आर्थिक मोर्चे पर भारत लगातार फिसलता जा रहा है। अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के नाम पर मोदी सरकार ने जिस 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी वह जमीन पर कहीं दिख नहीं रहा है। चीन से युद्ध की स्थिति कोढ़ में खाज हो जाना है जिसके बाद मंहगाई तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में फिच रेटिंग्स ने भी भारत की अर्थव्यवस्था को झटका दिया है। दरअसल, फिच रेटिंग्स ने भारत के ग्रोथ आउटलुक को स्टेबल से रिवाइज करते हुए निगेटिव कर दिया है। इसके साथ ही रेटिंग- बीबीबी पर बरकरार रखी है। यह निवेश के लिहाज से सबसे कमजोर रेटिंग है। इसके नीचे बस जंक यानी ‘कूड़ा’ रेटिंग ही बचा है। रेटिंग के इस स्तर से सरकार की चुनौतियां बढ़ती हैं और निवेश भी प्रभावित होता है।
फिच रेटिंग के अनुसार कोरोना की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंची है। इस वजह से साल के लिए ग्रोथ आउटलुक कमजोर हुआ है। वहीं कर्ज का बोझ भी बढ़ गया है। फिच ने ये भी कहा कि कड़े लॉकडाउन की वजह से वित्त वर्ष 2021 में इकोनॉमिक एक्टिविटी में 5 फीसदी गिरावट आ सकती है। फिच के मुताबिक जिस तरह से देश में कोविड 19 के मामले बढ़ रहे हैं, रिस्क भी बढ़ रहा है। इन बातों का ध्यान रखते हुए रेटिंग रिवाइज की गई है। हालांकि यह देखना बाकी है कि कब चुनौतियां खत्म होंगी और देश एक स्थिर ग्रोथ की ओर बढ़ेगा।
इस बीच भारत सरकार ने इस साल कर्ज ज्यादा लेने का ऐलान किया है। सरकार ने ऐलान किया था कि वह चालू वित्त वर्ष के लिए अपने बाजार से कर्ज लेने का अनुमान बढ़ाकर 12 लाख करोड़ रुपये करेगी। वित्त मंत्रालय ने कहा था कि वित्त वर्ष 2020-21 में अनुमानित कर्ज 7.80 लाख करोड़ रुपये के स्थान पर 12 लाख करोड़ रुपये होगा। आर्थिक संकट की वजह से सरकार ने इस साल नई योजनाओं की शुरुआत पर रोक लगा दी है। बीते दिनों वित्त मंत्रालय ने विभिन्न मंत्रालयों और विभागों द्वारा अगले 9 महीनों या मार्च, 2021 तक स्वीकृत नई योजनाओं की शुरुआत को रोक दिया है।
हाल ही में रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भी भारत की सॉवरेन रेटिंग को घटा दिया था। मूडीज ने साथ ही ये भी कहा कि भारत के सामने गंभीर आर्थिक सुस्ती का भारी खतरा है, जिसके कारण राजकोषीय लक्ष्य पर दबाव बढ़ रहा है। रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने भारत की सावरेन (राष्ट्रीय) क्रेडिट रेटिंग को पिछले दो दशक से भी अधिक समय में पहली बार ‘बीएए2’ से घटाकर ‘बीएए3’ कर दिया। एजेंसी ने कहा है कि नीति निर्माताओं के समक्ष आने वाले समय में निम्नमूडीज ने भारत की क्रेडिट रेटिंग घटाई, बुरे दौर में अर्थव्यवस्था आर्थिक वृद्धि, बिगड़ती वित्तीय स्थिति और वित्तीय क्षेत्र के दबाव जोखिम को कम करने की चुनौतियां खड़ी होंगी।
पहले से ही नोटबंदी और जीएसटी से सुस्त पड़ी देश की अर्थव्यवस्था कोरोना वायरस की वजह से तबाही के कगार पर पहुँच गयी है। मोदी सरकार ने इकोनॉमी को रफ्तार देने के लिए 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज का ऐलान किया था। इस पैकेज का बाजा पूरे पांच दिन तक मीडिया में बजता रहा। वित्त मंत्री लगातार पांच दिन तक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मीडिया को पैकेज का बखान करती रहीं । लेकिन इस पैकेज का देश की अर्थव्यवस्था पर कोई साकारात्मक परिणाम नहीं पड़ रहा। रेटिंग एजेंसी मूडीज ने मोदी सरकार के पैकेज को देश की अर्थव्यवस्था को गति देने में नाकाम बताया है।
कोरोना से निपटने के लिए लागू हुए लंबे लॉकडाउन, बढ़ते कर्ज और कारोबारी माहौल में मंदी को कारण बताते हुए एजेंसी ने भारत की रेटिंग में कटौती की है। भारत की क्रेडिट रेटिंग को अब ‘बीएए2’ से घटाकर ‘बीएए3’ कर दिया गया है। मूडीज ने कहा कि इसकी वजह से सीधे तौर पर कोरोना महामारी नहीं है, लेकिन इसकी वजह से मुश्किलें बढ़ी हैं और भारत की क्रेडिट प्रोफाइल में कटौती करनी पड़ी है।‘बीएए3’ का अर्थ सबसे कम इन्वेस्टमेंट ग्रोथ या इन्वेस्टमेंट के लिए सबसे निचले स्तर की रेटिंग है।‘बीएए3’सबसे निचली निवेश ग्रेड वाली रेटिंग है। इसके नीचे कबाड़ वाली रेटिंग ही बचती है। एजेंसी ने कहा है कि मूडीज ने भारत की स्थानीय मुद्रा वरिष्ठ बिना गारंटी वाली रेटिंग को भी बीएए2 से घटाकर बीएए3 कर दिया है। इसके साथ ही अल्पकालिक स्थानीय मुद्रा रेटिंग को भी पी-2 से घटाकर पी-3 पर ला दिया गया है।
मूडीज ने कहा कि भारत के सामने गंभीर आर्थिक सुस्ती का भारी खतरा है, जिसके कारण राजकोषीय लक्ष्य पर दबाव बढ़ रहा है। मूडीज द्वारा रेटिंग घटाने का मतलब साफ है कि आर्थिक और वित्तीय स्तर पर सरकार की परेशानी बढ़ने वाली है। उसने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आने वाले समय में नीति निर्माताओं और संस्थाओं को नीतियों को लागू करने में परेशानी होगी। नेगेटिव आउटलुक से यह पता चलता है कि देश की अर्थव्यवस्था और फाइनेंशियल सिस्टम बुरे दौर से गुजर रही है। इससे आने वाले समय में राजकोषीय स्थिति पर दबाव बढ़ेगा।
मूडीज का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में चार फीसदी तक गिरावट आ सकती है। भारत के मामले में पिछले चार दशक से अधिक समय में यह पहला मौका होगा जब पूरे साल के आंकड़ों में जीडीपी में गिरावट आएगी। इसी अनुमान के चलते मूडीज ने भारत की सरकारी साख रेटिंग को ‘बीएए2’ से एक पायदान नीचे कर ‘बीएए3’कर दिया। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मूडीज ने इससे पहले नवंबर 2017 में 13 साल के अंतराल के बाद भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को एक पायदान चढ़ाकर ‘बीएए2’ किया था।
डन एंड ब्रैडस्ट्रीट की ताजा आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही में मंदी में जा सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आय और रोजगार में कमी के साथ कोरोना वायरस महामारी के बाद भी काफी समय तक उपभोक्ता सतर्कता बरतेंगे। इससे उपभोक्ता मांग में सुधार में देरी होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रोत्साहन उपायों का प्रभाव तीन प्रमुख पहलुओं लॉकडाउन को हटाने की अवधि, पैकेज के क्रियान्वयन की क्षमता और इसमें लगने वाले समय पर निर्भर करेगा।
फिच रेटिंग्स ने भारत की इकोनॉमी को दिया झटका, ग्रोथ आउटलुक निगेटिव

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