बैरिकेडिंग तोड़कर हजारों प्रदर्शनकारियों ने किया हसदेव में नागरिक प्रतिरोध मार्च

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रायपुर। पूरे प्रदेश में वाहनों को रोके जाने तथा लोगों को हिरासत में लिए जाने के बावजूद संयुक्त किसान मोर्चा और छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन की पहलकदमी पर कल हसदेव में हजारों लोगों ने नागरिक प्रतिरोध मार्च में हिस्सा लिया और हसदेव अरण्य की कॉर्पोरेट लूट और आदिवासियों के दमन के खिलाफ अपनी आवाज उठाई। संयुक्त किसान मोर्चा ने आरोप लगाया है कि प्रतिरोध मार्च को विफल करने के लिए भाजपा राज्य सरकार द्वारा दुर्ग, बस्तर, रायपुर, बिलासपुर, कोरबा, सरगुजा और सूरजपुर से आने वाले 200 से ज्यादा वाहनों को रोका गया है और 2000 से ज्यादा नागरिकों को हिरासत में लिया गया है। सरकार के इस जनविरोधी और तानाशाही रूख की इन दोनों संगठनों ने निंदा की है।

नागरिक प्रतिरोध मार्च को रोकने के लिए रायपुर-अंबिकापुर सड़क मार्ग के सभी टोल नाकों और थानों पर वाहनों को रोकने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। रायपुर में आंदोलन का नेतृत्व करने वाले प्रमुख लोगों को सुबह ही गिरफ्तार कर लिया गया था। फिर भी इस धर-पकड़ और चेकिंग को दगा देते हुए हसदेव के मुद्दों के प्रति संवेदनशील हजारों नागरिक हसदेव पहुंच गए। यहां भी उन्हें रोकने के लिए भारी बैरिकेडिंग की गई थी। पुलिस अधिकारियों से काफी बहस के बाद आक्रोशित नागरिकों ने बैरिकेडिंग तोड़कर अपना मार्च शुरू किया।

प्रशासन ने हसदेव क्षेत्र के नागरिकों को भी अपने गांवों से निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया था। मार्च में शामिल नागरिकों द्वारा हाईवे जाम किए जाने की चेतावनी दिए जाने के बाद इस प्रतिबंध को खत्म किया गया और गांवों के लोग सभास्थल पर पहुंचे। प्रशासन के इस रुख के खिलाफ रोके गए नागरिकों और आंदोलनकारियों ने दुर्ग और अंबिकापुर में भी प्रदर्शन किया और हसदेव के विनाश के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया। 

पूरे प्रदेश से जुटे नागरिकों और दलितों, आदिवासियों और किसानों के बीच काम करने वाले संगठनों के नेताओं ने सभा को संबोधित किया। इनमें छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला, छत्तीसगढ़ किसान सभा के संजय पराते, भारतीय किसान यूनियन के प्रवीण श्योकंद, पूर्व विधायक जनकलाल ठाकुर, आदिवासी महासभा के सौरा यादव तथा कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज आदि शामिल थे।

आलोक शुक्ला ने पिछले दस सालों से हसदेव अरण्य को बचाने के लिए किए जा रहे संघर्षों को विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार पिछली भाजपा सरकार द्वारा ग्राम सभा के नाम पर फर्जी प्रस्ताव पारित किए गए और इस आधार पर अडानी को कोयला खदानों का आवंटन किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने भी इस फर्जीवाड़े के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया। लेकिन इस कॉर्पोरेट लूट और आदिवासियों के विस्थापन के खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा तथा भाजपा सरकार को हसदेव को खनन मुक्त क्षेत्र बनाने के विधानसभा के सर्वसम्मत प्रस्ताव को लागू करने के लिए बाध्य किया जाएगा। 

संजय पराते ने कहा कि जल, जंगल, जमीन और खनिज का मामला राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है और हसदेव में जंगल कटाई के लिए राज्य और केंद्र की भाजपा सरकार पूरी तरह जिम्मेदार है। यहां बिजली और विकास के नाम पर अडानी की लूट के लिए विनाशलीला रची जा रही है और इसके खिलाफ लड़ने वाले नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि हसदेव को खनन मुक्त क्षेत्र बनाने के बजाए नागरिक मुक्त क्षेत्र बनाने की साजिश की जा रही है और इस क्षेत्र में नागरिकों के प्रवेश पर अघोषित प्रतिबंध लगाया जा रहा है। किसान सभा नेता ने पेसा और आदिवासी वनाधिकार कानून को सर्वोच्च बताते हुए इसे लागू करने और इस क्षेत्र में आबंटित सभी कोल ब्लॉकों की स्वीकृतियां निरस्त करने की मांग की। उन्होंने कहा कि ग्राम सभाओं के फर्जी प्रस्तावों के आधार पर दी गई किसी भी खनन अनुमति की कोई वैधता नहीं है, फिर उसमें चाहे प्रधानमंत्री के हस्ताक्षर हो या राष्ट्रपति के।

कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने भाजपा राज में ग्राम सभाओं के नाम पर अडानी द्वारा तैयार फर्जी प्रस्तावों को कांग्रेस सरकार द्वारा निरस्त न किए जाने की गलती मानी तथा आश्वासन दिया कि भविष्य में वह हमेशा हसदेव के आदिवासियों के साथ खड़ी रहेगी। सभा को आप, जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भाकपा (माले)-रेड स्टार और लिबरेशन के प्रतिनिधियों ने भी संबोधित किया और आदिवासियों और हसदेव के संघर्षों  के साथ अपनी एकजुटता प्रकट की।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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