भवनों को जमींदोज करने के बाद वाराणसी प्रशासन का कारनामा, कागजातों से भी हटाया सर्व सेवा संघ का नाम

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वाराणसी। नरेंद्र मोदी सरकार के इशारों पर गांधी-विनोबा-जेपी विरासत को बुलडोजर से जमींदोज करने के बाद वाराणसी जिला प्रशासन ने भू-अभिलेखों में सर्व सेवा संघ का नाम हटाकर उत्तर रेलवे का कर दिया है। सर्व सेवा संघ के रामधीरज ने बताया कि “सर्व सेवा संघ के राजघाट परिसर से संबंधित भू-अभिलेखों में नाम मालिकान के स्थान पर सर्व सेवा संघ का नाम हटाकर उत्तर रेलवे का नाम अंकित किया गया है। सरकारी अधिकारियों की ओर से कुछ समाचार पत्रों में बयान भी छपे हैं।” लेकिन यह कार्रवाई गैर कानूनी और मनमानी है।”

ज्ञात हो कि 26 जून, 2023 को जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने केंद्र सरकार के इशारे पर गैर कानूनी तरीके से सर्व सेवा संघ की जमीन को उत्तर रेलवे का घोषित कर दिया, जो उनके क्षेत्राधिकार का विषय नहीं होकर सिविल न्यायालय का मामला है। इसी अवैध निर्णय को आधार बनाकर एसडीएम जयदेव सीएस ने खतौनी से सर्व सेवा संघ का नाम हटाने का निर्णय दे दिया। यह निर्णय गलत और अवैध है क्योंकि एसडीएम को नाम की वर्तनी में सुधार का अधिकार तो है लेकिन नाम बदल देने का अधिकार नहीं है। यह अधिकार सिर्फ सिविल कोर्ट को है और सिविल कोर्ट में सर्व सेवा संघ का वाद संख्या 522 / 2023 विचाराधीन है।

राम धीरज कहते हैं कि यह अत्यंत अफसोस की बात है कि प्रशासन न केवल लगातार अवैध कार्रवाइयां करता जा रहा है बल्कि इसे छुपाने के लिए झूठ का सहारा भी ले रहा है। रेलवे एवं प्रशासनिक अधिकारी बता रहे हैं कि उत्तर रेलवे और सर्व सेवा संघ में उक्त भूखंड को लेकर बरसों से विवाद चल रहा था जबकि यह पूरी तरह से झूठ और बेबुनियाद है।

विगत 62 वर्षों में पहली बार केंद्र सरकार के इशारे पर रेलवे की ओर से 10 अप्रैल, 2023 को उप जिलाधिकारी, सदर, वाराणसी के यहां एक आवेदन दिया गया कि सर्व सेवा संघ द्वारा खरीदी गई जमीन का 1960, 1961 और 1970 का बैनामा कूटरचित है। यह आरोप भी अत्यंत हास्यास्पद और धूर्ततापूर्ण है। इसी आवेदन को आधार बनाकर जयदेव सीएस ने उत्तर रेलवे का नाम दर्ज करने का आदेश दे दिया।

यहां यह बता देना भी आवश्यक है कि जयदेव सीएस के आदेश को कमिश्नरी कोर्ट में चुनौती दी गई है। बिना सुनवाई पूर्ण हुए नामांतरण की कार्रवाई करना अनुचित और अवैध है।

सर्व सेवा संघ के रामधीरज ने बताया कि इस पूरे मामले को इतिहास में प्रशासनिक षड्यंत्र के रूप में जाना जाएगा। आज ये अधिकारी मनमाने और अवैध कृत्य करने में लगे हैं लेकिन समय इनका हिसाब किताब करेगा।

रामधीरज ने बताया कि सेवा संघ की इस ऐतिहासिक विरासत और जमीन को केंद्र सरकार किसी व्यावसायिक कंपनी को देना चाहती है। सूत्रों के अनुसार इसके लिए टेंडर देने की भी तैयारी चल रही है और इस व्यापारिक प्रतिष्ठान के भवन का शिलान्यास भी माननीय प्रधानमंत्री के कर कमलों से सितंबर में होना बताया जा रहा है।

गांधी विनोबा जेपी विरासत बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक राम धीरज ने कहा कि किसी भी कीमत पर प्रधानमंत्री को ऐतिहासिक विरासत को गिरा कर इस व्यावसायिक प्रतिष्ठान का शिलान्यास नहीं करने दिया जाएगा। न्यायालय का फैसला जो भी आएगा, वह हमें मान्य होगा। सरकारी अधिकारियों और सरकार का फैसला, हमें स्वीकार नहीं है।

सर्व सेवा संघ देश भर में सरकार के इस तुगलकी कार्रवाई का शांतिपूर्ण विरोध हो रहा है लेकिन शीघ्र ही हम सीधी कार्रवाई की घोषणा करेंगे।

गौरतलब है कि वाराणसी जिला प्रशासन और रेलवे के अधिकारियों ने 12 अगस्त को सर्व सेवा संघ परिसर में स्थित भवनों को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया था। जिला प्रशासन के अधिकारी भारी लाव-लश्कर के साथ विनोबा-जेपी की तपोस्थली पहुंचे और बुलडोजर से सबसे पहले परिसर में स्थित गेस्ट हाउस को ध्वस्त किया। गांधी-विनोबा-जेपी को मानने वाले सर्व सेवा संघ परिसर के पास इकट्ठे होकर मोदी सरकार की इस तानाशाही का विरोध कर रहे थे। लेकिन पुलिस उन्हें अंदर दाखिल नहीं होने दिया था।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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