वकीलों ने निकाला दिल्ली हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक पैदल मार्च

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दिल्ली की सड़कों पर इंकलाबी नारों ‘वकील एकता जिंदाबाद’, ‘जय भीम, जय संविधान’, ‘जब जब जुल्मी जुल्म करेगा सत्ता के गलियारों से, चप्पा चप्पा गूंज उठेगा इंकलाब के नारों से’, ‘आवाज दो हम एक हैं’ के साथ शुक्रवार को दिल्ली के हजारों वकीलों ने दिल्ली हाईकोर्ट से दिल्ली सुप्रीम कोर्ट तक पैदल मार्च निकाला। 

पैदल मार्च निकालने वाले वकील आयोजकों ने बताया कि दिल्ली हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक पैदल मार्च के पीछे का मुख्य मकसद वकीलों पर हो रहे हमले हैं। सरकारी दबाव के लिए किया गया वकीलों पर हमला न्यायिक प्रणाली पर हमला है, बताते हुए पैदल मार्च में शामिल वकीलों ने ‘एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट’ को लागू करने की मांग की।

इसके अलावा आर्टिकल 142 को मजबूती से लागू करने के लिए वकीलों के हस्ताक्षर युक्त एक मेमोरेंडम सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जिसमें मौजूद जस्टिस बीके पाटिल, एडवोकेट महमूद प्राचा, एडवोकेट भानु प्रताप, एडवोकेट शाहिद चौधरी, एडवोकेट मदनलाल, एडवोकेट मोहम्मद इरफान, एडवोकेट हैदर अली, मोहम्मद नौशाद तथा सभी हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली के सभी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के अधिवक्ताओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लेकर इस मार्च को कामयाब बनाया।

इसके साथ ही मार्च में शामिल वकीलों ने किसानों के मामले में भी बात रखते हुए कहा कि सरकार द्वारा किसानों पर हो रहे अत्याचार से न्याय दिलाने के लिए अधिवक्ता समाज तैयार है। साथ ही हम सुप्रीम कोर्ट पर उठ रहे सवालों के लिए भी मार्च कर रहे हैं क्योंकि किसी भी प्रकार से न्यायिक प्रणाली या न्यायिक छवि को खराब नहीं होने देंगे। किसी के दबाव में सुप्रीम कोर्ट काम नहीं करता है और ना ही कोई अधिवक्ता किसी के दबाव में काम करेगा। 

इस प्रोटेस्ट में सभी सम्मानित अधिवक्ताओं ने अपनी-अपनी बातों को बड़ी खूबी से रखा। दिन प्रतिदिन देश के सभी राज्यों में कहीं ना कहीं रोज किसी न किसी अधिवक्ता के ऊपर हमला या हत्या की ख़बर आती रहती है जब एक अधिवक्ता ही मजबूत नहीं होगा तो हम एक मजबूत न्याय कैसे पा सकते हैं। अधिवक्ता न्यायालय का अधिकारी होने के बाद भी कहीं ना कहीं मजबूर है। अधिवक्ता की स्वतंत्रता व सुरक्षा बहुत ही जरूरी है जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट को आर्टिकल 142 में हस्तक्षेप करके लागू करना चाहिए। इस लिहाज से वकीलों ने एक मजबूत एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट को लागू करने की मांग की।

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