संयुक्त राष्ट्र संघ की अपील-अरुंधति रॉय के विरूद्ध की गई कार्यवाही वापिस ले सरकार

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विश्व प्रसिद्ध लेखिका अरुंधति रॉय जिनके विरूद्ध अभी हाल में एफआईआर दाखिल की गयी है। यह कार्यवाही उनके विरूद्ध उनके द्वारा कश्मीर के संबंध में 2010 में दिये गये भाषण को आधार बनाकर की गयी है। अरुंधति रॉय को उनकी गिरफ्तारी के कुछ दिन बाद ही उन्हें ब्रिटेन का एक महत्वपूर्ण पुरस्कार दिया गया। पुरस्कार का नाम है ‘पेन पिंटर पुरस्कार’। इसके साथ ही एक और घटना हुई। इस दरम्यान संयुक्त राष्ट्र संघ के ह्यूमन राईट्स से संबंधित एक उच्च अधिकारी ने भारत सरकार से मांग की है कि वह अरूंधति रॉय के विरूद्ध लगाये गये अपराध को वापिस ले।

‘पेन पिंटर पुरस्कार’ की स्थापना 2009 में हुई थी। यह पुरस्कार ऐसे लेखक को दिया जाता है जो अपने लेखन से अभिव्यक्ति की आज़ादी की रक्षा करता है। यह पुरस्कार नोबल पुरस्कार प्राप्त महान नाटक लेखक हैरॉल्ड पिंटर के सम्मान में स्थापित किया गया था।

पुरस्कार को स्वीकार करते हुए अरुंधति रॉय ने कहा कि मुझे इसे प्राप्त करते हुए बहुत ही प्रसन्नता हो रही है। मेरी बहुत इच्छा थी कि इस अवसर पर हैराल्ड पिंटर हमारे साथ होते और अपनी कलम आज की उलझन पूर्ण स्थिति पर चलाते। वे आज हमारे बीच नहीं हैं परंतु हम उनकी आवाज़ को बुलंद कर सकते हैं। अरुंधति रॉय यह पुरस्कार लेने 10 अक्टूबर को लंदन जायेंगी।

वे न्याय, अन्याय से संबंधित कहानियों को बहुत ही अच्छे ढंग से और सुंदर ढंग से सुनाती हैं। उनकी बुलंद आवाज़ को कोई भी नहीं दबा सकता। यह शब्द हैं कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए लेखक रूथ फोर्थ वोर्थ विक के। यह वर्ष अनेक ऐतिहासिक घटनाओं से भरपूर है। इन घटनाओं में वे ज्यादतियां शामिल हैं जो इस समय गाजा में हो रही हैं। हमें अपनी लेखनी से इन दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के प्रति विश्व का ध्यान खींचना है-यह शब्द हैं खालिद अब्दाला के, जो इस पुरस्कार के एक जूरी थे।

इस दरम्यान संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार से संबंधित एक महत्वपूर्ण अधिकारी ने भारतवर्ष में आतंकविरोधी कानूनों का उपयोग, आलोचकों की आवाज़ दबाने के लिए किये जाने पर गंभीर चिन्ता प्रकट की। इस अधिकारी ने भारतवर्ष की सरकार से अनुरोध किया है कि अरुंधति रॉय के विरूद्ध उठाए गए कानूनी कदमों को वापिस लिया जाये। इस अधिकारी ने यह भी मांग की है कि जिन साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों के विरूद्ध इस तरह के कदम उठाये गये हैं उन्हें तुरंत वापिस लिया जाये।

पिछले माह के प्रारंभ में दिल्ली के लैफ्टिनेंट गवर्नर वी.के. सक्सेना ने अरूंधति रॉय और कश्मीर के सेन्ट्रल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हुसैन के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही करने की इजाजत दे दी। आरोपित है कि अरुंधति रॉय ने एक कार्यक्रम के दौरान कश्मीर के संबंध में एक भड़काऊ भाषण दिया था। यह भाषण उन्होंने 28 अक्टूबर 2010 को दिया था। इन दोनों वक्ताओं ने यह भाषण आज़ादी के शीर्षक से आयोजित एक कार्यक्रम में दिया था। भाषण में यह दावा किया गया है कि किसी प्रकार की भड़काऊ बात नहीं की गई, फिर भी 14 साल बाद अरुंधति रॉय के विरूद्ध कार्यवाही की गई। अरुंधति रॉय विश्वप्रसिद्ध साहित्यकार हैं और उन्हें कई पुरस्कार मिल चुके हैं। वे प्रायः ऐसे मुद्दों पर बात करती हैं जो मानवाधिकारों को दबाने से संबंधित होते हैं। अभी ब्रिटेन में दिये गये पुरस्कार भी उन्हें इसी तरह के लेखन के लिए दिया गया है।

(यह समाचार 28 जून 2024 के टाईम्स ऑफ इण्डिया से लिया गया है।)

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