सिद्धू संतुष्ट या असंतुष्ट, भूलभुलैया में कांग्रेस!

                                                                                दिल्ली दरबार से अपना इस्तीफा वापस लेकर लौटे पंजाब कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी सार्वजनिक करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष की कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में पार्टी के अंदरूनी मामलों पर मीडिया में न जाने की हिदायतों की भी खुली धज्जियां उड़ा दीं। खुद सिद्धू ने ही 13 मुद्दों को रेखांकित करने वाली चिट्ठी सार्वजनिक कर दी। इन मुद्दों पर उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष से मिलने का समय मांगा है। सिद्धू के अनुसार जिन मुद्दों को लेकर उन्होंने पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार के खिलाफ आवाज उठाई थी, उन मुद्दों पर चरणजीत सिंह चन्नी की सरकार को काम करके दिखाना होगा। सोनिया गांधी को यह चिट्ठी नवजोत सिंह सिद्धू ने 15 अक्टूबर को लिखी थी और दो दिन बाद ही इसे सार्वजनिक कर दिया।                                               

सिद्धू के इस नए पैंतरे से कांग्रेस की आंतरिक लड़ाई एक बार फिर जगजाहिर हो गई है। हालांकि दिल्ली से लौटने के बाद उनकी मुख्यमंत्री के साथ डिनर बैठक भी हुई। इसमें उनके करीबी मंत्री परगट सिंह और केंद्रीय पर्यवेक्षक हरीश चौधरी भी उपस्थित थे। बताया जाता है कि बैठक बहुत सद्भाव वाले माहौल में हुई लेकिन सिद्धू के पत्र की इबारत बताती है कि वह मुख्यमंत्री को चैन से काम नहीं करने देंगे। अपने पत्र में उन्होंने परोक्ष रूप से चरणजीत सिंह चन्नी को निशाने पर लिया है। नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा है कि पंजाब में मुख्यमंत्री बेशक अनुसूचित जाति का है, लेकिन सरकार में अनुसूचित जाति को पूरा प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। सिद्धू ने मुख्यमंत्री चन्नी के बनाए मंत्रिमंडल पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उनकी मांग है कि दोआबा से अनुसूचित जाति का एक प्रतिनिधि और पिछड़ी जाति से दो प्रतिनिधियों को कैबिनेट में जगह मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार कृषि कानूनों को लेकर एसवाईएल जैसा निर्णय ले और फौरन ऐलान करे कि केंद्र के कृषि कानून लागू नहीं होंगे।

जैसा निर्णय ले और फौरन ऐलान करे कि के अतिरिक्त सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी के जरिए नवजोत सिंह सिद्धू ने चरणजीत सिंह चन्नी सरकार से निम्नलिखित मांगें की हैं: घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को सस्ती या 300 यूनिट मुफ्त बिजली दी जाए। आरक्षित विधानसभा क्षेत्रों के लिए 25- 25 करोड़ रुपए का विशेष पैकेज। अनुसूचित जाति के परिवारों को 5 मरले का आवासीय भू-खंड। सूबे के प्रत्येक अनुसूचित जाति के परिवार के लिए पक्की छत। अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के लिए विशेष छात्रवृत्ति। विभिन्न विभागों में खाली पड़े पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरा जाए। आंदोलनरत कर्मचारी संगठनों की मांगों को तत्काल माना जाए। उद्योग और बड़े कारोबार के लिए सिंगल विंडो सिस्टम बनाया जाए। शराब के कारोबार पर सरकार को एकाधिकार बनाना चाहिए। मुफ्त रेत देने की बजाए देने की सरकार अलहदा कारपोरेशन बनाए। केबल माफिया को खत्म करने के लिए मनोरंजन टैक्स बिल लाया जाए।                                         

सिद्धू इनमें से कुछ मुद्दों पर पहले भी बोलते रहे हैं। इन्हें आधार बनाकर उन्होंने पूर्व कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार को कई बार घेरा लेकिन अब बारी चरणजीत सिंह चन्नी की है। मौजूदा मुख्यमंत्री की दिक्कत यह है कि उनके लिए रातों-रात सिद्धू की मांगों पर काम कर पाना मुश्किल है। इसलिए भी कि उनके पास बहुत कम समय है। राज्य विधानसभा चुनाव चंद महीनों के फासले पर हैं। यह सिद्धू भी जानते हैं। उनकी चिट्ठी सार्वजनिक होने के बाद माना जा रहा है कि वह जानबूझकर चन्नी के लिए दिक्कतें खड़ी कर रहे हैं। उन्होंनेे अपनी ही पार्टी कि सरकार के लिए यह स्थिति बना दी है कि, ‘न जिएंगे न जीने देंगे!’        पंजाब के हित में नवजोत सिंह सिद्धू की मांगें सही हैं या गलत, इस पर बहस हो सकती है लेकिन कतिपय कांग्रेसी नेताओं का मानना है कि उन्हें उठाने का यह वक्त माकूल नहीं है। फौरी तौर पर होना यह चाहिए कि सिद्धू पंजाब कांग्रेस के तितर-बितर हुए संगठनात्मक ढांचे को मजबूती के साथ फिर खड़ा करें। एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कहते हैं, “उनका रवैया समझ से बाहर और अजीबोगरीब है। सिद्धू एक पहेली बन गए हैं। न जाने किस पल वह संतुष्ट हो जाए और किस पल नाराज। इसका खामियाजा उन्हें कम पार्टी तथा सरकार को ज्यादा उठाना पड़ेगा।”                                               

इस बीच सिद्धू ने अपने करीबी परिवहन मंत्री अमरिंदर राजा वडिंग के काम की तारीफ करते हुए कहा है कि वह अच्छा काम कर रहे हैं लेकिन उन्हें सरकार से पूरा सहयोग नहीं मिल पा रहा। उनकी यह टिप्पणी भी चन्नी सरकार पर एक हमला ही है।

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