जब देश गहरी नींद में था, तब भारतीय वायुसेना ने पाक अधिकृत कश्मीर सहित पाकिस्तान के पंजाब पंजाब प्रान्त में कुल 9 ठिकानों पर सटीकता के साथ मिसाइल हमले कर आतंकी प्रशिक्षण केन्द्रों को अपना निशाना बनाया। इस अभियान का नाम पहलगाम आतंकी हमले में मारे गये उन पुरुषों की विधवाओं के इंतकाम के नाम किया गया, जिसके लिए देश पिछले 14 दिनों से मांग कर रहा था।
भारत सरकार ने सेना को जो निर्देश दिए थे, उसे उसने बेहद संजीदगी के साथ अंजाम दे दिया। जिन 9 आतंकी ठिकानों को भारतीय सेना ने अपना निशाना बनाया है, वे हैं जैश-ए-मोहम्मद का बहावलपुर स्थित मरकज़ शुभानअल्लाह, लश्करे-तैयबा का मुरीदके स्थित, मरकज़ तैयबा, जैसे मोहम्मद का तेहरा कलां स्थित सरजल, हिजबुल मुजाहिदीन का बहावलपुर स्थित मेहमुना जोया, लश्करे तैयबा का बरनाला स्थित मरकज़ अहले हदीथ, जैश का कोटली स्थित मरकज़ अब्बास, हिजबुल का कोटली स्थित मस्कर राहील शाहिद, लश्करे का मुज़फ्फराबाद स्थित सवाई नल्ला कैंप और जैश का मुज़फ्फराबाद स्थित सैदना बिलाल कैंप।
रात आधे घंटे में इन सभी स्थानों पर सटीकता से लक्ष्य को भेदने में सफल भारतीय सेना की सफलता पर पूरे देश में जश्न का माहौल है। भारतीय सेना ने 11 बजे अपनी प्रेस ब्रीफिंग में भी पूरी तरह से साफ कर दिया कि उनके इस हमले का लक्ष्य सिर्फ आतंकी ठिकानों और प्रशिक्षण शिविरों को बनाया गया है।
भारतीय सेना ने न ही पाकिस्तानी सैन्य क्षमता और ना ही आम नागरिकों को अपना निशाना बनाया है। भारतीय विदेश सचिव, विक्रम मिश्री ने मीडिया ब्रीफिंग में तफसील से इन आतंकी ठिकानों पर हमले की ग्राफिक्स के साथ प्रमाण दिए। इस प्रेस ब्रीफिंग का सुखद पहलू यह रहा कि ऑपरेशन सिंदूर का विवरण देने के लिए भारतीय सेना ने दो महिला अधिकारियों को जिम्मेदारी दी, जिसमें एक थीं कर्नल, सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह।
इस बात के भी पुख्ता सुबूत हैं कि भारत ने 2019 में बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक की तरह लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल का उल्लंघन किये बिना ही इस हमले को अंजाम देने में सफलता हासिल की है। यह पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारतीय डिफेंस तकनीक में स्वदेशी मिसाइल तकनीक में किये गये नवोन्मेष का नतीजा है। ऐसा माना जा रहा है कि भारतीय वायुसेना ने भारतीय सीमा में रहते हुए 100-150 किमी दूरी के लक्ष्यों को पूरी सटीकता के साथ साधकर तबाह कर दिया।
इसमें सबसे प्रमुख है जैश-ए-मोहम्मद के चीफ, मसूद अज़हर के परिवार के करीब 10 लोगों का खात्मा, जिसके साथ उसके 4 आतंकी साथी भी ढेर हुए हैं। इस लिहाज से कहें तो बालाकोट की तुलना में ऑपरेशन सिंदूर कहीं ज्यादा बड़ा जवाबी हमला है, जिसे एक साथ पीओके और पंजाब प्रान्त के आतंकी प्रशिक्षण शिविरों के ऊपर अंजाम दिया गया, और इस हमले में मारे जाने के पुख्ता सुबूत भी मिले हैं।
अभी तक उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, इस हमले में 26 लोगों की मौत हुई है। पाकिस्तान की ओर से दावा किया जा रहा है कि इस हमले में अधिकांश आम पाकिस्तानी की मौत हुई है, और एक मामले में तो एक 3 साल की बच्ची की भी जान चली गई है। सुबह से ही भारत-पाक सीमा पर भारी गोलाबारी के चलते 10 भारतीय नागरिकों के भी हताहत होने की खबर है। विशेषकर जम्मू के सीमावर्ती पुंछ में भारी गोलाबारी से जानमाल का भारी नुकसान हुआ है, और कई लोग घायल हो चुके हैं।
पाकिस्तान से सटे राज्यों, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात को हाई अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए गये हैं। राजस्थान और पंजाब की सीमा में रहने वाले लोगों को अपने घरों को छोड़कर रिश्तेदारों के घरों में शरण लेनी पड़ रही है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, शाहबाज शरीफ़ ने इस हमले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है, “चालाक दुश्मन ने पाकिस्तान के पांच स्थानों पर कायरतापूर्ण हमले किए हैं। भारत द्वारा किए गए इस एक्ट ऑफ़ टेरर का पाकिस्तान जोरदार तरीके से जवाब देने का पूरा अधिकार रखता है और जोरदार जवाब दिया जायेगा। पूरा देश पाकिस्तानी सशस्त्र बलों के साथ खड़ा है और पूरे पाकिस्तानी राष्ट्र का मनोबल और मोराल हाई है। पाकिस्तानी राष्ट्र और पाकिस्तानी सशस्त्र बल जानते हैं कि दुश्मन से कैसे निपटना है। हम दुश्मन को उसके नापाक इरादों में कभी सफल नहीं होने देंगे।”
भारत में आज सुबह से ही जश्न का माहौल है। सुबह-सुबह ही पहलगाम आतंकी हमलों में मारे गये लोगों के परिवारजनों की मीडिया बाईट में भारतीय सेना की इस कार्रवाई पर ख़ुशी और संतोष जताया गया। विपक्ष भी इस घड़ी में सेना के शौर्य और पराक्रम की सराहना कर रहा है, और भारत सरकार के साथ खड़ा है। जहां तक वैश्विक नेतृत्व का प्रश्न है, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चलताऊ टिप्पणी में इस पूरे वाकये को शर्मनाक करार दिया गया। ट्रंप पहले भी अपने बयान में बता चुके हैं कि भारत-पाक शत्रुता सैकड़ों वर्षों पुरानी है, और आज भी उन्होंने उसी तरह की बात कह तनाव को कम किये जाने पर जोर दिया।
इससे पूर्व भी, अमेरिका के विदेश और रक्षा मंत्री ने अपनी टिप्पणियों में गोलमोल जवाब दिए हैं, जिसमें एक तरफ तो भारत को पहलगाम आतंकी हमले पर कार्रवाई करने के अधिकार को मान्यता दी गई, लेकिन साथ ही दोनों परमाणु हथियार संपन्न देशों के बीच तनाव को एक हद से ज्यादा न बढ़ने पर लगातार जोर भी दिया है।
भारत का अभी तक का पारंपरिक दोस्त, रूस खुद पिछले 3 वर्षों से यूक्रेन में नाटो समर्थित सेना के साथ उलझा हुआ है। द्वितीय विश्व युद्ध में नाजीवाद के निर्णायक पराजय को अंजाम देने वाले सोवियत रूस की विजय की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर इस समय रूस में दुनियाभर के राष्ट्राध्यक्ष पधार रहे हैं।
पाकिस्तान की खुली हिमायत करने वाला देश तुर्किये है, जबकि भारत के पक्ष में इजराइल ने बयान दिये हैं। बाकी विश्व की सभी बड़ी ताकतों ने पहले से जारी दो युद्धों के बीच तीसरे युद्ध की आशंका को देखते हुए दोनों देशों से संयम बरतने का आह्वान किया है।
यहां पर गौर करने वाली बात यह है कि बालाकोट स्ट्राइक की तुलना में भारतीय सेना का इस बार का हमला पाकिस्तानी सरमायेदारों के लिए उनके अस्तित्व का सवाल न बन जाये। हालांकि पाकिस्तान की ओर से बार-बार इस बात का दावा किया जा रहा है कि उसने भारत के पांच लडाकू जहाजों को ध्वस्त कर दिया है, लेकिन अभी तक इसके पुख्ता सुबूत नहीं मिले हैं।
द हिंदू सहित रायटर्स ने सुबह खबर चलाई थी कि भारतीय वायुसेना के 3 विमान पाकिस्तानी जवाबी कार्रवाई में भारतीय सीमा पर क्रैश हुए हैं, लेकिन बाद में भाजपा के जबर्दस्त हमले और सोशल मीडिया पर बेकलेश के बाद द हिंदू अख़बार ने अपनी इस खबर को डिलीट कर दिया। सवाल है, क्या पाकिस्तान जवाबी हमला करेगा?
पाकिस्तान की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था, आंतरिक अस्थिरता की स्थिति के बीच दो दिन बाद 9 मई को उसे आईएमएफ से 1.3 बिलियन डॉलर कर्ज की मंजूरी का बेसब्री से इंतजार है। भारत ने न सिर्फ सिंधु, चिनाब और झेलम से पाकिस्तान की ओर जाने वाला पानी रोक दिया है, बल्कि वह सक्रिय रूप से आइएमएफ को इस किश्त की अदायगी से रोकने की कोशिश में जुटा है।
पिछले आम चुनावों से पाकिस्तान का शासन किसी लोकप्रिय सरकार के हाथ में नहीं है, वरन एक ऐसी मजबूर सरकार के हाथ में है, जिसकी कमान एक बार फिर से सेना के हाथ में है। ऊपर से पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष आसिफ मुनीर की बलवती होती इच्छाएं, जिसे भारतीय ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने बड़े पैमाने पर चोट पहुंचा दी है, अंधराष्ट्रवाद और पलटवार करने के लिए उद्धत कर सकता है।
यह सही है कि भारत के मुकाबले पाकिस्तान की सैन्य और आर्थिक शक्ति काफी कमजोर है, लेकिन इसके बावजूद 6.5 लाख सक्रिय सैनिकों के साथ-साथ वह एक परमाणु संपन्न देश है। ऊपर से चीन और तुर्किये से हथियार, आधुनिक मिसाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों की हालिया खेप यदि उसे अपने अपमान का बदला लेने के लिए उकसाती है, तो आतंकी हमले बनाम पाक स्थित आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करने की कार्रवाई से आगे बढ़कर यह मामला एक बड़े सैन्य टकराव की ओर जा सकता है।
पाकिस्तान के लिए यह घातक है तो भारत के लिए इस क्रिटिकल मोड़ पर यह सब बेहद नुकसानदेह साबित हो सकता है। इसे कल शाम भारत की ओर से विदेशी निवेशकों से भारत में निवेश के प्रति आश्वस्त रहने की अपील से समझा जा सकता है। युद्ध के बारे में यह कहावत लगभग हर बार सटीक साबित होती है कि युद्ध शुरू करना तो आसान है, लेकिन खत्म करना आपके वश में नहीं होता। रूस-यूक्रेन युद्ध इसका ज्वलंत उदाहरण है।
(रविंद्र पटवाल जनचौक की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)