सरकारी बीमा कंपनियों को निजी हाथों में सौंपने का लोकसभा में पारित हुआ विधेयक

लोकसभा ने कल सोमवार को भारी गतिरोध के बीच ‘साधारण बीमा कारोबार (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक, 2021’ को मंजूरी दे दी जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों को निजी हाथों में बेचने का रास्ता खुल जायेगा। 

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विधेयक को चर्चा एवं पारित होने के लिये पेश किया तो लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस विधेयक का घोर विरोध किया।

कांग्रेस नेता ने लोकसभा में कहा कि “यह देश विरोधी विधेयक है जो पूंजपतियों को जेब भरने के लिए लाया गया है। प्रत्युत्तर में निर्मला सीतारमण ने कहा कि अधीर रंजन चौधरी की बात पूरी तरह बेबुनियाद है। सरकार किसी का हक नहीं छीन रही है। जो लोग असत्य बोल रहे हैं, वो जनता को गुमराह करने के लिए बोल रहे हैं। अगर चर्चा करना है तो शांति से बैठें और चर्चा में भाग लें, उसका जवाब मिलेगा।’’

इसके बाद लोकसभा ने संख्या बल के बूते गतिरोध के बीच ही ‘साधारण बीमा कारोबार (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक, 2021’ मंजूरी दे दी ।

क्या है विधेयक में 

इस विधेयक के माध्यम से साधारण बीमा कारोबार (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम में संशोधन किया जा रहा है। बता दें कि यह अधिनियम 1972 में लागू हुआ था और इसमें साधारण बीमा कारोबार के विकास के जरिये अर्थव्यवस्था की ज़रूरतों को बेहतर तरीके से पूरा करने के लिए भारतीय बीमा कंपनियों और अन्य मौजूदा बीमा कंपनियों के उपक्रमों के शेयरों के अधिग्रहण और हस्तांतरण की अनुमति का प्रावधान किया गया था।

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों में अधिक निजी भागीदारी का उपबंध करने, बीमा पहुंच में वृद्धि करने, सामाजिक संरक्षण एवं पालिसीधारकों के हितों को बेहतर रूप से सुरक्षित करने तथा अर्थव्यवस्था की तीव्र वृद्धि में अंशदान करने के लिये अधिनियम के कुछ उपबंधों का संशोधन करना आवश्यक हो गया था ।

इसी के अनुरूप साधारण बीमा कारोबार (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक, 2021 लाया गया है। इस विधेयक में कहा गया है कि विधेयक के माध्यम से अधिनियम की उस अपेक्षा को हटाने का प्रावधान किया गया है जिसमें केंद्र सरकार विनिर्दिष्ट बीमाकर्ता की साम्य पूंजी 51 प्रतिशत से कम नहीं होने की बात कही गई है ।

गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले विधेयक को सदन में पेश करते हुए सीतारमण ने कहा था कि इस विधेयक के माध्यम से बीमा कंपनियों का निजीकरण नहीं किया जा रहा है बल्कि कुछ प्रावधान लाये जा रहे हैं ताकि भारतीय नागरिकों, आम लोगों, निजी क्षेत्र की सहभागिता साधारण बीमा कंपनियों में बढ़े।’’

सीतारमण ने कहा था कि इन बीमा कंपनियों के तेजी से विकास के लिए संसाधन जरूरी हैं और निजी क्षेत्र से इन्हें धन और तकनीक मिल सकती है।

इस बीच इसका विरोध भी शुरू हो गया है। बीमा कंपनियों से जुड़े ट्रेड यूनियन और कर्मचारियों ने इसके खिलाफ देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन करने का फैसला किया है। इसी कड़ी में आज लंच के समय विरोध प्रदर्शन और कल एक दिन की पूरी हड़ताल रखी गयी है।

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