झारखंड के लातेहार जिला अंतर्गत मनिका थाना हाजत में दलित, आदिवासी मजदूरों को पुलिस द्वारा 3 दिनों तक बेरहमी से पीटने की सनसनीखेज खबर आई है। घटना एक मई मजदूर दिवस के ठीक दूसरे दिन यानि 2 मई की है। खबर के मुताबिक अशोक यादव को प्रखण्ड प्रशासन के द्वारा परिसर स्थित पुराने सीआरपीएफ कैंप में साफ-सफाई और पुराने भवनों में रंग – रोग़न करने का काम दिया गया था। अशोक यादव ने उपरोक्त काम पर मजदूरों को लगाया था। उस दिन मजदूरों के काम का तीसरा दिन था। गरीबी के कारण सभी मजदूर घर से दोपहर खाना लेकर नहीं आते हैं। ऐसी स्थिति उन्होंने मनिका स्थित दाल-भात केंद्र में 5 रुपये में भरपेट भोजन के लिए खाना लगाने का आर्डर दिया ही था कि मनिका थाना के पुलिसकर्मी वहां गाड़ी से आ धमके। जब तक मजदूर कुछ समझ पाते सभी मजदूरों को पुलिस अपनी गाड़ी में लादकर थाना ले गई। वहां लल्लू राम के मोबाइल को पुलिस ने जब्त कर लिया और उन मजदूरों से कैंपस से ट्रक के टायर की चोरी के बाबत पूछताछ की जाने लगी। लेकिन उन मजदूरों को इस टायर के चोरी हो जाने की जानकारी बिल्कुल भी नहीं थी। अतः मामले पर अनभिज्ञता जाहिर करने पर थानेदार ने मजदूरों को मारना-पीटना शुरू कर दिया।
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सधवाडीह निवासी रामेश्वर सिंह के शब्दों में एक सिपाही ने उन्हें लोहे के डंडे से उसकी पीठ पर जोर लगाके मारा। फिर उसका कान पकड़कर ऊपर कस के उठाया। इससे उनके मुंह से अचानक खून बहने लगा। लल्लू राम ने बताया – उसे फ़ाइबर के डंडे से बेरहमी से पीटा गया। इस मारपीट के क्रम में देव नारायण सिंह ने स्वीकारा कि 1 मई की शाम को अशोक यादव ने ट्रक का टायर खोला और अपने ट्रैक्टर से अपने घर ले गए थे। कुछ घंटों के बाद अशोक यादव स्वयं मजदूरों को खोजते हुए थाना पहुंचे और थाने में स्वीकार किया कि उन्होंने टायर चोरी की है बावजूद मजदूरों नहीं छोड़ा गया और बेरहमी से पिटाई की गई।
इतना ही नहीं मनिका के नमुदाग (दुबजरवा टोला) निवासी 45 वर्षीय दैनिक मजदूर व दलित लल्लू राम को वगैर किसी जुर्म के 3 दिनों तक मनिका थाने के हाजत में बंद कर बेरहमी से पिटाई की गई। उनके साथ अन्य मजदूर देव नारायण सिंह, विजय सिंह, पहलवान सिंह, रामेश्वर सिंह व एक मूक बधिर दिव्यांग, सभी सधवाडीह निवासी को भी थाने में रात भर बंद कर रखा गया।
बताते चलें कि प्रखण्ड परिसर स्थित पूर्व सीआरपीएफ कैंप परिसर से रिम सहित टायर चोरी के आरोपी भदई बथान निवासी अशोक यादव के खिलाफ झूठी गवाही दिलवाने के लिए कि “हमने अशोक यादव को चोरी करते देखा है” पुलिस ने मूक बधिर दिव्यांग मजदूर को छोड़कर सभी मजदूरों की बेरहमी से पिटाई की। रात भर हाजत में बंद कर रखने पिटाई करने बाद 3 मई को लल्लू राम, नारायण सिंह और विजय सिंह को पुलिस द्वारा लातेहार जिला अदालत में काण्ड संख्या 28/2024 में दण्ड प्रक्रिया संहिता 164 के तहत बयान दर्ज कराने हेतु ले जाया गया।
अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी शशि भूषण शर्मा के समक्ष तीनों मजदूरों ने बताया कि वे थानेदार की बेहरहमी से की गई पिटाई के कारण मार से बचने के लिए घटना की स्वीकारोक्ति की और पुलिस को झूठा बयान दिया। 164 के तहत बयान दर्ज कराने के बाद पुलिस द्वारा तीनों दैनिक मजदूरों को पुन: मनिका थाना लाया गया। थानेदार जय प्रकाश शर्मा अपना आपा खो बैठे और अपना रौद्र रूप दिखाते हुए शुक्रवार 3 मई शाम से 4 मई शनिवार की रात 8.00 बजे तक रह-रह कर तीनों मजदूरों की बेरहमी से पिटाई की और लल्लू राम के दोनों जांघों के पिछले हिस्से, पीठ पर जमकर पिटाई की और दाहिना हाथ का अंगूठा मार कर तोड़ दिया।
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लल्लू राम की पत्नी राजो देवी बताती है कि जब 2 मई गुरुवार को 8.00 बजे रात तक पति घर नहीं पहुंचे तो उनके नहीं आने पर मैं परेशान हो गई फिर उनके मोबाइल पर रिंग किया लेकिन उधर से फोन रिसीव नहीं किया गया। राजो देवी ने रूआंसे स्वर में बताया कि चिंता के कारण हमने रात का खाना नहीं बनाया। उनके दो बेटे जो बाहर बैंगलोर और हैदराबाद में मजदूरी करते हैं, उनको फोन करके घटना की जानकारी दी। उन दोनों ने भी फोन पर संपर्क करने की भरसक कोशिश की। परंतु किसी ने फोन रिसीव नहीं किया।
अगले दिन शुक्रवार 3 मई को दिन के 11.00 बजे राजो देवी को गांव के ही किसी ने बताया कि उसके पति को मनिका थाना की पुलिस ने थाने में पकड़कर रखा हुआ है। राजो देवी मन अत्यंत व्याकुल हो उठा कि आखिर उसके पति ने क्या ऐसा जुर्म कर दिया है कि उनको थाना ले जाया गया है।
लल्लू राम ने बताया कि जितने दिन भी मजदूरों को थाने में रखा गया उसमें से पहले दिन रात के 10.00 बजे खाना दिया गया था। दूसरे दिन सुबह 8.00 बजे नाश्ता व रात को 10.00 बजे खाना तथा अगले दिन सुबह नाश्ता मात्र दिया गया था, दोपहर खाना वगैरह कुछ भी खाने को नहीं दिया गया। जबकि उन्हें रात के 8.00 बजे छोड़ा गया।
पुलिस के करतूतों का सिलसिला यहीं समाप्त नहीं हुआ, वो रह-रह कर अब भी लल्लू राम को उनके घरों तक तलाश कर रही है। 17 मई एवं 18 मई को भी पुलिस लल्लू राम की तलाश में नामूदाग स्थित उनके घर में शाम के 5.00 बजे आई थी। लेकिन संयोग से उस दिन लल्लू राम अपनी साली के घर मनिका थाने के रेवतकला गांव गए हुए थे। मनिका थानेदार के इस हरकत से लल्लू राम का पूरा परिवार डरा हुआ और सदमे में है।
पीड़ित परिवार पूरी तरह भूमिहीन हैं और खपरैल के मकान में रहता है। अभी कुछ ही दिनों में बरसात आने वाली है। अभी इनको अपने घर की मरम्मत करनी है। लेकिन पुलिसिया मार से दाहिने अंगूठे में फ्रैक्चर हो गया है, डॉक्टर ने कहा है कि कम से कम 15 से 20 दिनों तक प्लास्टर नहीं खुलेगा। इस अवस्था में लल्लू राम न कहीं मजदूरी कर सकेगा और न ही दवाई और डॉक्टर का खर्च उठा पायेगा।
इस बावत सामाजिक कार्यकर्त्ता जेम्स हेरेंज ने पीड़ित परिवारों से मिलकर विस्तृत जानकारी ली। उन्होंने इस पुलिसिया करतूत को जघन्य अपराध बताया। साथ ही कहा कि दलितों, आदिवासियों, शोषितों के प्रति मानुवादी पुलिसिया दमन कोई नई घटना नहीं है। थानेदार भानुप्रताप के कार्यकाल में दुंदु के 75 वर्षीय बुजुर्ग को बगैर किसी अपराध के बेरहमी से पिटाई, ग्राम कुई के नाबालिग बच्चे के पक्ष में कानूनी कार्रवाई न कर बैंक कर्मी रौनक शुक्ला को बचाने की साजिश जैसे कई मामले मिल जाएंगे, जिसमें पुलिस पदाधिकारी साफ तौर पर कानून को अपने तरीके से परिभाषित करते देखे जाते रहे हैं। जहां तक इस घटना का सवाल है, इसमें दोषी थानेदार और घटना में संलिप्त पुलिसकर्मियों पर SC/ST atrocity Act-1989 की सुसंगत धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी। जरूरत पड़ेगी तो उच्च न्यायालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया जाएगा। लेकिन इस मामले को लेकर जनता चुप नहीं बैठेगी।
(झारखंड से विशद कुमार की रिपोर्ट)