मणिपुर हिंसा: आठवें महीने 64 शवों को हुई मिट्टी नसीब, सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद परिजनों को सौंपी गयी लाश

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नई दिल्ली। मणिपुर हिंसा में मारे गए 94 लोगों के शव मणिपुर के तीन अस्पतालों में लंबे समय से पड़े हैं। कुछ शव लावारिश हैं तो कुछ की पहचान हो चुकी है। लेकिन राज्य में व्याप्त हिंसा को देखते हुए पीड़ित परिजन अपने निकट संबंधियों के शवों का दाह-संस्कार नहीं कर सके हैं। गुरुवार को 64 शवों को दो हेलीकॉप्टरों से उनके संबंधित गृह जिलों में भेजा गया। जिनमें से ज्यादातर 3 मई को भड़की हिंसा में मारे गए थे। यानि पहले दिन हिंसा में मारे गए लोगों का सात महीने बाद अंतिम संस्कार हुआ। और यह सब सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद संभव हुआ है।

दरअसल, इंफाल के अस्पतालों में लाशें पड़ी थीं। राज्य में हिंसा के चलते कुकी और मैतेई समुदाय एक दूसरे के बाहुल्य वाले क्षेत्रों में जाने से बच रहे थे। क्योंकि दोनों समुदायों के बीच नफरत और अविश्वास की भावना हद से ज्यादा बढ़ गयी है।   

दूसरी तरफ राज्य के कई जातीय संगठनों ने भी लाशों के अंतिम संस्कार करने पर रोक लगाई थी। उनका कहना था कि जब तक कुकी समुदाय की मांगों को सरकार मान नहीं लेती, तब तक वे अपने मृत परिजनों का अंतिम संस्कार न करें।

लेकिन संगठनों के निर्देश के बावजूद कई पीड़ित परिवार अपने मृत संबंधियों का अंतिम संस्कार करना चाह रहे थे। और यह कदम 28 नवंबर के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उठाया गया है, जिसमें राज्य सरकार को दिसंबर के मध्य तक लावारिस या अज्ञात शवों का सम्मानजनक अंत्येष्टि या दाह संस्कार सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया था।

21 अक्टूबर तक मारे गए 175 लोगों में से कुकी-ज़ो और मैतेई पीड़ितों के 94 शव मणिपुर के तीन अस्पतालों में पड़े हैं, जिससे यह चिंता पैदा हो गई है कि शवों को कितने समय तक रखा जाएगा। 94 शवों में से 88 लावारिस और छह की पहचान नहीं हो सकी है।

अब तक, कम से कम 194 लोग मारे गए हैं और दोनों समुदायों के 67,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि इंफाल के दो अस्पतालों से 41 शव चुराचांदपुर और 19 शव कांगपोपकी ले जाए गए। चार शवों को चुराचांदपुर जिला अस्पताल से इम्फाल ले जाया गया।

उन्होंने कहा कि चुराचांदपुर और कांगपोकपी लाए गए शव कुकी-ज़ो पीड़ितों के थे और चुराचांदपुर से लाए गए शव मैतेई पीड़ितों के थे।

उन्होंने कहा कि “हमने गृह मंत्रालय द्वारा व्यवस्थित दो हेलीकॉप्टरों में शवों को ले जाने की प्रक्रिया पूरी कर ली है। कुकी-ज़ो संगठन निर्दिष्ट स्थानों पर शवों को एक साथ सामूहिक रूप से दफ़नाया। चुराचांदपुर अस्पताल में शव मुख्य रूप से उसी जिले के कुकी-ज़ो लोगों के हैं।”

कुकी-ज़ो ज़्यादातर पहाड़ियों में रहते हैं और मुख्यतः ईसाई हैं। मैतेई ज्यादातर घाटी में रहते हैं और मुख्य रूप से हिंदू हैं।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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