छात्रों के लिए मौत की घाटी बना कोटा: रांची की छात्रा ने किया सुसाइड, 8 महीने में आत्महत्या के 25 मामले

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रांची, झारखंड। राजस्थान के कोटा में राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) की तैयारी कर रही झारखंड की एक 16 वर्षीय छात्रा की आत्महत्या की खबर सामने आयी है। आत्महत्या करने वाली छात्रा का नाम रिचा सिन्हा है, वह रांची निवासी रविंद्र कुमार सिन्हा की बेटी थी। वह नीट परीक्षा की तैयारी कर रही थी। जानकारी के अनुसार छात्रा ने पंखे में फंदा लगाकर आत्महत्या की है। रिचा कोटा के ब्लेज हॉस्टल में रहकर तैयारी कर रही थी।

कोटा में छात्र-छात्राओं की बढ़ती आत्महत्याओं के मामलों ने सभी को चिंता में डाल दिया है। पिछले 8 महीने में यहां पढ़ाई कर रहे या किसी कम्पटीशन की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं द्वारा किये गए आत्महत्या के 25 मामले सामने आए हैं।

रांची की यह छात्रा पांच महीने पहले ही कोचिंग के लिए कोटा आई थी। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है। छात्रा के कमरे से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है। पुलिस की प्रारंभिक जानकारी में पता चला है कि रिचा की करीब एक महीने से अपने पिता से बात नहीं हुई थी।

12 सितंबर की रात पुलिस को सूचना मिली कि तलवंडी स्थित निजी अस्पताल में किसी छात्रा को इलाज के लिए लाया गया है। अस्पताल में पहुंचने से पहले ही छात्रा की मौत हो चुकी थी। पुलिस के अनुसार शुरुआती जांच में पता चला है कि छात्रा देर शाम से अपने रूम से बाहर नहीं निकली थी।

मृतका की कई साथी छात्राओं ने उससे संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। इसके बाद हॉस्टल संचालक को इसके बारे में जानकारी दी गई। सूचना मिलने पर हॉस्टल के मैनेजर मौके पर पहुंचे और दरवाजा तोड़कर देखा तो छात्रा पंखे से चुन्नी बांधकर फंदे से लटकी हुई थी। पुलिस ने इसकी जानकारी परिजनों को दे दी है।

कोटा में आत्महत्या के बढ़ते मामले चिंता का विषय

पिछले साल कोटा में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे पंद्रह छात्रों ने आत्महत्या की थी। वहीं बीते 8 महीने में कोटा की कोचिंग संस्थाओं में यूपी-बिहार समेत कई राज्यों से पढ़ने आए 24 बच्चों ने अपनी जान दे दी है। सबसे ज्यादा आत्महत्या के मामले अगस्त और जून महीने में सामने आए हैं, इस महीने में 7 बच्चों ने अपनी जान दी है। वहीं जुलाई में 2 और मई में 5 आत्महत्या के मामले आए हैं।

हॉस्टलों से बच्चों के आत्महत्या के जो मामले सामने आए हैं, उनमें सबसे ज्यादा मामले पंखे से लटककर जान देने के हैं। कई बच्चों ने तो हॉस्टल की छत से कूदकर ही जान दे दी। सबसे चौंकाने वाला एक मामला 14 जून का था। जब महाराष्ट्र से आए माता-पिता से मिलने के तुरंत बाद ही छात्र ने आत्महत्या कर ली थी।

कोटा में छात्रों की आत्महत्या के पीछे का सबसे बड़ा कारण पढ़ाई का बोझ और बढ़ती प्रतिस्पर्धा को माना जा रहा है। इसके पीछे बच्चों के माता-पिता की अपेक्षाएं जिम्मेदार हैं। विशेषज्ञों का तो यह भी कहना है कि माता-पिता बच्चों को अन्य बच्चों से दोस्ती न करने की हिदायत देते हैं और उन्हें अपना प्रतिस्पर्धी मानने को कहते हैं। कई बार बच्चों में आपस में दोस्ती नहीं होती है जिसके कारण वो एक दूसरे से कोई भी बात शेयर नहीं कर पाते हैं और गलत कदम उठा लेते हैं।

सालों से तैयारी करने और कोचिंग संस्थाओं में लाखों की फीस भरने के बावजूद जब बच्चों का सलेक्शन नहीं होता है, तब भी कई बच्चे सुसाइड जैसा कदम उठा लेते हैं।

वहीं दूसरी तरफ सूत्र बताते हैं कि अगर ईमानदारी से कोटा के कोचिंग संस्थानों में हो रहीं आत्महत्याओं की जांच की जाए तो काफी चौकाने वाले मामले सामने उभरकर आएंगे। इन संस्थानों में जो आत्महत्याएं होती हैं उन पर स्थानीय पुलिस और कोचिंग संस्थानों की मिलीभगत से लीपापोती कर दी जाती है। कोचिंग संस्थान नहीं चाहते कि इन घटनाओं का खुलासा हो, क्योंकि उन्हें इस बात का भय बना रहता है कि कहीं इन मामलों में उनके संस्थान लपेटे में न आ जाएं।

(झारखंड से विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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