Month: July 2019

  • “कॉरपोरेट को रिर्टन गिफ्ट है मोदी सरकार का बजट”

    “कॉरपोरेट को रिर्टन गिफ्ट है मोदी सरकार का बजट”

    बजट पर सीपीआई (एमएल) महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य की प्रतिक्रिया: महंगाई को बढ़ाने वाला बजट में पहले से महंगे पेट्रोल-डीजल पर 1 रुपया प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी और 1 रुपया प्रति लीटर सेस बढ़ाया गया है। इससे माल ढुलाई व यात्री किराए पर असर पड़ेगा और आम आदमी की रोजमर्रा के उपभोग की वस्तुओं सहित हर…

  • सुप्रीम कोर्ट के फैसले से क्या हरेन पांड्या को न्याय मिल गया?

    सुप्रीम कोर्ट के फैसले से क्या हरेन पांड्या को न्याय मिल गया?

    नई दिल्ली। गुजरात के पूर्व गृहमंत्री हरेन पांड्या की हत्या के 16 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को पलट कर 12 आरोपियों को दोषी ठहराये जाने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को फिर से बहाल कर दिया। देखने में किसी को लग सकता है कि हरेन पांड्या के साथ न्याय हो…

  • खतरे में हैं भारत के बड़े शहर

    खतरे में हैं भारत के बड़े शहर

    नई दिल्ली। एक तरफ देश के बड़े शहर अब भी प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर हैं वहीं दूसरी तरफ ग्रीनपीस द्वारा जारी नाइट्रोजन डायआक्सायड (NO2) के सैटलायट डाटा के विश्लेषण में यह सामने आया है कि ज्यादा घनत्व वाले वाहन और औद्योगिक क्षेत्र ही देश के सबसे ख़राब नाइट्रोजन आक्सायड हॉटस्पॉट हैं। ट्रॉपॉस्फेरिक…

  • माले ने मोदी के खिलाफ किया निर्णायक लड़ाई का आह्वान, दीपंकर ने कहा- सरकारी कंपनियों को औने-पौने दामों में बेचने पर उतारू है सरकार

    माले ने मोदी के खिलाफ किया निर्णायक लड़ाई का आह्वान, दीपंकर ने कहा- सरकारी कंपनियों को औने-पौने दामों में बेचने पर उतारू है सरकार

    पटना। भाकपा-माले के राज्य स्तरीय कार्यकर्ता कन्वेंशन को संबोधित करते हुए माले महासचिव ने मोदी सरकार को जमकर निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा है कि सरकार फायदे में चल रही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को औने-पौने दामों में बेचने पर उतारू है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि देश के सामने लोकतंत्र का संकट…

  • गांधीवादियों के दामन पर भी है गांधी की हत्या के दाग

    गांधीवादियों के दामन पर भी है गांधी की हत्या के दाग

    सवाल आसान लगता है लेकिन गम्भीरता से सोचा जाए तो पेंचीदा भी है। साधारण तौर पर देखा जाये तो महात्मा गांधी की मौत का सीधा जिम्मेदार नाथूराम गोड़से था। जिसने गांधी जी को 3 गोलियां मारी और उनकी हत्या कर दी। नाथूराम गोडसे जो उग्र हिन्दुत्व की राजनीति का ध्वज उठाये हुए था। जिसके पीछे…

  • खतरे में नौनिहालों का भविष्य और जान

    खतरे में नौनिहालों का भविष्य और जान

    नई दिल्ली। भाईचारे की मिसाल के रूप में प्रसिद्ध हमारे देश में जाति और धर्म के नाम पर मारपीट और हत्याएं होना अब आम बात हो गई है। लंबे समय से चली आ रही इन वारदातों में पिछले सालों में लगातार वृद्धि हुई है। मोदी के पहले कार्यकाल में जहां गो हत्या के नाम पर…

  • सऊदी अरब के शासक भूल गए फलीस्तीन नाम का कोई देश भी है

    सऊदी अरब के शासक भूल गए फलीस्तीन नाम का कोई देश भी है

    पहले विश्वयुद्ध (1914-1919) की समाप्ति तक इजरायल सिर्फ एक काल्पनिक देश था। यूरोप के लगभग सारे ही देशों में फैले यहूदी कई पीढ़ियों से वहीं की भाषाएं बोलते थे। आम तौर पर बिजनेस करते थे या बौद्धिक पेशों में ऊंचा मुकाम बनाए हुए थे। घर में अक्सर खाना छोड़कर भी पियानो बजाते थे। और उन्हीं…

  • भारत में एक शानदार बौद्धिक प्रतिरोध की शुरुआत हो चुकी है: अरुंधति रॉय

    भारत में एक शानदार बौद्धिक प्रतिरोध की शुरुआत हो चुकी है: अरुंधति रॉय

    (लंदन से प्रकाशित दि गार्जियन में छपा मशहूर लेखिका अरुंधति रॉय का यह साक्षात्कार गैरी यौंग ने लिया है। अंग्रेजी में प्रकाशित इस इंटरव्यू का हिंदी में अनुवाद रविंद्र सिंह पटवाल ने किया है। पेश है पूरा साक्षात्कार- संपादक) गैरी यौंग: इस मौके पर आज मैं उस चीज से बेहद परेशान हूं जिस तरह से…

  • विमर्शमूलक विखंडन और कोरी उकसावेबाजी में बहुत महीन होती है विभाजन की रेखा

    विमर्शमूलक विखंडन और कोरी उकसावेबाजी में बहुत महीन होती है विभाजन की रेखा

    अरुंधति रॉय की किताब ‘एक था डाक्टर और एक था संत’ लगभग एक सांस में ही पढ़ गया । अरुंधति की गांधी को कठघरे में खड़ा कर उन पर बरसाई गई धाराप्रवाह, एक के बाद एक जोरदार दलीलों की विचारोत्तेजना अपने घेरे से बाहर निकलने ही नहीं दे रही थी । अरुंधति जितना गांधी को…

  • राहुल गांधी को करनी चाहिए देश की पदयात्रा: रामशरण जोशी

    राहुल गांधी को करनी चाहिए देश की पदयात्रा: रामशरण जोशी

    देश की सत्ता इस समय हिंदुत्ववादी शक्तियों के हाथों में है। भाजपा की जीत ने विपक्ष के हौसले को पस्त कर दिया है। विपक्षी दलों में बिखराव है और ये सुविधाभोगी राजनीति के दलदल में फंसे है। कम्युनिस्ट पार्टियां इस पूरे परिदृश्य से बाहर हैं। मध्यमार्गी दल परिवारवाद की चपेट में हैं। राजनीतिक पार्टियां जनता…