पटना। देश में एक तबका जाति गणना को गैरज़रूरी और पॉलिटिकल विवाद बढ़ाने वाला मानता है वहीं दूसरा तबका मानता है कि यह समाज में बदलाव लाने वाला कदम है। बिहार के रहवासी और सुप्रीम कोर्ट के वकील सुनील ठाकुर कहते हैं कि, ‘समाज में बराबरी लाने के लिए यह एक जरूरी कदम है। जहां एक बड़ा तबका संसाधनों पर अपनी जरूरत से अधिक कब्जा कर लिया है वहीं समाज में बहुसंख्यक आबादी जैसे-तैसे जी रही है। हमें ऐसे कई समाज के बारे में पता चला जिसकी संख्या एक प्रतिशत से 2% है। लेकिन हिस्सेदारी नगण्य है। अभी तो सिर्फ आबादी का आंकड़ा आया है। इसके असली नतीजे तो आर्थिक और सामाजिक आंकड़ों के सामने आने पर समझ आयेंगे। उसका विश्लेषण महत्वपूर्ण होगा’।
भूपेंद्र नारायण मंडल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर प्रकाश झा बताते हैं कि, ‘समानता और असमानता के बीच के फर्क को मिटाने का और कोई दूसरा रास्ता नहीं है। इस जनगणना से हम उन जातियों के बारे में जानेंगे जिनके बारे में ना अखबार में पढ़े हैं ना खबरों में देखे हैं। आने वाला सामाजिक न्याय इन्हीं जातियों के लिए मुख्य रूप से है। पिछड़े वर्ग में भी कुछ जातियों का ही वर्चस्व रहा है। उन्हें भी अपना अधिकार छोड़ना होगा। पूरे देश में जातिगत जनगणना होनी चाहिए। हालांकि सिर्फ जाति का आंकड़ा अधूरा है। जाति आधारित आर्थिक आंकड़ा सामने आएगा तो पता चलेगा कि कौन मलाई खा रहा है और किस के हिस्से दुद्धी भी नहीं आ रहा है। यह स्पष्ट हो तो बात बने’।
मैथिली भाषा के लेखक अरुण कुमार झा कहते हैं कि, ‘जातिगत आंकड़ों का सबसे ज्यादा नुकसान जनरल और दबंग जातियों को होगा। राजद और जदयू को भी होगा जो दो जातियों की पार्टी बनकर रह गई हैं। पिछड़ी जाति से आने वाली कई जातियां अपना प्रतिनिधित्व मांगेंगी। मुसलमान भी अपने हक के लिए अब उठेंगे। क्योंकि राजद मुसलमानों से ज्यादा यादवों को तरजीह देते रही है। सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा का होगा। दलित सबसे ज्यादा वोट अभी बीजेपी को दे रहे हैं, लेकिन उनके कितने सांसद हैं, ना के बराबर’।
सोशल मीडिया पर राजनीतिक विषयों पर लिखने वाले दुर्गेश कुमार कहते हैं कि, ‘जब 15% कुल आबादी को 10% आरक्षण है तो 63% आबादी को सिर्फ 27% आरक्षण क्यों? यह जातिगत जनगणना प्रतिनिधित्व हीन जनता के हक़ों को सुनिश्चित करेगी और भाजपा-RSS द्वारा फैलाई जा रही सांप्रदायिक हिंसा को भी कूड़ेदान में डालेगी’।
पक्ष-विपक्ष में वार-पलटवार शुरू
जाति जनगणना के आंकड़े के बाद तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर लिखा कि कम समय में जाति आधारित सर्वे के आंकड़े एकत्रित एवं प्रकाशित कर बिहार आज फिर एक ऐतिहासिक क्षण का गवाह बना। दशकों के संघर्ष ने एक मील का पत्थर हासिल किया। इस सर्वेक्षण ने ना सिर्फ वर्षों से लंबित जातिगत आंकड़े प्रदान किये हैं बल्कि उनकी सामाजिक आर्थिक स्थिति का भी ठोस संदर्भ दिया है। अब सरकार त्वरित गति से वंचित वर्गों के समग्र विकास एवं हिस्सेदारी को इन आंकड़ों के आलोक में सुनिश्चित करेगी।
वहीं बीजेपी के कई नेता जातिगत जनगणना पर सवाल उठा रहे हैं। कई नेता जनगणना पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि बिहार में यादव जनसंख्या 14.27% है जबकि मुस्लिम जनसंख्या 17.7% है। इस हिसाब से मुख्यमंत्री या उप मुख्यमंत्री में कोई एक मुसलमान होना चाहिए। लेकिन राजद सिर्फ मुस्लिम का उपयोग वोट बैंक में करती है। वहीं जिसकी जितनी भागीदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी के तहत बिहार में 43 विधायक और 7 सांसद मुसलमान होने चाहिए। फिलहाल 10 के लगभग विधायक और 1 सांसद हैं।
जाति आधारित गणना के आंकड़े
पिछड़ा- 27.13%
अति पिछड़ा- 36.01%
अनुसूचित जाति-19.65%
अनुसूचित जनजाति- 1.68%
सवर्ण- 15.59%
शुरू हुआ मंडल 2.0 का दौर
राजद के सोशल मीडिया इंचार्ज आलोक चीकू कहते हैं कि, ‘मंडल 2.0 शुरू हो चुका है। लड़ाई सीधी मंडल vs कमंडल की होगी।90 बनाम 10 की लड़ाई है। अब देश के सभी नेता चाहे वह पक्ष के हों या विपक्ष के, उन्हें सोचना पड़ेगा कि उन्हें 90% के पक्ष में खड़ा होना है या 10% के पक्ष में। INDIA गठबंधन का रुख साफ है। केंद्र में सरकार बनते ही INDIA पूरे देश में जातिगत जनगणना कराएगा और उसके आधार पर कमजोर वर्गों के लिए योजनाएं बनाई जाएंगी’।
रजत से जुड़े अभिनय पंकज लिखते हैं कि, ‘अब तक जो 3% वाले, 2% वाले हर जगह महत्व के पदों पर दिखते थे तो लोगों को लगता था कि अच्छी खासी जनसंख्या होगी इसीलिए हर जगह दिखते हैं। राज्य का 90% पैसा भी इन्हीं 10% के पास है, अब लोग सवाल भी पूछेंगे और डरेंगे भी नहीं।”
वो आगे लिखते हैं कि ‘अब किसी भी भौगोलिक, सामाजिक और अकादमिक क्षेत्र में इनका वर्चस्व अपने आप लोगों को अखरेगा। कोई पार्टी इन्हें इनकी संख्या बल से अधिक टिकट देने की हिम्मत करेगी तो अपने आप बाकियों के वोट से हाथ धो बैठेगी। जातिगत जनगणना के आंकड़ों का सार्वजनिक होना अपने आप सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक बदलाव लाएगा, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी’।
(बिहार से राहुल कुमार की रिपोर्ट।)
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