राफेल सौदे के भ्रष्टाचार में फ्रांस में ‘मिस्टर एक्स’ पर मुकदमा दर्ज

पांच राज्यों में कमल खिलेगा या नहीं यह तो 2 मई को पता चलेगा पर कोविड महामारी के हाहाकार के बीच राफेल सौदे का भ्रष्टाचार मोदी सरकार को घेरने के लिए तैयार बैठा नजर आ रहा है। यूपीए दो के कार्यकाल की तरह मोदी सरकार रोज नये विवादों में घिरती चली जा रही है। वह भी तब जब सीएजी जैसी संस्था को सरकार ने पूरी तरह अप्रभावी बना दिया है। फ्रांस की दसॉल्ट एविएशन और भारत सरकार के बीच हुए राफेल सौदे के सिलसिल में फ्रांस की एक अदालत में आपराधिक मुकदमा दर्ज हुआ है। फ्रांस की न्यूज वेबसाइट ली मोंडे के मुताबिक फ्रांस के एक एनजीओ की शिकायत पर यह मुकदमा 22 अप्रैल को दर्ज हुआ है। इसमें उस अज्ञात व्यक्ति मिस्टर एक्स को आरोपी बनाया गया है, जिसने कथित तौर पर सौदे को प्रभावित किया था।

ली मोंडे के मुताबिक फ्रांसीसी कानून के मुताबिक एसो शेरपा एनजीओ एक मान्यता प्राप्त भ्रष्टाचार निरोधी संगठन है और उसे किसी भी मामले में भ्रष्टाचार या मनी लॉन्ड्रिंग का शक होने पर अदालत का रुख करने का नागिरक अधिकार है। एसो शेरपा ने अब अदालत का रुख किया है। इसके बाद मुकदमा दर्ज हुआ है। फ्रांसीसी न्यायिक प्रक्रिया के तहत फिलहाल इस शख्स को ‘मिस्टर एक्स’ कहा गया है।

एक वकील ने बताया कि अब जांचकर्ताओं और जज की जिम्मेदारी है कि वे इस मिस्टर एक्स की पहचान करें। वकील के मुताबिक यह मिस्टर एक्स कोई फ्रांसीसी अधिकारी, कोई भारतीय या फिर दसॉल्ट एविएशन से जुड़ा अधिकारी हो सकता है। मिस्टर एक्स पर लगाए गए आरोपों में भ्रष्टाचार के साथ ही अपने प्रभाव का इस्तेमाल करना, भ्रष्टाचार को छिपाना, तरफदारी करना और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे आरोप भी शामिल हैं।

ली मोंडे ने लिखा है कि राफेल सौदे में कथित भ्रष्टाचार को लेकर मुकदमा कायम कराने के दो असफल प्रयासों के बाद आखिरकार इस मामले की न्यायिक जांच की शुरुआत हो सकती है, जिसमें फ्रांस की दसॉल्ट एविएशन और नरेंद्र मोदी सरकार के बीच राफेल विमानों का 7.9 बिलियन यूरो का सौदा हुआ था और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मित्र अनिल अंबानी को फायदा पहुंचाने के लिए प्रभाव डाला गया था। इसमें कहा गया है कि शेरपा की शिकायत मीडियापार्ट की खोजी रिपोर्ट के बाद सामने आई है, जिसमें भारत के एक बिचौलिये को रिश्वत देने के आरोप सामने आए थे। अब जांचकर्ताओं और जज की जिम्मेदारी है कि वे इस मिस्टर एक्स की पहचान करें। यह मिस्टर एक्स कोई फ्रांसीसी अधिकारी, कोई भारतीय या फिर दसॉल्ट एविएशन से जुड़ा अधिकारी हो सकता है।

ली मोंडे ने लिखा है कि जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली सरकार ने दसॉल्ट के साथ राफेल विमानों का सौदा किया था जिसमें 126 विमानों की सप्लाई के लिए भारत के हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स को पार्टनर बनाया गया था, तो ली मोंडे ने इसे ऐतिहासिक सौदा कहा था। ली मोंडे ने लिखा है कि लेकिन मौजूदा प्रधानमंत्री ने इस सौदे में नाटकीय घटनाक्रम के बाद अनिल अंबानी को शामिल किया, जिससे भारतीय रक्षा मंत्रालय तक हतप्रभ था। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इस सौदे से श्री मोदी का यह मित्र सबसे बड़े लाभार्थी के रूप में सामने आया, साथ ही अन्य भारतीय कंपनियों को भी करीब 4 बिलियन यूरो के ऑफसेट कॉन्ट्रेक्ट का फायदा मिला।

इसके पहले मीडियापार्ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि फ्रांस की एजेंसी पीएनएफ और फ्रांस की भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी एएफए ने शुरू में शेरपा के आरोपों को नजरंदाज कर दिया था और इसे फ्रांस के हितों के खिलाफ बताया था। ली मोंडे की रिपोर्ट में शेरपा के वकीलों विलियम बुर्दों और विंसेंट ब्रेगार्थ ने कहा है कि यह एक असाधारण भ्रष्टाचार का केस है, क्योंकि इसमें सच को छिपाने के लिए जो लोग शामिल हैं, जो कुछ दांव पर और जिन तरीकों को अपनाया गया है, वह गजब है।

वकीलों ने कहा कि दो तथ्य तो स्थापित हो चुके हैं, एक भ्रष्टाचार कैसे हुआ और किस तरह भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी ने इससे खुद को अलग किया, और जिस तरह एएफए के मुखिया ने जो संकल्प दिखाया है उससे संकेत मिले कि इस सौदे में राजनीतिक दखलंदाजी हुई थी। अब जांच में यह बात भी सामने आएगी कि किस तरह न्याय को रोकने के लिए रोड़े लगाए गए। राफेल विमानों का 7.9 बिलियन यूरो का सौदा हुआ था और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मित्र अनिल अंबानी को फायदा पहुंचाने के लिए प्रभाव डाला गया था।

गौरतलब है कि मीडियापार्ट के खुलासे के बाद दसॉल्ट एविएशन ने कहा था कि राफेल सौदा पूरी पारदर्शिता के साथ विभिन्न पार्टनर के बीच हुआ था, इसमें सरकारें और उद्योग दोनों ही शामिल हैं, लेकिन दसॉल्ट ने सौदे में मोदी की भूमिका से इनकार नहीं किया था, और अब इसकी जांच फ्रांस की अदालतें करेंगी।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं। वह इलाहाबाद में रहते हैं।)

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