जुमा-जुमा अभी कुछ दिन ही गुजरे हैं मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी ने कटनी नगर के पुलिस अधीक्षक और अन्य पर लोक आचरण सेवा के विरुद्ध निर्णय लेकर त्वरित कार्रवाई की थी जिसकी सर्वत्र सराहना का सिलसिला जारी है।
इसी बीच दमोह जिले की हटा तहसील स्थित गांव रनेह के स्वास्थ्य केंद्र में एक नर्स के दुर्व्यवहार का वीडियो वायरल होते ही दमोह के जागरूक युवा दृगपाल सिंह ने मोर्चा संभाला और अपने संगठन को सूचित किया और 9 जून की इस घटना के विरोध में 15 जून को स्नेह में एकत्रित होने का आह्वान किया। जिसमें हज़ारों लोग उपस्थित रहे। ये सभी लोगों ने न्याय की गुहार लगाने रैली निकालते हुए पहले पुलिस थाने का घेराव किया और फिर पुरुष साथी पुलिस थाने और शामिल महिलाएं अस्पताल के सामने धरने पर बैठ गए। इस दिन यहां का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस था लेकिन उन्हें वह डिगा नहीं पाया। इसमें पिछड़े वर्ग के लोगों के साथ रनेह के रहवासी बड़ी तादाद में शामिल हुए।
इस घटना की शुरुआत तब हुई जब महेन्द्र लोधी नामक व्यक्ति 9 जून को अपनी नौ महीने की गर्भवती स्त्री को लेकर रनेह स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा। उसका कसूर यह था कि उसने स्टाफ नर्स नीलिमा यादव से यह पूछने की धृष्टता कर ली कि डिलिवरी यहां हो जाएगी या दमोह ले जाना पड़ेगा। यह सवाल मैडम को नागवार गुजरा अपनी प्रतिष्ठा के विपरीत लगा और वे चोट खाई नागिन की तरह महेन्द्र पर गाली-गलौज के साथ ज़हर उगलती रहीं।
माजरा बिगड़ता देख महेंन्द्र सिंह लोधी उठे और चल दिए। तब उसने उस पर कटाक्ष करते हुए कहा -‘काय रे तैं कहां कौ लोधी आय रे ‘बस बात बिगड़ गई और महेंद्र सपत्नीक हटा बस में बैठ दमोह की तरफ जाने वाली बस में बैठ गए।यह देख नर्स ने आव देखा ना ताव चलती बस रुकवाई और उसमें बैठे महेंद्र पर गालियों की बौछार करते हुए जूते-चप्पल से जमकर पिटाई कर दी। इस मारपीट की बस में बैठे किसी व्यक्ति ने वीडियो बना ली। जिसके वायरल होते ही तमाम लोधी समाज उद्वेलित हो गया है। बताया यह भी जा रहा है कि महेंद्र सिंह को बस से उतारकर रनेह पुलिस ने उसे थाने में रखा और मारपीट की तथा उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की। पुलिस ने ज़रा भी नहीं सोचा कि उसकी गर्भवती पत्नी जिसे नौ महीने का गर्भ है। उसका क्या होगा। उसकी हालत की परवाह किए बिना ही यह लज्जाजनक काम किया गया। यह चिंताजनक तो है ही और घोर लापरवाही को उजागर करता है। उसकी फरियाद सुने बिना उसे जेल भेज दिया।
इसी घटना के मद्देनजर हजारों लोधी समाज के लोग रनेह के पुराने स्कूल ग्राउंड में इकट्ठा होकर नर्स महोदया को जवाब देने एकत्रित हुए कि वे कहां के लोधी आंय? इनके साथ अन्य पिछड़े वर्ग के लोग तथा रनेह के पुलिस और अस्पताल के पीड़ित जनों के साथ आम लोग भी थे। इसमें दमोह, सागर, टीकमगढ़ और पन्ना जिले के लोग शामिल थे।
धरना-प्रदर्शन तब तक चलने के संकेत मिले हैं जब तक इस आंदोलन की दो प्रमुख मांगें नर्स और पुलिस थाने के समस्त कर्मियों को सस्पेंड करने की मांग पूरी नहीं हो जाती। ज्ञात हुआ दमोह से पहुंचे सीएसपी संदीप मिश्रा ने कर्मियों को लाइन अटैच और नर्स के स्थानांतरण की बात कही थी। किंतु इससे लोग संतुष्ट नहीं हुए। तब उन्होंने सस्पेंड करने का आश्वासन दिया है। इसके बावजूद आंदोलनकारी उनकी बात पर यकीन करने के लिए तैयार नहीं हैं। वे इस बात को लिखित आदेश में चाहते हैं। धरना-प्रदर्शन जारी है।
इस जन आंदोलन में क्षेत्र के विधायक उमा खटीक, सांसद राहुल सिंह लोधी, पूर्व मंत्री प्रद्युम्न सिंह लोधी के ना पहुंचने पर लोगों ने नारेबाजी की। रैली में पहुंचे उमा खटीक के पुत्र को भी खरी-खोटी सुनाई गई। इस जमावड़े ने क्षेत्रीय विधायक उमा खटीक और सांसद राहुल सिंह को भी आईना दिखा दिया है जिससे क्षेत्रीय राजनीति पर भी असर पड़ सकता है। बहरहाल जन आंदोलन का उभरना लोकतांत्रिक अधिकारों की सजगता हेतु ज़रूरी है। उनकी सफलता लोगों की हौसला अफजाई करेगा और अफसरशाही की प्रवृत्ति को रोकेगा तथा न्याय दिलाने में कारगर होगा।
(सुसंस्कृति परिहार लेखिका और एक्टिविस्ट हैं।)