ष राजीनामा का दबाव बना‌ रहा था। राजीनामा को लेकर  पीड़ित पक्ष ने मना कर दिया। तब से यह राजीनामा का विवाद चलता रहा है। विवाद रूका नहीं बल्कि बढ़ता गया। फिर, दिनांक 24/08/2023 को अंजना के भाई नितिन को दबंगों द्वारा बेरहमी से मारा-पीटा जाता है। जिसमें नितिन की मौत हो जाती है। बेटे नितिन के साथ हो रही मार-पीट को देख नितिन की मां उसे बचाने आती है, तब मां को भी पीटा जाता है।

पीड़ित का घर

आरोपी यहीं नहीं रुके उन्होंने सारी हदें पार करते हुए नितिन की मां को सरेआम निर्वस्त्र भी कर दिया। दबंग लोगों ने पीड़ितों के घर की छत तोड़ने से लेकर घर के सामान को भी तहस-नहस कर दिया। दबंगों की बर्बरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने पीड़ितों के पशु, घोड़े को भी बहुत मारा और तोते को तो जान से मार दिया। 24 अगस्त 2023 की यह घटना नितिन हत्याकांड के रूप में दर्ज हो गयी। घटना के बाद पीड़ित परिवार और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रशासन के सामने अपनी कई मांगें रखी। इन मांगों को कलेक्टर ने लिखा और पूरा करने का आश्वासन दिया।

कलेक्टर द्वारा कागज पर लिखी गयी मांगे इस प्रकार थी‌

परिवार के एक सदस्य को नौकरी, 10 लाख की आर्थिक सहायता, सभी की एक घंटे में गिरफ्तारी, पुनर्वास व्यवस्था, सामान की क्षतिपूर्ति, शस्त्र लाइसेंस, परिवार के सदस्यों को पुलिस अनावश्यक रूप से परेशान नहीं करेगी। जैसी अन्य मांगें शामिल थी। इन लिखित मांगों पर 26/08/2023 दिनांक दर्ज है। साथ में कलेक्टर सागर लिखा है और हस्ताक्षर भी दर्ज है। लेकिन, इन में से कई मांगें स्वीकार नहीं की गयी। यह अंजना ने शासन-प्रशासन को दिये ज्ञापनों में कहा। वहीं, अंजना के भाई ने भी बयान में कहा कि, कलेक्टर द्वारा लिखी गयी मांगें पूरी नहीं की गयी। कलेक्टर की मांगें केवल आश्वासन बन‌ कर रह गयीं। 

नितिन की हत्या के बाद बहन अंजना ने भाई नितिन की हत्या के दोषियों को सजा दिलाने और परिवार को इंसाफ दिलाने की लड़ाई लड़नी शुरू की। न्याय पाने के लिए इस लड़ाई में अंजना‌ ने कई ज्ञापन, आवेदन पत्र शासन-प्रशासन और नेताओं को लिखे।

अंजना द्वारा एक आवेदन दिनांक 29/09/2023 को सागर पुलिस प्रशासन को‌ लिखा गया। इस आवेदन का कुछ महत्वपूर्ण अंश इस प्रकार है:- अपराध क्रमांक 329/2023 में मेरे भाई नितिन की हत्या की गयी थी‌ और मेरी मां को भी आरोपियों ने मारा-पीटा था‌‌। इस मार-पीट में मेरी मां का हाथ अभी तक ठीक नहीं हुआ। आरोपी काफी प्रभावशाली हैं जिनके दबाव में डॉक्टर ने मेरी मां का ठीक से इलाज नहीं किया और अस्पताल से भगा दिया। घटना के मुख्य आरोपी अंकित सिंह का नाम पुलिस ने एफआईआर में नहीं जोड़ा। इसके अलावा कलेक्टर ने लिखित में जो दस आश्वासन दिये थे, वह भी आज तक पूरे नहीं हुए। वहीं दूसरी ओर आरोपियों के रिश्तेदार मेरे परिवार वालों पर दबाव बना रहे हैं कि यदि राजीनामा नहीं किया तब जेल से निकलने के बाद तुम लोगों को गांव में नहीं रहने‌ देंगें। आरोपियों और आरोपियों के रिश्तेदारों से हम लोगों को जान का खतरा है।

मृतका अंजना द्वारा लिखा गया पत्र

अंजना द्वारा एक आवेदन 31/10/2023 तारीख को पुलिस अधीक्षक सागर को भी लिखा गया। यह आवेदन नितिन हत्याकांड किसी निष्पक्ष अधिकारी से जांच कराने और जांच अधिकारी बदलने के बाबत था। आवेदन में लिखा गया कि, इस घटना में अंकित पिता राजकुमार द्वारा मेरे भाई नितिन को लोहे की राड से पीटा गया। परंतु इस प्रकरण में पुलिस ने अंकित ठाकुर को मुख्य आरोपी के रूप में नामजद नहीं किया‌ था। जबकि, आवेदिका अंजना द्वारा दिनांक 8/09/2023 को आरोपी अंकित सहित अन्य आरोपियों की लिखित शिक़ायत की गयी थी। आगे आवेदन के जरिए निष्पक्ष जांच और न्याय की प्रार्थना की गयी।

अपने भाई नितिन की हत्या में न्याय पाने के लिए अंजना द्वारा कई ज्ञापन, प्रार्थना पत्र लिखे गये। मगर, शासन-प्रशासन का न्याय के संबंध में कोई विशेष जवाब नहीं आया। ना ही पीड़ित परिवार का दुख-दर्द समझने की कोशिश की गयी।‌ 

फिर, आगे पीड़ित परिवार के साथ जो हुआ उसने सब को सदमे में डाल दिया। दिनांक 25/05/2024 को आरोपियों ने पीड़ित परिवार के राजेन्द्र अहिरवार के साथ बेरहमी से मार-पीट की, जिससे राजेन्द्र की मौत हो गयी। चाचा राजेन्द्र की हत्या के बाद उनका शव लेकर अंजना अपने गा़ंव आ रही थी। तब रास्ते में ‌पुलिस के मुताबिक अंजना एंबुलेंस से कूद गयी। जिससे अंजना गंभीर रूप से घायल हो गयी। तब इलाज के दौरान अंजना की मौत हो गयी। अंजना की मौत संदिग्ध बतायी जा रही है। 

घटना पर पीड़ित पक्ष ने क्या कहा

राजेन्द्र की हत्या के मामले में पिता रामसेवक कहते हैं कि “मेरे बेटे की निर्मम हत्या हुई है। बेटे को जब बेरहमी से मारा-पीटा गया, तब मैं वहां नहीं था। जब मेरे बेटे को खुर‌ई अस्पताल ले जाया गया। तब मुझे पता चला कि बेटा अस्पताल में है। अस्पताल में मुझे लापरवाही दिखी। अस्पताल में इलाज के लिए देरी भी की गई। यदि अस्पताल में देरी‌ नहीं हुई होती तब मेरे बेटे की जान बचाई जा सकती थी।”

‘मेरे बेटे का शव जब पुलिस लेकर आयी, तब शव का पुलिस ने जल्दबाजी में अंतिम संस्कार करवाया। मेरा कोई रिश्तेदार बेटे की लकड़ी में शामिल नहीं हो पाया। यहां तक कि मेरी बेटी भी अपने भाई की अंतिम विदाई नहीं देख पायी।’

रामसेवक आगे कहते हैं कि  “बेटे राजेन्द्र की हत्या के लिए हमें इंसाफ चाहिए। मुख्यमंत्री आये तब हमें 8 लाख 12 हजार रुपए का चेक दिया गया। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने हमें 50 हजार रुपए दिए। वहीं, कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने 1 लाख रुपए दिया। लेकिन, यह पैसा मुझे मेरा बेटा तो नहीं लौटा सकता है। मेरे बेटे के शरीर में बहुत से गंभीर घाव‌ थे। बेटे का शरीर देखकर मेरे आंसू थम नहीं रहे थे। अब मुझे सिर्फ मेरे बेटे के लिए न्याय का इंतजार है और यह इंतजार ताउम्र रहेगा।”

मृतक राजेन्द्र के पिता रामसेवक से हमने अंजना की मौत पर भी बात की। क्योंकि, संदिग्ध तौर पर अंजना जिस एम्बुलेंस से कूदी और उसकी मौत हुई, उस एम्बुलेंस में रामसेवक भी मौजूद थे। 

अंजना की संदिग्ध मौत पर रामसेवक बताते हैं कि, ‘अंजना कब एम्बुलेंस से कूदी हमें नहीं पता। हम पति-पत्नी तो बेटे राजेन्द्र की हत्या पर दुखी थे, हम रो रहे थे। आंखों से आंसू गिर रहे थे, हमारे। कुछ समय बाद‌ हमने पानी पिया तब हमें नींद आ गयी और हम नींद के आगोश‌ में चले गये।’

रामसेवक आगे कहते हैं कि “जब ड्राइवर ने एम्बुलेंस रोकी तब हमारी नींद खुली और हमें पता चला अंजना रोड पर पड़ी है। फिर, पुलिस ने अंजना को‌ उठाया और गाड़ी‌ में रखा। अंजना उस वक्त कोई बातचीत नहीं कर रही थी। गाड़ी कुछ ही दूर चली थी, तब पुलिस की एक अन्य गाड़ी आयी और अंजना को उस गाड़ी में रखा गया। साथ में मेरी पत्नी को भी बिठाया गया। मेरी पत्नी को बहुत कम सुनाई देता है। इसके बाद अंजना और मेरी पत्नी को खुरई अस्पताल ले‌ जाने के बारे में कहा गया। इसके आगे मुझे नहीं पता कि, पुलिस अंजना को अस्पताल ले गयी या नहीं। अगर, मेरी पत्नी की बजाय अंजना के साथ मुझे ले जाया गया होता तब मैं कुछ बता पाता कि, आगे क्या हुआ।”

मृतक अंजना के भाई विष्णु अहिरवार अब भाई नितिन, चाचा राजेन्द्र और बहन अंजना के लिए न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं।  

जब हमने विष्णु अहिरवार से घटना में क्या-क्या हुआ, घटना को लेकर परिवार क्या सोच रहा है? इस संबंध में बातचीत की। तब विष्णु बताते हैं कि, ‘पिछले साल हुयी भाई नितिन की हत्या के घाव नहीं भरे थे। केवल आर्थिक सहायता मिली। मगर न्याय नहीं मिला था। ऐसे में इस साल चाचा राजेन्द्र की हत्या और अंजना की संदिग्ध मौत से हमारे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया है। हमारे परिवार में जो हत्याएं हुई उससे बड़ी हमारे जीवन में कोई घटना नहीं हो सकती।’

आगे विष्णु बताते हैं कि, ‘चाचा राजेन्द्र की हत्या के मामले में मुख्य आरोपियों के नाम भी एफआईआर में नहीं जोड़े गये। वहीं, मेरी बहन अंजना को आरोपियों द्वारा बहुत पहले से धमकाया और प्रताड़ित किया जा रहा था। ऐसे में अंजना की संदिग्ध मौत की असामान्य घटना का सच हमारे सामने आना चाहिए। अंजना की संदिग्ध मौत पर पुलिस द्वारा एफआईआर भी दर्ज नहीं की गयी। इसलिए हमने बहन अंजना की संदिग्ध मौत और चाचा राजेन्द्र की हत्या के मामले में सीबीआई जांच की मांग की है। ताकि, सच सामने आ सके।’

फिर, इसके बाद विष्णु कहते हैं कि, ‘जब राजेन्द्र की हत्या हुई उससे पहले हमारे यहां से पुलिस सुरक्षा हमें बगैर बताए हटा दी गयी। पुलिस सुरक्षा हमें नितिन की हत्या के बाद मुहैया करवायी गयी थी। तीन माह से घर के पास लगे कैमरे बंद‌ थे। कैमरे चालू करवाने के लिए हम और हमारा परिवार लगातार पुलिस से कह रहे थे। घटना के पहले मेरा जिला बदल क्यों करवाया गया, इसकी निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए। मुख्यमंत्री ने यहां पुलिस चौकी खोलने को कहा है। लेकिन, अभी भी हमारी जान‌ को खतरा है। प्रशासन पर हमें कोई भऱोसा नहीं रह गया है। प्रशासन ने मेरा मोबाईल भी जब्त कर‌ लिया।’

विष्णु आगे बोलते हैं कि ‘मेरे परिवार के बारे में कहा जा रहा है कि, मेरा परिवार गुंडई प्रवृति का था। पिछले साल मेरे भाई नितिन की हत्या हुई। उसे भी गुंडा बताया गया‌। मगर, हमने आज तक किसी को थप्पड़ नहीं मारा। सोचिए, यदि हम गुंडा होते तब क्या शांत बैठे होते‌? हमारे साथ जो अन्याय हुआ है उसकी वजह जातिवाद भी है। मेरे परिवार में जिन आरोपियों ने हत्याएं की हैं, उन्हें राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है। इसलिए हमारे साथ न्याय नहीं हो पा रहा।’ 

गांव के दलित शख़्स का कथन

गांव के एक दलित शख्स रघुनाथ से भी हमारी घटना को लेकर बातचीत हुई। वह कहते हैं कि, ‘गांव में जो दलित हत्या की घटनाएं हुई हैं, उससे दलित समुदाय में दहशत और डर का माहौल बना हुआ है। दलित समुदाय के कई लोग विचार कर‌ रहे हैं कि, गांव में रहना चाहिए या नहीं रहना चाहिए। घटनाक्रम के बाद खौफ का माहौल इस कदर है कि, कोई घटनाओं के बारे में ना बात करना चाहता है ना बताना चाहता है। इस बात का डर है कि हमारी जान‌ पर भी खतरा ना आ‌ जाये।’ 

रघुनाथ आगे बताते हैं कि, ‘पहले जब नितिन की हत्या हुई तब कहा गया वह चोरी, गुंडई जैसे मामलों में लिप्त है। लेकिन, सोचिए, 18 साल के लड़के  नितिन ने क्या सबको परेशान किया होगा? परिवार की छवि खराब करने के खिलाफ यह साज़िश थी। जो अब भी की जा रही है। पीड़ित पक्ष के खिलाफ कई जूठी कहानियां भी गढ़ी गयी हैं। हमारे गांव में जातिवाद चरम सीमा पर है। गांव में ऊंची-नीची जाति के बीच एक साथ खान-पान और उठना-बैठना संभव नहीं है। हत्या की जिन घटनाओं को अंज़ाम दिया गया उसमें एक बिंदु जातीय भी है।’ 

घटना में विपक्षी पार्टियों ने की सीबीआई जांच की मांग

घटना‌ के संबंध में प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने 29/05/2024 को मुख्यमंत्री के नाम एक पत्र लिखा है। इस पत्र में कुछ अंश‌ ऐसे वर्णित है:- 

कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी का पत्र

मुख्यमंत्री जी, क्या आदिवासी अत्याचारों में अव्वल रहा प्रदेश क्या दलित उत्पीड़न में भी मिशाल‌ बनना चाहता है। क्या मध्यप्रदेश में अब दलित होना गुनाह हो‌ गया है? वैसे यह संकट अकेले सागर‌ में नहीं, प्रदेश के हर जिले में हो‌ गया है। मजाक बन‌ चुकी कानून व्यवस्था अपराधियों के हौसलों को बढ़ावा दे रही है। 

पत्र में आगे लिखा गया कि, मेरी स्पष्ट मांग है कि, मृतक परिवार को 50-50 लाख रुपए की सहायता राशि दी जाये। उच्च न्यायालय की निगरानी में सभी हत्याकांड की सीबीआई जांच हो। जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक पीड़ित परिवारों को सुरक्षा मुहैया करवाई जाये।  

एक पत्र बहुजन समाज पार्टी ने भी लिखा है। पत्र में लिखा गया कि, मृत राजेन्द्र अहिरवार की हत्या के संबंध में मृतक की भतीजी (अंजना) द्वारा पुलिस और मीडिया के सामने 10 अपराधियों के नाम बताए गये थे। जिनके नाम एफआईआर में नहीं जोडे़‌ गये थे। पुलिस द्वारा उचित कार्रवाई ना करने, अपराधियों के आतंक से यह घटनाएं हुयी हैं। बहुजन‌ समाज पार्टी अपराधों की गंभीरता को देखते हुए सीबीआई जांच और पीड़ित परिवार को उचित मुआवजे की मांग करती है।

ऐसे ही बहुजन समाज पार्टी ने एक साल पहले हुई नितिन की हत्या के मामले में 24/08/2023 को राज्यपाल के नाम एक पत्र लिखा था। इस पत्र में नितिन हत्याकांड में न्यायिक जांच और पीड़ित परिवार को मुआवजे की मांग की थी‌।

बहुजन समाज पार्टी का पत्र

वहीं, दिनांक 21/06/2024 को भीम आर्मी ने मुख्यमंत्री और पुलिस अधीक्षक सागर से एक आवेदन के जरिए मृतक राजेंद्र की पिता को सुरक्षा के लिए मांग की।

भीम आर्मी ने 29/06/2024 को राष्ट्रपति के नाम भी एक पत्र लिखा। इस पत्र के जरिए मामले में सीबीआई जांच, परिवार के लिए 50,00,000 लाख रुपए मुआवजा, आवास और भूमि, शस्त्र लाइसेंस जैसी अन्य मांगें की गयी।

भीम आर्मी का पत्र

घटना में सीएम का आश्वासन और राजनीतिक बयान 

बरौदिया के दलित घटनाक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पीड़ित परिवार से मुलाकात कर संवेदनाएं व्यक्त की। पीड़ित पक्ष से मिलने पर सीएम डॉ. मोहन यादव ने परिवार की सुरक्षा और आरोपियों को जल्दी से जल्द सख्त सजा दिलाने की बात कही। 

आगे सीएम ने गांव में पुलिस चौकी खोलने के निर्देश देते हुए कहा कि, मामले की जांच कराई जाएगी तथा दोषियों पर कार्रवाई होगी। साथ में कहा कि, घटनाक्रम में पीड़ितों के साथ सरकार खड़ी है। वहीं, सीएम ने मृतक राजेंद्र अहिरवार के परिवार को 8 लाख 25 हजार रुपए की आर्थिक सहायता भी उपलब्ध कराई।

जब हमने सागर के कांग्रेस सरकार में मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री रहे सुरेन्द्र चौधरी से घटना में न्याय को लेकर बातचीत की।  

तब सुरेन्द्र चौधरी ने कहा कि, ‘पीड़ित पक्ष को यदि शासन-प्रशासन पर‌ भरोसा ना‌ हो और‌ संदेह हो। तब स्वत: राज्य सरकार ‌को आगे आकर ऐसे प्रकरण को सीबीआई को सौंप देना चाहिए। जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। इस प्रकरण में जब मुख्यमंत्री मोहन यादव साहब पीड़ित पक्ष से मिलने आये थे, तब पीड़ित पक्ष ने सीबीआई जांच की मांग की थी। कांग्रेस पार्टी ने भी इस घटना में सीबीआई जांच की मांग की है। जिससे की पीड़ित पक्ष के साथ न्याय हो सके।,

भीम आर्मी सागर जिला अध्यक्ष धर्मेंद्र अहिरवार इस घटना को लेकर कहते‌ हैं कि, ‘पुलिस ने इस घटना में 95 प्रतिशत कार्यवाही कर‌ दी है। चंद्रशेखर आजाद के‌ नेतृत्व में भीम आर्मी ने घटना की सीबीआई जांच, परिवार को 50 लाख रुपए मुआवजे सहित अन्य मांगे की थी, लेकिन प्रशासन की ओर से मांगों पर कोई जवाब नहीं आया है। हम लोगों ने प्रशासन को अभी कुछ दिन‌ का वक्त दिया है। यदि, इस घटना‌ की मांगों को‌ स्वीकार नहीं किया गया, तब चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व में भीम आर्मी द्वारा धरना प्रदर्शन किया जायेगा।,

घटनाक्रम पर एडवोकेट मोहन दीक्षित का बयान 

पीड़ित परिवार से मिलने गए एडवोकेट और समाज सेवक मोहन‌ दीक्षित से भी हमने घटना‌ पर चर्चा की। मोहन दीक्षित कहते हैं कि, ‘एक साल पहले हुए नितिन हत्याकांड की मैं पैरबी कर‌ रहा हूं।  कुछ दिन पहले बरौदिया गांव में जिस घटना को अंज़ाम दिया गया वह समान्य घटना नहीं है। इस घटना में…पीड़ित को अपराधी बनाने की साज़िश रची जा रही है। पूरे केस में ढंग से विवेचना नहीं हुई है। पुलिस की भूमिका संदिग्ध नजर आती है।’

एडवोकेट मोहन आगे कहते हैं कि, ‘नितिन हत्याकांड में पीड़ित पक्ष की मृतका अंजना द्वारा न्याय के लिए कई प्रार्थना पत्र शासन-प्रशासन को‌ लिखे गये। मगर, कोई सुनवाई और कार्रवाई नहीं हुई। राजेन्द्र की हत्या और अंजना की संदिग्ध मौत से यह ज्ञात होता है कि, दलितों ‌के न्याय, उत्थान का ढिंढोरा पीटा जाता है। असलियत में दलितों की कोई सुनाए नहीं है।’

घटना संबंध में हमने आरोपी पक्ष से भी बातचीत करने की कोशिश की, कई लोगों से आरोपी पक्ष के बारे में पूछताछ भी की। लोगों से आरोपियों के फोन संपर्क भी मांगें।

मगर, ना तो किसी ने हमें आरोपी पक्ष के बारे में बताया और ना ही कोई हमें आरोपी पक्ष के फोन संपर्क दे पाया। ऐसे में आरोपी पक्ष से घटना को लेकर हमारा संवाद नहीं हो पाया। 

राजेन्द्र की हत्या और अंजना की संदिग्ध मौत की घटनाओं पर  क्या कार्रवाई हो रही है? कार्रवाई की क्या स्थिति है? यह जानने के लिए हमने जिला कलेक्टर दीपक आर्य  से भी बातचीत करने की कोशिश की। हमने कलेक्टर को फोन संपर्क भी किया। मगर, कलेक्टर साहब से हमारी बात नहीं हो सकी।

हत्या और संदिग्ध मौत की इस घटना में कार्रवाई को लेकर बातचीत करने के लिए हमने अन्य पुलिस अधिकारियों से भी फोन संपर्क करने की कोशिश की। मगर, हमें कोई प्रतिपुष्टि नहीं मिल पायी। देश में हो रहे दलित अपराध के आंकड़ों की तरफ जब हम रुख़ करते हैं, तब एनबीटी की रिपोर्ट में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के डेटा का उल्लेख हमें मिलता है। 

‌इस डेटा में बताया गया कि, वर्ष 2022 में, मध्यप्रदेश में दलितों की 83 हत्याएं, 83 हत्या के प्रयास, ‘साधारण चोट’ के 4,805 मामले और गंभीर चोटों के 126 मामले दर्ज किए गए। दलित महिलाओं के साथ छेड़छाड़ के 613 मामले थे, जिनमें से 144 (23%) नाबालिग थे।

रिपोर्ट में आगे जिक्र किया गया कि, मध्य प्रदेश पूरे देश में दलितों के साथ अपराध के मामलों में तीसरे स्थान पर है। उत्तर प्रदेश 15, 368 केस के साथ पहले और 8,752 मामलों के साथ राजस्थान दूसरे तो वहीं 7,733 केस के साथ एमपी तीसरे स्थान पर है।
वहीं, जीएफओडी की रिपोर्ट में बताया गया कि, वर्ष 1991 और वर्ष 2021 के बीच दलितों के खिलाफ अपराध 177.6 प्रतिशत बढ़े। भारतीय जेलों में बंद सभी कैदियों में दलित और आदिवासी लगभग 32 प्रतिशत हैं।

चिंतनीय है कि, मध्यप्रदेश के पीड़ित दलित परिवार का यह मामला 2019 से प्रशासन के समक्ष हैं। पीड़ित न्याय की गुहार भी लगाता आ रहा हैं। मगर, पीड़ित पक्ष को न्याय मिलने के बजाए अपनों की लाशें मिलती हैं। ऐसे में यह मालूम होता है कि, प्रशासन ने आंखें मूंद रखी है जिससे कानून व्यवस्था चरमरा गयी है। यदि प्रशासन की आंखें खुलती हैं, तब मौत का यह सिलसिला थमेगा और परिवार को न्याय मिलेगा।

(सतीश भारतीय स्वतंत्र पत्रकार हैं और मध्यप्रदेश में रहते हैं)

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