किसान आंदोलन में शहीद कृषकों को दी गई श्रद्धांजलि, सरकार पर लगाया जान लेने का आरोप

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विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक संगठनों के द्वारा गुरुवार को लहुराबीर, वाराणसी स्थित आज़ाद पार्क पर कैंडल जला कर और दो मिनेट का मौन रखकर किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। किसान आंदोलन में देश की राजधानी की सीमा पर अब तक क़रीब दो दर्जन किसानों की भीषण ठंड में खुले आसमान के नीचे धरने के दौरान और रास्ते मे दुर्घटना की वजह से मौत हो चुकी है। उसमें एक करनाल के पास नानक सर गुरुद्वारा साहिब के प्रमुख राम सिंह भी शामिल हैं, जिन्होंने बुधवार को दिल्ली-हरियाणा स्थित सिंघू बॉर्डर पर खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी।

उन्होंने अपने सुसाइड नोट में लिखा है, “किसानों का दुःख देख वो अपने हक़ लेने के लिए सड़कों पर रो रहे हैं यह ज़ुल्म के खिलाफ और मज़दूरों और किसानों के हक़ में आवाज़ है।”

श्रद्धा सुमन अर्पित करने के दौरान मौजूद राजनीतिक-सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने एक स्वर में किसानों की मांगों का समर्थन करते हुए सरकार के हठधर्मी भरे रवैये की कड़ी निंदा की। साथ ही ये भी कहा कि इस कहर ढाती कड़ाके की ठंड में पिछले 22 दिनों से देश के विभिन्न हिस्सों से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले शांतिपूर्ण आंदोलन किसान कर रहे हैं, और संवेदनहीन सरकार अपने चाटुकारों के ज़रिए उन्हें देश-विरोधी क़रार दे रही है। सरकार की यह घिनौनी कोशिश किसानों के ज़ुल्म पर नमक छिड़कने की तरह है। कॉरपोरेट घरानों की सांठ-गांठ से चलने वाली सरकार सत्ता के अहंकार में चूर किसानों की जान ले रही है। उसे ये नहीं भूलना चाहिए कि एक दिन में मति आपका अपना हिसाब करेगी।

श्रद्धांजलि अर्पित करने वाले नेताओं ने सरकार पर किसानों की हत्या का आरोप लगाते हुए आमजन से बेरहम और बेशर्म सरकार के खिलाफ किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलन को खुले मन से समर्थन देने की अपील की और कहा कि ये आंदोलन किसानों के हित से नहीं, बल्कि 138 करोड़ जनता के हितों से जुड़ा हुआ है जिसे पूंजीपरस्त सरकार कुचलने पर आमादा है।

इस मौके पर प्रसिद्ध गांधीवादी और इतिहासकार डॉ. मोहम्मद आरिफ ने कहा कि जो किसान लामबंद हुए हैं पूरा देश उनका समर्थन कर रहा है। यह अलोकतांत्रिक और फासिस्ट सरकार नागरिक अधिकारों का हनन कर रही है, जिसे देश की जनता बर्दाश्त नहीं करेगी और समय आने पर इसका माकूल जवाब देगी। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार इन काले कानूनों को वापस नहीं ले लेती।

श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में प्रमुख रूप से पूर्व एमएलसी अरविंद सिंह, कुंवर सुरेश सिंह, डॉ. मोहम्मद आरिफ, विजय नारायण, कमता प्रसाद, प्रवीण सिंह (बबलू), रियाज़ुल हक़ अंसारी, आबिद शेख, संजीव सिंह, फजलुर्रहमान अंसारी, बाबू अली साबरी, नवाजिश अंसारी, एके लारी, राकेश पाठक, राजेंद्र चौधरी समेत दर्जनों लोग शामिल रहे।

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