ट्रेन से लौटते मज़दूर।

‘केन्द्र सरकार करे राज्यों में समन्वय, मजदूरों के उत्पीड़न पर तत्काल लगाए रोक’

लखनऊ। पूरे देश में महज चार घंटे का समय देकर लॉकडाउन लागू करने वाले मोदी जी आपकी केन्द्र सरकार प्रवासी मजदूरों व अन्य लोगों को वापस लाने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर डालकर कोरोना महामारी के इस संकटकालीन वक्त में अपनी जबाबदेही से मुक्त नहीं हो सकती। ऐसे समय में केन्द्र सरकार के रेलवे द्वारा प्रवासी मजदूरों से किराया मांगना बेहद अनुचित व अमानवीय है। राष्ट्र के नाम सम्बोधन में आपने खुद कहा कि राष्ट्र निर्माण में मजदूरों की महत्वपूर्ण भूमिका है लेकिन दुखद है कि कोरोना महामारी के संकट की इस घड़ी में आपकी सरकार ने राष्ट्र निर्माता मजदूरों को बेसहारा छोड़ दिया है। 

इसलिए आपकी सरकार को प्रवासी मजदूरों समेत अन्य लोगों के घर वापसी की जिम्मेदारी लेनी होगी उनको स्पेशल ट्रेनों द्वारा मुफ्त व सकुशल वापस लाने के लिए तत्काल आदेश जारी करना चाहिए। साथ ही केन्द्र सरकार को एक आधुनिक तकनीक सम्पन्न राष्ट्रीय कंट्रोल रूम बनाकर प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए राज्यों के बीच समन्वय का कार्य करना होगा। राज्यों को स्पष्ट गाइडलाइन देनी होगी कि कहीं भी प्रवासी मजदूरों को रोका नहीं जाए और उनका उत्पीड़न बंद किया जाए। यह बातें आज वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर ने प्रधानमंत्री को ईमेल से भेजे पत्र में उठाई।     

पत्र में वर्कर्स फ्रंट ने केन्द्र सरकार द्वारा मजदूरों को लाने का सारा कार्य राज्य सरकारों पर छोड़ देने पर आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि जीएसटी के जरिए टैक्स के केन्द्रीकरण से राज्यों की आर्थिक हालत पहले से ही बेहद खराब है। ऐसी स्थिति में प्रवासी मजदूरों को लाने की और उनके किराए को देने की जवाबदेही महज राज्य सरकारों पर छोड़ना उचित नहीं है। वास्तव में होगा यह कि राज्य सरकारें इन हालातों में मजदूरों को वापस बुलायेंगी ही नहीं और घर वापस लौटने की मजदूरों में बढ़ती बेसब्री उन्हें अराजकता की ओर ले जा सकती है। बिहार, झारखण्ड जैसी राज्य सरकारों ने इस सम्बंध में अपनी असमर्थतता व्यक्त कर ही दी है। अन्य राज्यों की भी स्थिति इससे भिन्न नहीं है। 

पत्र में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश समेत कहीं भी प्रवासी मजदूरों की वापसी के सम्बंध में कोई व्यवस्थित कार्यप्रणाली कार्य नहीं कर रही है। श्रमिक महासंघ के अध्यक्ष व सोनभद्र जनपद का श्रम बंधु होने के कारण विभिन्न प्रांतों से श्रमिकों के लगातार हमें फोन आ रहे है। मजदूर हमें बता रहे हैं कि उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्य सरकारों द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारियों के नम्बर या तो बंद आ रहे हैं या उन पर काल करने पर उसे उठाया नहीं जा रहा है, यहां तक कि वाट्सअप द्वारा मैसेज करने पर कोई सूचना नहीं दी जा रही है। केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा जारी हेल्पलाइन नम्बर पर काल जा ही नहीं रही है। हालत इतनी बुरी है कि केन्द्र सरकार द्वारा आदेश देने के बाद अन्य राज्यों से अनुमति प्राप्त कर और हजारों रूपया देकर मजदूर बस समेत अन्य साधनों से आ भी रहे हैं, उन्हें रास्ते में रोक दिया जा रहा है। 

दो घटनाओं पर प्रधानमंत्री का पत्र में ध्यान आकृष्ट कराया गया एक सूरत से गोरखपुर के लिए सात हजार रूपया प्रति व्यक्ति किराया देकर और एसडीएम कामराज तहसील गुजरात से प्राप्त अंतरराज्यीय अनुमति के साथ आ रही बस को गोधरा-मध्य प्रदेश बार्डर पर रोक दिया गया और मजदूरों को उतारकर बस को वापस कर दिया गया। यह भी सूचना हैं कि बेसहारा मजदूरों पर बाद में लाठीचार्ज तक किया गया। इसी तरह छत्तीसगढ़ सरकार से अनुमति प्राप्त कर उत्तर प्रदेश आ रही बस को सोनभद्र जनपद के म्योरपुर थाने पर रोक कर मजदूरों समेत वापस कर दिया गया। यह घटनाएं दिखाती हैं कि मजदूरों की वापसी के सम्बंध में राज्यों के बीच आपसी तालमेल का भी नितांत अभाव है।

लॉकडाउन के कारण पैदल, साइकिल, ठेला, रिक्शा आदि साधनों से अपने घरों को वापस लौट रहे लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूरों पर जगह-जगह पुलिस बर्बरता जारी है, भोजन व पानी तक न मिलने और बीमारी से उनकी बेमौत मृत्यु लगातार हो रही है। हालत इतनी बुरी है कि यदि सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल रहे मजदूरों को कोई वाहन वाला मदद कर दे रहा है तो उस वाहन के मालिक के खिलाफ मुकदमा कायम कर दिया जा रहा है, उसका चालान काट दिया जा रहा है। मजदूरों के साथ हो रहा यह व्यवहार आपराधिक और त्रासद है। इसलिए इस पर रोक के लिए मोदी जी से प्रवासी मजदूरों समेत अन्य लोगों की घर वापसी की जिम्मेदारी लेने का अनुरोध पत्र में किया गया है। 

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