अडानी की थैली और भारी करने के लिए थी मोदी की ‘ऐतिहासिक’ ग्रीस यात्रा

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक दिवसीय ग्रीस यात्रा इस समय मीडिया की सुर्खियों में है। मोदी ने शुक्रवार, 25 अगस्त को एथेंस में अपने यूनानी समकक्ष क्यारीकोस मित्सोटाकिस से मुलाकात की। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए दक्षिण अफ्रीका की अपनी चार दिवसीय यात्रा के बाद मोदी ग्रीस गए। भारत के किसी प्रधानमंत्री ने 40 वर्षों बाद ग्रीस की यात्रा की है। 1980 के दशक की शुरुआत में ग्रीस की यात्रा करने वाली अंतिम भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं।

संघ-भाजपा और मोदी सरकार ने इस यात्रा को बहुत महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक बताया है। लेकिन ग्रीस की मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस यात्रा के दौरान महत्वपूर्ण व्यापारिक एजेंडा लेकर आए थे। साथ ही भारत की मीडिया में भी इस यात्रा को व्यापारिक उद्देश्यों के लिए ही बताया जा रहा है।

इस बीच कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि पीएम मोदी ग्रीस अपने उद्योगपति मित्र गौतम अडानी के बिजनेस डील का रास्ता सुगम करने के लिए गए थे। कांग्रेस ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया कि “जैसा कि आपको पता है कि पीएम मोदी अभी-अभी ग्रीस की यात्रा से लौटे हैं, वहां उन्होंने ग्रीस के पोर्ट्स में दिलचस्पी भी दिखाई थी। अब खबर है कि… अडानी ग्रुप ग्रीस के पोर्ट्स का अधिग्रहण करने वाला है। इसका मतलब है हमेशा की तरह इस बार भी मोदी जी की विदेश यात्रा अपने परम मित्र को डील दिलाने के लिए ही थी। यानी मोदी ही अडानी है, अडानी ही मोदी है।”

यह आरोप सिर्फ कांग्रेस ही नहीं लगा रही है बल्कि एक समाचार रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक दिवसीय यात्रा के दौरान, भारत ने ग्रीस के सबसे बड़े बंदरगाह पीरियस पर ध्यान केंद्रित करते हुए, ब्रेक्सिट (ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने) के बाद वैकल्पिक निर्यात मार्गों की खोज पर चर्चा की। एथेंस खुद को भारत के “यूरोपीय संघ के प्रवेश द्वार” के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य बना रहा है, जो इसे यूरोप, एशिया और अफ्रीका से जोड़ रहा है।

बिजनेस डेली.जीआर की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि “ 40 वर्षों में पहली बार भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ग्रीस यात्रा इतिहास में दर्ज हो गई। व्यावसायिक स्तर पर अगर किसी समूह के पक्ष में यह यात्रा रही तो वह गौतम अडानी का समूह था, जो 2022 के अंत तक फोर्ब्स की सूची के अनुसार दुनिया के दूसरे सबसे अमीर एशियन व्यक्ति थे।” “अडानी समूह के प्रमुख ग्रीक बंदरगाहों में निवेश करने में रुचि रखते हैं, उन्होंने मुख्य रूप से कावला बंदरगाह पर और वोलोस बंदरगाह पर ध्यान केंद्रित किया है। प्रधानमंत्री मोदी, जो अडानी के साथ घनिष्ठ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखते हैं, और अन्य भारतीय व्यवसायी दोनों ने दोहराया कि ग्रीस यूरोप के लिए भारत का प्रवेश द्वार हो सकता है। एजियन में एक बंदरगाह का अधिग्रहण इस दिशा में महत्वपूर्ण मदद करता है।

थीमा की रिपोर्ट ने इस बात की ओर इशारा किया है कि “भारतीय प्रधानमंत्री ने ग्रीस में बंदरगाहों के अधिग्रहण में देश की रुचि व्यक्त करने के बाद एक प्रभाव हुआ। जब ग्रीस को लगा कि भारत के प्रधानमंत्री इस मुद्दे से अवगत हैं। अरबपति टाइकून गौतम अडानी (सबसे अमीर एशियाई और पिछले साल तक नंबर दो पर) ने फिलहाल दो बंदरगाहों कावला और वोलोस पर ध्यान केंद्रित किया है। लेकिन उनकी रुचि अलेक्जेंड्रोपोली में भी है।

फ्री प्रेस जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, भारत-ग्रीस साझेदारी का ध्यान शुरू में रक्षा पर था। भारतीय वायु सेना ने इस वसंत में ग्रीस में आयोजित एक यूरोपीय सैन्य अभ्यास में भाग लिया, जबकि भारत और ग्रीस ने क्रेते में एक संयुक्त नौसैनिक अभ्यास आयोजित किया। इसके अलावा, ग्रीक लड़ाकू विमानों के सितंबर में पहली बार भारतीय वायु सेना के अभ्यास में भाग लेने की उम्मीद है।

बैठक के दौरान मोदी ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने के लक्ष्य पर प्रकाश डाला और कृषि उत्पादन के क्षेत्र में एक समझौते की घोषणा की।

ग्रीक सिटी टाइम्स ने बताया कि मोदी ने ग्रीस में बंदरगाहों तक पहुंच हासिल करने में भारत की रुचि व्यक्त की है। इसके अतिरिक्त, भारतीय प्रधानमंत्री के साथ, उनके व्यवसायी साथी भी शामिल हुए, जिनमें से कई या तो पहले से ही ग्रीस में व्यावसायिक उद्यमों में शामिल थे या नए व्यवसाय शुरू करने में रुचि रखते थे। ये उद्यमी बुनियादी ढांचे, निर्माण, शिपिंग, ऊर्जा, खाद्य श्रृंखला, फार्मास्यूटिकल्स, पर्यटन और कपड़ों तक फैले विभिन्न उद्योगों में काम करते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि उनकी यात्रा कुछ भी नहीं थी, लेकिन उन्होंने अपने निवेश हितों पर खुलकर चर्चा की और ग्रीक व्यापार समकक्षों के साथ बैठकें कीं, जो ग्रीस में व्यापार पहलों में सहयोग और योगदान करने के मजबूत इरादे का संकेत देता है।

प्रदीप सिंह https://www.janchowk.com

दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

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