यूजीसी का दिशानिर्देश: योग्य उम्मीदवार नहीं मिलने पर आरक्षित पदों को सामान्य वर्ग से भरने का प्रस्ताव

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नई दिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) में एससी, एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों के लिए रिक्तियों को डी-आरक्षित करने यानि पर्याप्त आरक्षित उम्मीदवार उपलब्ध नहीं होने पर उन्हें सामान्य वर्ग के लिए खोलने के लिए दिशानिर्देशों का एक मसौदा जारी किया है। उच्च शिक्षा संस्थानों में आरक्षण नीति के कार्यान्वयन के लिए दिशानिर्देश यूजीसी द्वारा 27 दिसंबर को जारी किए गए थे और जनता की राय प्रदान करने की अंतिम तिथि 28 जनवरी को समाप्त हो रही है। यानि यूजीसी ने इस दिशानिर्देश पर जनता को एक दिन का समय दिया था कि वह अपने विचार इस पर साझा करे।

यूजीसी के इस दिशानिर्देश पर देश भर में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) ने इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है और कहा कि यूजीसी अध्यक्ष एम जगदेश कुमार का पुतला जलाया जाएगा।

तमिलनाडु यूनिवर्सिटीज एंड कॉलेज एससी/एसटी टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष के कथिरावन ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि यह पहली बार है कि विश्वविद्यालयों में रिक्तियों को भरने के लिए आरक्षण हटाने के लिए इस तरह के प्रावधान का सुझाव दिया गया है।

देश भर के विश्वविद्यालयों और छात्र संगठनों के विरोध की घोषणा के बीच यूजीसी अध्यक्ष एम जगदेश कुमार का दिशानिर्देशों की आलोचना पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है।

यूजीसी द्वारा भेजे गए मसौदे में कहा गया है कि सीधी भर्ती में आरक्षित रिक्तियों को अनारक्षित करने पर सामान्य प्रतिबंध है, लेकिन दुर्लभ और असाधारण मामलों में जब समूह ‘ए’ के पद पर किसी रिक्ति को सार्वजनिक हित में खाली रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, तो संबंधित विश्वविद्यालय आरक्षण रद्द करने के लिए एक प्रस्ताव तैयार कर सकता है। ऐसा करने के लिए, उसे पदनाम, वेतनमान, सेवा का नाम, जिम्मेदारियां, आवश्यक योग्यताएं, पद भरने के लिए किए गए प्रयास और इसे खाली रहने की अनुमति क्यों नहीं दी जा सकती जैसी जानकारी प्रदान करनी होगी।

जबकि ग्रुप ‘सी’ और ‘डी’ पदों के लिए डी-आरक्षण के प्रस्ताव को विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद द्वारा अनुमोदित किया जा सकता है, ग्रुप ए और बी पदों के लिए डी-आरक्षण का प्रस्ताव शिक्षा मंत्रालय को प्रस्तुत किया जाना चाहिए, जिसमें इसके अनुमोदन के लिए पूरी जानकारी दी जाएगी। मसौदे में कहा गया है कि मंजूरी के बाद पद भरा जा सकता है और कोटा आगे बढ़ाया जा सकता है।

ड्राफ्ट में आरक्षित रिक्त पदों में कमी और बैकलॉग की भी बात कही गई है और कहा गया है कि विश्वविद्यालयों को जल्द से जल्द दूसरी बार भर्ती बुलाकर रिक्तियों को भरने का प्रयास करना चाहिए।

यदि आरक्षित रिक्तियों के विरुद्ध पदोन्नति के लिए पर्याप्त संख्या में एससी/एसटी उम्मीदवार उपलब्ध नहीं हैं तो यह पदोन्नति में आरक्षण को रद्द करने की भी अनुमति देता है। ऐसे मामलों में आरक्षित रिक्तियों के आरक्षण को रद्द करने की मंजूरी देने की शक्ति यूजीसी/शिक्षा मंत्रालय को सौंपी गई है।

यूजीसी द्वारा पेश दिशानिर्देशों को यदि मंजूरी मिल जाती है, तो यह दिशानिर्देश सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों, डीम्ड-टू-यूनिवर्सिटी और केंद्र सरकार के तहत अन्य स्वायत्त निकायों/संस्थानों या यूजीसी, केंद्र सरकार या समेकित निधि से अनुदान सहायता प्राप्त करने वालों तक लागू हो जायेगा।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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