जंतर-मंतर पर मुस्लिम जनसंहार के नारे लगाने के मामले में भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय को जमानत

जंतर-मंतर पर मुस्लिम जनसंहार के नारे लगाये जाने के मामले में भाषण के मामले में वकील अश्विनी उपाध्याय को पटियाला हाउस कोर्ट ने जमानत दे दी है। उन्हें मुस्लिम विरोधी नारे लगाने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। पटियाला हाउस कोर्ट ने अश्विनी उपाध्याय को 50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी है।

न्यायाधीश ने कहा, “निस्संदेह बंद दरवाजों के पीछे साजिश रची गई है और जांच अभी शुरुआती चरण में है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि किसी नागरिक की स्वतंत्रता को केवल दावे और आशंका के आधार पर कम किया जाए।”

गौरतलब है कि आरोपी भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय के वकील ने तर्क दिया था कि वह नारेबाजी के दौरान मौजूद नहीं थे क्योंकि वह तब तक विरोध प्रदर्शन छोड़ चुके थे। अदालत से अपनी जमानत पर फैसला करने से पहले वीडियो देखने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा कि- “मेरे घटनास्थल से दूर जाने के बाद जो कुछ हुआ, उसकी जिम्मेदारी मुझ पर नहीं डाली जा सकती।” 

पूर्व दिल्ली भाजपा प्रवक्ता व दिल्ली भाजपा कार्यकारिणी के सदस्य ने मामले में पहले ही कहा था कि पुराने औपनिवेशिक कानूनों के ख़िलाफ़ विरोध मार्च सेव इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित किया गया था। “मेरा सेव इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने गिरफ्तारी से पहले कहा था कि मैं आरवीएस मणि, फिरोज बख्त अहमद, गजेंद्र चौहान की तरह एक अतिथि था। हम लगभग 11 बजे पहुंचे और 12 बजे निकल गए। मैं इन बदमाशों से कभी नहीं मिला। ” 

वहीं दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि उन्होंने कोविड की सावधानियों को लेकर विरोध प्रदर्शन की अनुमति देने से इनकार कर दिया था, इसके बावजूद भी भीड़ एकत्र हुई थी। 

बता दें कि जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के दौरान कथित रूप से मुस्लिम विरोधी नारे लगाने के मामले में अश्विनी उपाध्याय को गिरफ्तार किया गया था। भाजपा के पूर्व प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय के साथ-साथ 6 लोगों को कोर्ट ने मंगलवार को दो दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा था। गिरफ्तारी के बाद आरोपियों की तरफ से कोर्ट में जमानत की अर्जी दाखिल की गई थी। न्यायाधीश ने निर्देश दिया था कि आरोपी अश्विनी उपाध्याय, प्रीत सिंह, दीपक सिंह, दीपक कुमार, विनोद शर्मा और विनीत बाजपेयी की जमानत अर्जी पर बुधवार को ही संबंधित अदालत में सुनवाई की जाए। 

दिल्ली की एक अदालत ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के दौरान कथित रूप से मुस्लिम विरोधी नारे लगाने के मामले में गिरफ्तार किए गए भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय समेत छह लोगों को मंगलवार को दो दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। 

सभी आरोपियों के सांप्रदायिक गठजोड़ का इतिहास है

सभी छह आरोपियों का एक राजनीतिक इतिहास रहा है, जिस पर दिल्ली पुलिस की ओर से जांच जारी है।

मुस्लिम विरोधी नारेबाजी के आरोप में जिन लोगों को हिरासत में लिया गया, उनमें सुप्रीम कोर्ट के वकील और भाजपा के पूर्व प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय, सेव इंडिया के अध्यक्ष प्रीत सिंह, हिंदू फोर्स के अध्यक्ष दीपक सिंह, गौसेवक दीपक कुमार, सुदर्शन वाहिनी के प्रमुख विनोद शर्मा और विनीत बाजपेयी शामिल हैं। पुलिस का कहना है कि वह इस मामले में दो और लोगों की तलाश कर रही है। इनमें एक नाम पिंकी चौधरी का है, जिसने जनवरी 2020 में हुई जेएनयू हिंसा की जिम्मेदारी ली थी। इसके अलावा एक उत्तम मलिक की भी तलाश की जा रही है, जिसे डासना देवी मंदिर के पुजारी का अनुयायी बताया जाता है।

इन सभी आरोपियों की कार्यशैली को करीब से देखने के बाद सामने आता है कि द्वारका में हज हाउस के बाहर प्रस्तावित प्रदर्शन हो या पटपड़गंज में मजार के पास। सभी लोग किसी न किसी तरह मिलकर काम करते पाए गए हैं। जो छह लोग गिरफ्तार हुए हैं, उनमें दीपक सिंह हिंदू और आजाद विनोद शर्मा न सिर्फ सोशल मीडिया पर समन्वित अभियान चलाकर लोगों को इस तरह की भीड़ में जुटाने का काम करते हैं, बल्कि इन कार्यक्रमों को अपने यूट्यूब चैनल ‘मिशन साइबर सिपाही’ पर भी प्रसारित करते हैं। यूट्यूब पर अपने चैनल को इन्होंने एक जैसी राष्ट्रवादी सोच रखने वालों का प्लेटफॉर्म करार दिया है और इसी के जरिए अपने ‘मिशन’ के लिए फंड जुटाने का लक्ष्य भी रखा है। फिलहाल इस यूट्यूब चैनल पर 1,75,000 से ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं।

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