आधे-अधूरे आश्वासनों के बाद दसवें दिन धीरूभाई का अंतिम संस्कार

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जनचौक ब्यूरो

आख़िरकार खुदकुशी के दसवें दिन भावनगर के धीरूभाई गुजराती का अंतिम संस्कार कर दिया गया।

परिजनों और गांव वालों का दबाव काम आया और प्रशासन को उनकी कुछ बातों को मानने के लिए मजबूर होना पड़ा। उसके बाद परिजनों ने दाह संस्कार का फैसला लिया।

हालांकि प्रशासन की बातें ज्यादातर आश्वासन के रूप में हैं जिनको भविष्य में लागू होना है।

कुछ वादों पर तो वह तुरंत खरा नहीं उतरा। मसलन धीरूभाई की खुदकुशी की एफआईआर में उत्पीड़न करने वाले पुलिसकर्मियों का नाम दर्ज होना था। लेकिन पुलिस प्रशासन उससे मुकर गया और एफआईआर में अज्ञात पुलिस कर्मियों द्वारा उत्पीड़न का हवाला दिया गया है।

मामले में न तो किसी पुलिसकर्मी का निलंबन किया गया न ही बर्खास्तगी यहां तक कि किसी का तबादला तक नहीं हुआ।

परिजनों ने मामले की जांच सीबीआई से करने की मांग की थी। लेकिन कोई ठोस आश्वासन देने की जगह प्रशासन ने इस पर अपनी सैद्धांतिक सहमति भर जताई है।

एक अन्य मांग में प्रशासन ने तीनों मुख्य आरोपियों का नार्को टेस्ट कराने की भी बात कही है।

आपको बता दें कि गुजरात के भावनगर में मांडवी के रहने वाले धीरूभाई ने पुलिस उत्पीड़न से तंग आकर बीते 26 मार्च को खुदकुशी कर ली थी। इस बारे में उन्होंने मरने से पहले बयान भी दिया था, जो एक वीडियो रिकार्ड के रूप में मौजूद है।

धीरूभाई अपने गांव मांडवी में हुई भावना बेन बलात्कार और हत्या मामले के मुख्य गवाह थे। परिजनों के मुताबिक पुलिस असली आरोपियों को गिरफ्तार करने की जगह धीरूभाई पर अपना बयान बदलने का दबाव डाल रही थी। धीरूभाई इसके लिए तैयार नहीं थे। इस कड़ी में पुलिस लगातार धीरूभाई को प्रताड़ित करती रही।

उत्पीड़न का आलम ये था कि पिछले तीन महीनों में धीरूभाई को तकरीबन 40 बार पूछताछ के बहाने थाने बुलाया गया और हर बार उनकी जमकर पिटाई की गयी।

अंत में जब धीरूभाई के बर्दाश्त की सीमा समाप्त हो गयी तब हताश और निराश होकर उन्होंने खुदकुशी कर ली।

खुदकुशी के बाद परिजनों और गांव वालों ने उनका दाह संस्कार करने इंकार कर दिया था। उनका कहना था कि धीरूभाई को जब तक न्याय नहीं मिलता उनका दाह संस्कार नहीं किया जाएगा।

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