स्कीम वर्कर्स ने राष्ट्रीय सम्मेलन से किया ‘दिल्ली चलो’ का ऐलान, कहा- 2024 में मोदी को सिखाएंगे सबक

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पटना। स्कीम वर्करों का दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन 10 सितंबर को पटना में संपन्न हो गया। सम्मेलन ने स्कीम वर्कर्स के सवालों को लेकर मोदी सरकार को घेरने के लिए दिल्ली चलो का नारा दिया है। सम्मेलन ने अन्य संगठनों से बात कर राष्ट्रीय हड़ताल करने का भी ऐलान किया है। इसके साथ ही देश के लाखों स्कीम वर्कर्स के प्रति मोदी सरकार की उदासीनता के खिलाफ सम्मेलन ने आक्रोश जाहिर किया और मोदी सरकार को 2024 में सबक सिखाने का ऐलान किया है।

ऑल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन के सम्मेलन से 13 सदस्यीय पदाधिकारी, 30 सदस्यीय कार्यकारिणी और 45 सदस्यीय राष्ट्रीय परिषद का चुनाव किया गया। सर्वसम्मति से गीता मंडल को राष्ट्रीय अध्यक्ष और शशि यादव को राष्ट्रीय महासचिव चुना गया। सरोज चौबे सम्मानित अध्यक्ष और रामबली प्रसाद वरिष्ठ उपाध्यक्ष चुने गए।

असम, बंगाल, झारखंड, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, दिल्ली और महाराष्ट्र से पदाधिकारियों का चुनाव किया गया है। जयश्री (बंगाल), सबिता बराज (ओडिशा), पी सत्तार (आंध्र प्रदेश), विजय विद्रोही (उत्तर प्रदेश), स्वेताराज (दिल्ली), माया हजारिका (असम), गीता कश्यप (उत्तराखंड) और, सुवर्णा तालेकर (महाराष्ट्र) से पदाधिकारी चुने गए हैं।

समापन सत्र को संबोधित करते हुए ऐक्टू के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी शंकर ने कहा कि मोदी सरकार ने आम मजदूरों के साथ स्कीम वर्कर्स के पेट पर लात मारा है और उनके साथ विश्वासघात किया है। ऐसी सरकार को देश के करोड़ों-करोड़ मजदूर अब कतई बर्दास्त नहीं करेंगे। भारत के मजदूर आंदोलन में एक नया इतिहास बना रहे स्कीम वर्कर्स को सलाम करते हुए उन्होंने कहा कि इस आंदोलन को मंजिल तक पहुंचाने का काम ऐक्टू करेगा।

समापन सत्र को संबोधित करते हुए नव निर्वाचित राष्ट्रीय महासचिव शशि यादव ने कहा कि जब कोरोना काल में पूरे देश को घर के अंदर ही रहने को कहा जा रहा था, उस समय घर से बाहर निकल कर और जान जोखिम में डालकर देश और जनता की सेवा करने वाले स्कीम वर्कर्स के साथ मोदी सरकार ने गद्दारी की है और राज्य सरकारें भी संवेदनशील नहीं हैं। ऑल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन उनके न्यायसंगत सवालों को आगे बढ़ाएगा और अधिकार और सम्मान की लड़ाई तेज करेगा।

सम्मेलन में पारित किए गए प्रस्ताव

1. देशभर में तकरीबन 1 करोड़ स्कीम वर्कर्स जो शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला-बाल सुरक्षा अभियानों में वर्षों से कार्यरत हैं, उन्हें जीने लायक वेतन और न्यूनतम सामाजिक सुरक्षा से बाहर रखा गया है। सम्मेलन मांग करता है कि तमाम स्कीम वर्कर्स को सरकारी कर्मी का दर्जा दिया जाए, उन्हें सरकारी कर्मचारी जैसा वेतनमान और ईपीएफ, ग्रेच्युटी और पेंशन का लाभ मिले।

2. देश के विभिन्न राज्यों में आशा, आंगनबाड़ी, विद्यालय रसोइया, ममता आदि स्कीम वर्कर्स के संगठनों को मजबूत बनाते हुए फेडरेशन को मजबूत बनाने का आह्वान सम्मेलन से किया गया।

3. अक्टूबर से दिसंबर तक पूरे देश में स्कीम वर्कर्स के अधिकारों को लेकर अभियान चलाया जाएगा। स्कीम वर्कर्स के सवालों को लेकर मोदी सरकार को घेरने के लिए सम्मेलन ने दिल्ली चलो का नारा दिया है जिसकी तिथि बाद में घोषित होगी।

4. अन्य संगठनों से बात कर राष्ट्रीय हड़ताल का आह्वान किया जायेगा जिसकी तैयारी चल रही है।

5. देश के लाखों स्कीम वर्कर्स के प्रति मोदी सरकार की उदासीनता के खिलाफ सम्मेलन ने आक्रोश जाहिर किया और मोदी सरकार को 2024 में सबक सिखाने का आह्वान किया गया।

6. सम्मेलन ने देशभर में महिला सम्मान और सुरक्षा पर बढ़ते हमले, महिला विरोधी माहौल और कार्यस्थल पर बढ़ती यौन हिंसा के प्रति गंभीर चिंता जाहिर की। सम्मान-सुरक्षा को लेकर लड़ती मणिपुर की महिलाओं के प्रति एकजुटता जाहिर की गई। यौन हिंसा की शिकार संघर्षरत महिला पहलवानों का समर्थन सम्मेलन ने किया और सत्ता के संरक्षण की भर्त्सना कठोर शब्दों में की गई।

7. संयुक्त किसान मोर्चा और प्लेटफार्म ऑफ सेंट्रल ट्रेड यूनियंस के संयुक्त आह्वान पर दिल्ली में आहूत 26-29 नवंबर के महापड़ाव को सफल बनाने का आह्वान किया गया।

8. सम्मेलन ने यूपी और हरियाणा में चल रहे आशाओं के आंदोलन का समर्थन किया।

(विज्ञप्ति पर आधारित।)

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