महाराष्ट्र में ‘ऑपरेशन कमल’ सफल, बीजेपी के हुए अशोक चव्हाण

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पिछले डेढ़ साल से महाराष्ट्र में बीजेपी लगी हुई थी। ऑपरेशन कमल का मिशन भी यही होता है कि दूसरे दल की सरकार को ही गिरा दी जाए और अपनी सरकार बना ली जाए। जो बोले उसे जेल में बंद कर दिया जाए। महाराष्ट्र में पिछले डेढ़ साल में जो कुछ भी हुआ है वह देश देख रहा है। लेकिन देश यह भी देख रहा है कि इस देश के नेता कितने कमजोर और आधारहीन हैं जो कभी भी पाला बदल सकते हैं।

आज महाराष्ट्र में एक और बड़ा खेला हुआ और कांग्रेस के दिग्गज नेता अशोक चव्हाण बीजेपी में शामिल हो गए। यह कोई ममूली बात नहीं है। अशोक चव्हाण की राजनीति कांग्रेस से ही शुरू हुई थी। उनके पिता भी कांग्रेसी थे। पिता शंकर राव चव्हाण महाराष्ट्र के नामी कांग्रसी नेता तो थे ही, मुख्यमंत्री भी रहे। अशोक चव्हाण भी पिता की राह पर चलते हुए कांग्रेस को आगे बढ़ाने में लगे रहे और फिर सूबे के सीएम भी बने। लेकिन जैसे ही बीजेपी ने उन पर आदर्श घोटाले का शिकंजा कसा वे टूट गए और बीजेपी में शामिल हो गए।

अशोक चव्हाण महाराष्ट्र के मराठवाड़ा इलाके से आते हैं। उनकी एक पहचान है और विरासत भी। कह सकते हैं कि उनके साथ कई और विधायक बीजेपी में जा सकते हैं। कुछ को कोई पद मिल सकता है और अशोक चव्हाण को बीजेपी राज्य सभा में भेज सकती है, जैसा की कहा भी जा रहा है। लेकिन इसके बाद क्या होगा? मराठवाड़ा के जिस इलाके से वे आते हैं उनके खिलाफ राजनीति करने वाले बीजेपी के पुराने नेता क्या उनको छोड़ देंगे? कभी नहीं। राजनीति तो समय के मुताबिक ही चलती है और हर समय कोई विजय पटाखा नहीं लहरा सकता। जब राजनीति उलटी पड़ती है तो इंसान मुंह दिखाने लायक तक नहीं रहता। लेकिन राजनीति का एक सच यह भी है कि यहां तो हर कोई नंगा ही है। इस नंगे की महफ़िल में कौन किसके बारे में सोंचता और पूछता है?

नीतीश कुमार से कोई सवाल पूछ रहा है? कोई पूछेगा भी क्या? जो लोग आज नीतीश के साथ घूम रहे हैं और कहकहे लगा रहे हैं उनकी राजनीति भी तो वैसी ही रही है। सम्राट चौधरी कौन हैं? उनके इतिहास भूगोल को देखिये तो सब पता चल जाएगा। बिहार की ऐसी कौन सी पार्टी है जिसमें वह नहीं रहे हैं। अब बीजेपी में पगड़ी बांधकर घूम रहे हैं। पड़गी इसलिए बांधे थे कि नीतीश को सत्ता से हटाकर ही पगड़ी खोलेंगे। लेकिन सच तो यही है कि उनकी पड़गी आज भी सर पर विराजमान है और वे नीतीश के साथ सरकार चलाने को तैयार हैं। राजनीति का यह पाखंड और दोहरा चेहरा बहुत कम ही देखने को मिलता है। फिर अशोक चव्हाण से कौन सवाल कर सकता है?

खैर बात हो रही थी अशोक चव्हाण और ऑपरेशन कमल की। महाराष्ट्र में ऑपरेशन कमल को करीने से चलाया गया। पहले शिवसेना पर वार किया गया। शिवसेना ने बीजेपी का साथ छोड़ा था तो बीजेपी ने शिवसेना को ही जमींदोज कर दिया। पार्टी को तोड़ दिया और शिवसेना को भी उद्धव से छीन लिया। उद्धव और उनकी सेना कुछ भी तो नहीं कर पाई। अब उद्धव की शिवसेना कितना कुछ कर पायेगी और महाराष्ट्र में कितना असर छोड़ पाएगी यह सब देखने की बात है। सामने चुनाव है इसे परखा जाएगा।

कुछ ही समय बाद पवार की पार्टी का वही हाल किया गया जो हाल शिवसेना का हुआ था। शरद पवार के भतीजे को बीजेपी में लाया गया। भतीजे के साथ ही एनसीपी के सभी बड़े नेताओं को तोड़ा गया और सरकार में शामिल किया गया। लड़ाई आगे तक बढ़ी और फिर वही हुआ जो शिवसेना के साथ हुआ था। जैसे शिवसेना शिंदे के पास चली गई ठीक वैसे ही एनसीपी भी अजित पवार के साथ चली गई।

कांग्रेस को महाराष्ट्र में तोड़ा तो नहीं जा सकता, कांग्रेस के बड़े नेताओं को झपटा जरूर जा सकता है। वही काम बीजेपी ने किया। चुनव से पहले भले ही कांग्रेस को बड़ा झटका बीजेपी ने दिया है लेकिन कांग्रेस को इससे क्या फर्क पड़ेगा यह देखने की बात होगी। कांग्रेस तो बार -बार टूटती ही रही है। उसकी टूट से ही तो आज इतने दल देश में बने हुए हैं। उसकी टूट से ही बीजेपी आज मजबूत बनी हुई है। लेकिन क्या यह सब करने के बाद बीजेपी की बड़ी जीत होगी?

अशोक चव्हाण पर कांग्रेस को बड़ा गुमान था। खड़गे और राहुल को भी लग रहा था कि अशोक चव्हाण के रहते महाराष्ट्र में पार्टी की जीत होगी लेकिन उनकी सोच गलत निकली। मिलिंद देवड़ा पहले निकले थे। बाद में बाबा सिद्धिकी निकले और अब दल बल के साथ अशोक चव्हाण निकल गए। कल कोई और भी निकल सकता है। कहा जा रहा है कि चव्हाण के साथ कुछ और विधायक जा सकते हैं।

अशोक चव्हाण पर 2010 मुंबई आदर्श आवासीय घोटाले में शामिल होने का आरोप था। 14 साल गुजर गए। उस केस की जांच अभी तक चल रही है। खबर है कि पहले अशोक चव्हाण को यह कहा गया था कि पार्टी के अधिकतर लोगों को तोड़कर बीजेपी के साथ लाया जाए। लेकिन संभव नहीं हो सका। इसके बाद अब इस ऑपरेशन कमल को अंतिम रूप देते हुए अशोक चव्हाण बीजेपी के हो गए।

(अखिलेश अखिल स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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