उत्तराखंड टनल हादसा: रैट-होल खनिकों ने राज्य सरकार से मिले चेक को एनकैश कराने से किया इनकार

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नई दिल्ली। उत्तराखंड के सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को सकुशल बाहर निकालने में अहम भूमिका निभाने वाले रैट-होल खनिकों ने उत्तराखंड सरकार से मिले चेक को एनकैश कराने से मना कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से उन्हें 50,000 रुपये का चेक दिया गया था जिसे उन्होंने एनकैश कराने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से जिन 12 मजदूरों को सम्मानित किया गया था उन सभी ने सामूहिक रूप से चेक को एनकैश नहीं करने का फैसला किया है।

उनमें से एक मजदूर हसन ने कहा कि “जिस दिन हमें चेक सौंपा गया था उस दिन हमने मुख्यमंत्री से असंतोष जताया था। हमें अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि हमारे बारे में कुछ घोषणा कुछ दिनों बाद की जाएगी जिसके बाद हम वापस आ गए। अगर वे अपने वादे पर कायम नहीं रहते हैं तो हम चेक वापस कर देंगे।”

हसन ने कहा कि वे ऑपरेशन में मदद करने वाले रैट-होल खनिकों के लिए सरकार से स्थायी नौकरियों की उम्मीद करते हैं। उन मजदूरों में से एक मुन्ना का भी कहना है कि जिस तरह से उन्होंने अपनी जान पर खेल कर टनल में फंसे मजदूरों की जान बचाई है उसके मुकाबले सरकार की ओर से उन्हें दी जाने वाली राशि काफी कम है। मुन्ना, हसन के फर्म रॉकवेल एंटरप्राइजेज के लिए काम करते हैं।

उसका कहना है कि “हम टनल में फंसे हुए मजदूरों को बचाने के लिए मौत के मुंह में घुस गए। हमने अपने परिवार के सदस्यों की बात भी नहीं सुनी क्योंकि 41 इंसानों की जिंदगी का सवाल था।“

मुन्ना अपने बच्चों के साथ 8/10 के कमरे में रहते हैं। उसका कहना है कि “हमने जो किया है उसके सामने ये रकम बहुत कम है। इसने हमारे मनोबल को तोड़ कर रख दिया है। हमें रहने के लिए एक घर या फिर एक स्थायी नौकरी चाहिए।“ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी ने गुरुवार 21 दिसंबर को 12 रैट-होल खनिकों को 50,000 रुपये का चेक दिया था।

रैट-होल खनिकों ने टनल में फंसे हुए मजदूरों को बाहर निकालने के लिए एमएस स्टील पाइप से लगभग 15 मीटर तक ड्रिल किया था जहां पहले से ही मलबा जमा हुआ था। टनल में फंसे मजदूरों की जान बचाने के लिए रैट-होल खनिकों का ये आइडिया सबसे आखिरी कदम था। इससे पहले विदेशों से मंगवाए गए मशीनों की मदद के बाद भी मजदूरों को बाहर नहीं निकाला जा सका था।

सिल्क्यारा टनल का एक हिस्सा धंस जाने के कारण 12 नवंबर को 41 मजदूर फंस गए थे जो 17 दिनों तक टनल में फंसे रहे। जिसके बाद रैट-होल खनिकों ने सभी 41 मजदूरों की जान बचाई और उन्हें टनल से सुरक्षित बाहर निकाला।

(‘द टेलिग्राफ’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)

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