आरटीआई ने किया खुलासा-केंद्र सरकार के पास “बांग्लादेशी घुसपैठियों” की कोई जानकारी नहीं

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रांची। झारखंड चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री व गृह मंत्री समेत सभी प्रमुख भाजपा नेताओं ने लगातार बांग्लादेशी घुसपैठियों का हौवा खड़ा करके सांप्रदायिक नफरत फैलाई थी। भाजपा ने राज्य में लाखो बांग्लादेशी घुसपैठिये होने का दावा किया था। अभी भी कई भाजपा नेता यही राग अलाप रहे हैं। लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ही इनके दावों के खोखलेपन को उजागर कर दिया है। देश में बांग्लादेशी घुसपैठियों के विवरण से सम्बंधित जानकारी की मांग किये एक आरटीआई आवेदन के जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा है कि उनके पास बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या व उनके गतिविधियों सम्बंधित कोई जानकारी नहीं है। आरटीआई जवाब संलग्न।

4 अक्टूबर 2024 को किया गया आरटीआई आवेदन पिछले तीन महीनों में गृह मंत्रालय के विभिन्न विभागों (जैसे नागरिकता प्रकोष्ठ, विदेशी प्रकोष्ठ, प्रवासी प्रकोष्ठ, आव्रजन ब्यूरो, ख़ुफ़िया विभाग) में घूमता रहा। एक के बाद एक विभाग यह जवाब देते रहे कि उनके पास कोई जानकारी नहीं और दूसरे विभाग को भेजते रहे। आरटीआई आवेदन में पूरे देश के लिए निम्न राज्य-वार जानकारी मांगी गयी थी– (1) बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या, (2) लैंड जिहाद के मामले, (3) लव जिहाद के मामले, (4) इन मामलों के विरुद्ध गृह विभाग की कार्यवाई। 

गृह मंत्रालय का जवाब साफ़ दर्शाता है कि किस प्रकार भाजपा ने धार्मिक ध्रुवीकरण के लिए झारखंड चुनाव के दौरान बांग्लादेशी घुसपैठ का झूठ फैलाया। हालांकि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ के सांप्रदायिक अजेंडा का खोखलापन पहले ही उजागर हो चुका था। जैसे (1) स्थानीय प्रशासन ने उच्च न्यायलय में सम्बंधित PIL में कहा है कि क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठिये नहीं हैं, (2) स्थानीय लोग कह रहे हैं कि बांग्लादेशी घुसपैठिये नहीं है, (3) राष्ट्रीय पत्रकारों द्वारा भाजपा द्वारा आदिवासी महिलाओं (जिनसे कथित रूप से बांग्लादेशी मुसलमान शादी किये हैं) की जारी की गई सूची की जांच कर पाया गया है कि स्पष्ट झूठ है, (4) चुनाव आयोग द्वारा बनी टीम (जिसमें भाजपा के सदस्य भी थे) ने जांच में कुछ नहीं पाया था, महासभा की तथ्यान्वेषण रिपोर्ट में भी यही बात सामने आई और (5) केंद्र सरकार ने भी उच्च न्यायलय में सबंधित PIL में माना है कि भूमि विवाद मामलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों के साथ कोई जुड़ाव नहीं मिला था। 

भाजपा का एक प्रमुख एजेंडा तो मुसलमानों के विरुद्ध नफ़रत और साम्प्रदायिकता फैलाना ही है। इस काम में तो खुद मोदी सरकार भी लगी हुई है। झारखंड चुनाव में इसी उद्देश्य के साथ बांग्लादेशी घुसपैठिये का हौवा बनाया गया था। यह महज़ संयोग नहीं है कि आदिवासियों और मूलवासियों को बांटने और झारखंडी समाज को तोड़ने की भाजपा की राजनीति को मतदाताओं ने विधान सभा चुनाव में नकार दिया।

अनेक प्रिंट व डिजिटल मीडिया भी आँख बंद कर बिना फैक्टचेक किये भाजपा के बांग्लादेशी घुसपैठिये के सांप्रदायिक अजेंडा को फैलाया। गृह मंत्रालय के जवाब के बाद उन्हें आत्मनिरीक्षण करना चाहिए और भाजपा के झूठ को प्रथम पृष्ट पर उजागर करना चाहिए।

झारखंड जनाधिकार महासभा राज्य सरकार से मांग करती है कि किसी भी नेता या सामाजिक-राजनैतिक संगठन/दल द्वारा बांग्लादेशी घुसपैठिये, लैंड जिहाद, लव जिहाद जैसे शब्दों का प्रयोग कर साम्प्रदायिकता फैलाने की कोशिश होती है व झारखंडी समाज को तोड़ने की कोशिश होती है, तो उनके विरुद्ध न्यायसंगत कार्यवाई हो।

(झारखंड जनाधिकार महासभा का प्रेस वक्तव्य)

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